बिहार के पूर्णिया जिले में हुई घटना ने एक बार फिर से ओडिशा के दीना मांझी की याद दिला दी. हम सभी को याद है कि पिछले साल सितंबर में किस तरह ओडिशा के एक अस्पताल ने दीना मांझी को उसकी पत्नी के शव को घर ले जाने के लिए एम्बुलेंस देने से मना कर दिया था. इसके बाद दीना मांझी अपने कंधे पर पत्नी के शव को लगभग 10 किमी तक पैदल ले कर गया था.
कुछ इसी तरह का वाकया बिहार के पूर्णिया जिले में घटित हुआ. सरकारी अस्पताल ने एक व्यक्ति को उसकी पत्नी का शव ले जाने के लिए एम्बुलेंस देने से मना कर दिया. इसके बाद वह व्यक्ति अपनी पत्नी के शव को अपनी मोटरसाइकिल पर लाद कर घर ले गया.
Man carries wife's body on motorcycle to reach home for last rites after being denied mortuary van at govt hospital in Purnia, Bihar: ANI pic.twitter.com/FsQuzn9Yez
— Times of India (@timesofindia) June 4, 2017
दिहाड़ी मजदूर हैं बिहार के 'दीना मांझी' शंकर साह
यह दुखद वाकया 60 वर्षीय शंकर साह के साथ घटित हुआ. वे पूर्णिया जिले के रानीबारी गांव के रहने वाले हैं. उनकी 50 वर्षीय पत्नी सुशीला देवी की मौत बीमारी की वजह से शुक्रवार को पूर्णिया सदर अस्पताल में हो गई थी. साह की पत्नी को टीबी और दिल की बीमारी थी.
साह अपनी पत्नी का अंतिम संस्कार करने के लिए उसके शव को अपने गांव ले जाना चाहते थे. साह ने इसके लिए अस्पताल के कर्मचारियों से मदद भी मांगी लेकिन उन्हें किसी तरह की मदद नहीं मिली.
साह ने जब प्राइवेट एम्बुलेंस लेने की कोशिश की तो ड्राइवर ने उनसे 1500 रुपए मांगे. साह के पास इतने रुपए नहीं थे. इसके बाद साह ने अपने 32 वर्षीय बेटे पप्पू की मदद से सुशीला के शव को बाइक पर लादा. साह के बेटे ने बाइक चलाई और साह अपनी पत्नी का शव पकड़कर पीछे बैठे.
साह और उनका बेटा पप्पू पंजाब में दिहाड़ी मजदूर हैं.
पूर्णिया सदर अस्पताल के सिविल सर्जन ने एएनआई को बताया कि अस्पताल में सिर्फ एक एम्बुलेंस है जो अभी खराब है. इस वजह से लोगों को अपने परिजनों का शव ले जाने के लिए खुद ही इंतजाम करना पड़ता है.
पूर्णिया के डीएम ने कहा कि उन्होंने इस मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं.
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