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मन की बात: पीएम मोदी ने संवाद के लिहाज से बेहद क्रांतिकारी कदम उठाया

पीएम मोदी ने सोशल मीडिया के दोतरफा संवाद और रेडियो की पहुंच को एक कर दिया. समाज के हर तबक़े के लोगों से इस ज़रिए से संवाद हो रहा है

Updated On: Nov 24, 2018 10:22 PM IST

Arvind Gupta

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मन की बात: पीएम मोदी ने संवाद के लिहाज से बेहद क्रांतिकारी कदम उठाया

एडिटर्स नोट: लेखक आइज़नहॉवर इनोवेशन फेलो हैं. वो विश्व आर्थिक मंच के डिजिटल इकोनॉमी और सोशल फीचर्स के सदस्य भी हैं. इस वक़्त वो MyGov. के सीईओ हैं. ये उनके निजी विचार हैं.

2009 में जब नरेंद्र मोदी ने अपना पहला ट्वीट किया था, तो बहुत से लोगों को ये नहीं मालूम था कि 'डिजिटल' क्या होता है. अगले कुछ साल में, 2014 के आम चुनाव तक, उस वक्त गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर मोदी ने सोशल मीडिया का असरदार तरीके से इस्तेमाल किया. मोदी ने सोशल मीडिया के जरिए भारत ही नहीं पूरी दुनिया के लोगों से संवाद दिया. उनकी बातें सुनीं, जवाब दिए और उनसे परिचर्चा की. हकीकत तो ये है कि तमाम राजनीतिक और उद्योग जगत की हस्तियां ने बड़ी जल्दी इस बात पर गौर किया कि मोदी ने किस कामयाबी से सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर लोगों से सीधा संवाद किया है. इसके बाद बहुत से राजनेताओं ने सोशल मीडिया को अपनी संचार की रणनीति का हिस्सा बनाया.

जब मोदी ने देश के चौदहवें प्रधानमंत्री का पद संभाला तो उन्होंने संवाद के लिहाज से बेहद क्रांतिकारी कदम उठाया. उन्होंने सोशल मीडिया के दोतरफा संवाद और रेडियो की पहुंच को एक कर दिया. यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रेडियो पर 'मन की बात' संचार के बेहद क्रांतिकारी, ताज़ा और बहुआयामी ज़रिए के तौर पर उभरी है. भारत के समाज के हर तबक़े के लोगों से इस ज़रिए से संवाद हो रहा है.

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी शानदार किस्सागो हैं. सोशल मीडिया और रेडियो के इस संगम ने उन्हें अनजान भारतीयों की कहानियां सुनाने का मौका दिया है. उन भारतीयों के किस्से, जो बिना रुके और थके इस देश को बेहतर बनाने के लिए मेहनत कर रहे हैं. एक अच्छा क़िस्सागो एक अच्छा श्रोता भी होता है. प्रधानमंत्री मोदी नागरिकों से संवाद के तमाम प्लेटफॉर्म पर यही करते हैं. जैसे कि MyGov. के ज़रिए पीएम मोदी लाखों लोगों से डिजिटल संवाद करते हैं. उनसे फोन और यहां तक कि पोस्टकार्ड के ज़रिए भी संपर्क किया जा सकता है.

PM Modi

ड्रग्स के इस्तेमाल को लेकर भी पीएम ने युवाओं से संवाद किया

अपने पहले एपिसोड से ही साफ था कि मन की बात का मतलब दिल्ली में बैठी सरकार की बात नहीं थी. बल्कि देश के कोने-कोने में रहने वाले भारतीयों की बात थी. इसके दूरगामी नतीजों का अंदाज़ा इस कार्यक्रम के लिए आने वाली चिट्ठियों, सुझावों और MyGov. पर आने वाले कमेंट्स से होता है. इसके अलावा नरेंद्र मोदी ऐप और ऑल इंडिया रेडियो को आने वाली चिट्ठियों से भी मन की बात के असर का अंदाज़ा होता है. देहरादून ज़िले की रहने वाली गायत्री की ही मिसाल लीजिए. वो बड़ी मुश्किल से अपने सबसे क़रीबी दूरदर्शन केंद्र गईं और वहां 'नदियों की स्वच्छता' के बारे में मन की बात के लिए अपना संदेश MyGov. के टोल फ्री नंबर पर रिकॉर्ड किया. बाद में वो दिल्ली आईं, जहां वो डिजिटल इंडिया अभियान का फ़ायदा उठाने वाले नागरिकों के साथ प्रधानमंत्री मोदी से मिलीं.

