मेघालय की राजधानी शिलॉन्ग में दो दिनों की हिंसा के बाद तनाव का माहौल है. कई इलाकों में हुई हिंसक घटनाओं के बाद प्रशासन ने कर्फ्यू लगा दिया था. हालांकि, रविवार को कर्फ्यू में थोड़ी ढील दी गई. लेकिन, इंटरनेट सर्विस पर अभी भी बैन लगा है. बता दें कि गुरुवार रात दो गुटों में झड़प के बाद मामला स्थानीय बनाम बाहरी की लड़ाई में तब्दील हो गया है. जिसके बाद कई इलाकों से हिंसा की खबरें आई थीं. हिंसा प्रभावित इलाकों में अतिरिक्त पुलिस कर्मियों की तैनाती की गई है.
ईस्ट खासी हिल्स जिले के प्रभारी उपायुक्त पीटर एस दखार ने न्यूज़ एजेंसी को बताया कि रविवार को मामला नियंत्रण में है. ऐसे में सुबह 8 बजे से शाम 3 बजे तक कर्फ्यू में ढील दी गई. ताकि, स्थानीय निवासी रोजमर्रा की जरूरत का सामान खरीद सकें.
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, गुरुवार रात शिलॉन्ग की पंजाबी लाइन में रहने वाले कुछ लोगों का एक बस कंडक्टर के साथ झगड़ा हुआ, जो बाद में नस्लीय लड़ाई में बदल गया. पुलिस अधिकारियों ने बताया कि इस झड़प ने तब और उग्र रूप ले लिया, जब सोशल मीडिया पर यह अफवाह फैलाई गई कि घायल सहायक की मौत हो गई. शुक्रवार देर रात बस चालकों ने इस घटना के खिलाफ एकजुटता दिखाई, तो मामला हिंसक हो गया.
भीड़ ने कई जगहों पर हिंसक प्रदर्शन किए. कई घरों और वाहनों को आग के हवाले कर दिया. कई जगह तोड़-फोड़ भी हुई. आक्रोशित भीड़ को काबू में करने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े. जिसके बाद शनिवार से कर्फ्यू लगा दिया गया.
हिंसा में 10 लोग घायल
गुरुवार को हुई हिंसा में कम से कम 10 लोग घायल हो गए. इनमें एक पुलिसकर्मी भी शामिल है. इस घटना के बाद इलाके में कथित तौर पर अवैध रूप से रह रहे लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग उठने लगी है.
Latest visuals from #Shillong. Curfew remains imposed, internet services suspended in parts of the city after clash broke out between two groups following escalation of an argument between a woman & a bus conductor #Meghalaya pic.twitter.com/D3LQ5A4dgB
— ANI (@ANI) June 3, 2018
प्रभावित इलाकों में फ्लैग मार्च के आदेश
रक्षा विभाग के प्रवक्ता रत्नाकर सिंह ने कहा कि राज्य सरकार ने सेना से आग्रह किया कि प्रभावित इलाकों में फ्लैग मार्च करें. सेना के जवानों ने फ्लैग मार्च किया और करीब 500 लोगों को बचाया जिसमें 200 महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं.
We met orgs coming from outside & today groups from Delhi realised news coming out actually isn't true. Fact that some people are displaced, hungry & beaten up, that's not true at all. People are very much safe & that is our commitment: Conrad Sangma, Meghalaya CM #Shillong pic.twitter.com/tWwABq72Ne
— ANI (@ANI) June 3, 2018
क्या कहते हैं सीएम संगमा?
इस मामले में सीएम कोनराड के संगमा ने कहा, 'सरकार पूरी घटना पर नज़र रख रही है. कई लोगों को हिंसा प्रभावित इलाकों से दूसरी जगह शिफ्ट किया गया है. सोशल मीडिया पर ऐसी खबरें आ रही हैं कि विस्थापित लोगों को भूखा रखा गया और उनकी पिटाई की गई, लेकिन इन खबरों में कोई सच्चाई नहीं है.' सीएम संगमा ने लोगों से अपील की है कि वे किसी भी अफवाह पर ध्यान न दें. संयम बरतें और कानून का पालन करें.
इस बीच खासी छात्र संघ (केएसयू), फेडरेशन ऑफ खासी जयंतिया एंड गारो पीपुल (एफकेजेजीपी) और हनीट्रेप यूथ काउंसिल ने मोर्चा खोल दिया है. इनके सदस्यों ने स्थानीय लड़कों के साथ मारपीट में शामिल लोगों को सजा दिलाने और थेम मेटोर में अवैध रूप से रह रहे लोगों को हटाने की मांग की है.
(साभार: न्यूज़18)
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