जब प्रधानमंत्री मोदी ने रेडियो पर दर्शन की कहानी सुनाई, तो वो खुशी से फूले नहीं समाए. पीएम मोदी ने बताया कि किस तरह जन औषधि केंद्र से जेनेरिक दवाएं लेने से दर्शन के पिता का दवाओं का ख़र्च 75 फ़ीसद तक घट गया है. पश्चिम बंगाल के उत्तरी चौबीस परगना ज़िले के युवा अयान कुमार बनर्जी को मन की बात से ही प्रेरणा मिली और उन्होंने पीएम को MyGov. पर चिट्ठी लिखकर गुरुदेव रबींद्रनाथ टैगोर के बारे में बोलने को कहा.

मन की बात कार्यक्रम को जिस तरह से युवाओं ने अपनाया है और इसमें साझीदार बने हैं, उसी से इस कार्यक्रम में भागीदारी की तस्वीर साफ़ हो जाती है. आज युवा इस कार्यक्रम की बदौलत ही देश के नेतृत्व से सीधा संवाद करने में हिचकते नहीं हैं. और अब जबकि मन की बात कार्यक्रम का 50वां एपिसोड प्रसारित हो रहा है, तो ये भी याद रखना ज़रूरी है कि कैसे प्रधानमंत्री ने देश के युवाओं से मुश्किल मगर ज़रूरी मुद्दों पर संवाद किया है. जैसे कि इम्तिहान का तनाव, मां-बाप का दबाव, ख़ुदकुशी और दिमाग़ी सेहत ही नहीं, ड्रग्स के इस्तेमाल को लेकर भी पीएम ने युवाओं से संवाद किया है.

आखिर में ये बताना जरूरी है कि आज हमारे पास ऐसे प्रधानमंत्री नहीं हैं, जो राजमहल में जनता से कटकर रहते हैं. बल्कि ऐसे पीएम हैं, जो अपने देशवासियों से मिलना चाहते हैं, बराबरी के प्लेटफॉर्म पर संवाद करना चाहते हैं. पिछले 49 एपिसोड का विश्लेषण करें तो पता चलता है कि कैसे मन की बात कार्यक्रम जनआंदोलनों की प्रयोगशाला बन गया है. ये ऐसा विषय है जो हमारे प्रधानमंत्री के दिल के बेहद करीब है.

जैसे कि मन की बात के कम से कम 24 एपिसोड में स्वच्छ भारत का ज़िक्र हुआ. इस दौरान कामयाबी की कहानियां साझा की गईं. कचरे को अलग-अलग करने से लेकर श्रमदान तक पर चर्चा हुई. बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ आंदोलन हो, आईएनएस तारिणी के केवल महिलाओं वाले क्रू का सम्मान हो, बिना महरम के हज जाने की इजाजत हो या फिर ट्रिपल तलाक का मुद्दा. मन की बात एक ऐसा मंच बना जहां पर महिलाओं की अगुवाई में हो रहे विकास की चर्चा हुई.

PM Modi Mann Ki Baat

खादी के कपड़ों और सामानों की बिक्री में बहुत इजाफा हुआ

प्रधानमंत्री के विकास के आयाम में किसानों का कल्याण बहुत अहम रहा है. प्रधानमंत्री ने किसानों और खेती से जुड़े मसलों को भी मन की बात कार्यक्रम के 13 एपिसोड में उठाया. ऐसा शायद पहली बार हुआ कि सरकार के मुखिया ने रेडियो कार्यक्रम के ज़रिए खेलों को जनआंदोलन बना दिया. कम से कम 20 एपिसोड मे प्रधानमंत्री ने आउटडोर खेलों, एशियाई खेलों, ग्रीष्माकालीन युवा ओलंपिक, राष्ट्रीय खेल दिवस, हॉकी विश्व कप, फीफा अंडर-17 वर्ल्ड कप जैसे खेलों के तमाम मुद्दों पर बात की.

ऐसे ही, प्रधानमंत्री ने कम से कम 11 एपिसोड में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की अहमियत और इसके जरिए भारत की सॉफ्ट पावर की अहमियत बताई. मन की बात के जो अन्य मुख्य विषय रहे उनमें जवानों की शहादत, सेना और अर्धसैनिक बलों के योगदान और भारत के इतिहास के दिलचस्प पहलुओं के बारे में चर्चा शामिल रही. और #SelfieWithDaughter, #VoterRegistration, #FitIndia जैसे बहुत लोकप्रिय आंदोलनों को कोई कैसे भूल सकता है, जो मन की बात से ही शुरू हुए. बहुत से अध्ययनों में ये बात कही गई है कि मन की बात में प्रधानमंत्री मोदी के जिक्र करने के बाद खादी के कपड़ों और सामानों की बिक्री में बहुत इजाफा हुआ.

और आखिर में प्रधानमंत्री की 'सबका साथ-सबका विकास' की सोच और 'जन भागीदारी' की मदद से सामाजिक परिचर्चा में बदलाव लाने की कोशिशों को धरातल पर उतारने में भी मन की बात ने अहम रोल निभाया है. मन की बात कार्यक्रम के जरिए जन भागीदारी बढ़ाना ही असली लोकतांत्रिक प्रक्रिया को लागू करना है.

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