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क्या इस तरीके से आलोक वर्मा को बचा सकते थे मल्लिकार्जुन खड़गे?

खड़गे ने सीबीआई डायरेक्टर को पद से हटाने के फैसले का विरोध किया था और अपनी असहमति जताई थी. लेकिन प्रधानमंत्री और जस्टिस सीकरी आलोक वर्मा को पद से हटाने के पक्ष में थे

Updated On: Jan 11, 2019 11:11 AM IST

FP Staff

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क्या इस तरीके से आलोक वर्मा को बचा सकते थे मल्लिकार्जुन खड़गे?

सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली हाई पावर सेलेक्शन कमिटी ने गुरुवार को उनके पद से हटा दिया. कमिटी के एक सदस्य मल्लिकार्जुन खड़गे उनको हटाए जाने के खिलाफ थे लेकिन 2-1 के वोट से आखिरकार आलोक वर्मा को हटाने का फैसला ले लिया गया. अब कहा जा रहा है कि मल्लिकार्जुन खड़गे चालाकी से काम लेते तो वो आलोक वर्मा को बचा सकते थे या फिर उनकी विदाई को थोड़े दिनों तक के लिए टाला जा सकता था.

तीन सदस्यीय समिति में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के प्रतिनिधि के तौर पर जस्टिस एके सीकरी शामिल हुए थे. सूत्रों के मुताबिक बैठक के दौरान जस्टिस सीकरी ने कहा कि वर्मा के खिलाफ कुछ आरोप हैं, इस पर खड़गे ने कहा, 'आरोप कहां हैं?'

सूत्रों के मुताबिक बैठक के दौरान कमिटी के सदस्य खड़गे ने कहा कि वर्मा को दंडित नहीं किया जाना चाहिए और उनका कार्यकाल 77 दिन के लिए बढ़ाया जाना चाहिए. इस अवधि के लिए वर्मा को छुट्टी पर भेज दिया गया था. यह दूसरा मौका है जब खड़गे ने वर्मा को पद से हटाने पर आपत्ति जताई थी. इसके अलावा खड़गे सीबीआई डायरेक्टर को पद से हटाने के फैसले के खिलाफ कोर्ट भी चले गए थे.

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मल्लिकार्जुन खड़गे ने गुरुवार को मांग की थी कि मुझे थोड़ी व्यस्तता है इसलिए हाई पावर सेलेक्शन कमिटी की बैठक को शुक्रवार को बुलाई जाए लेकिन जब यह तय हो गया कि बैठक उसी दिन शाम में होगी तो वे इसमें शामिल भी हुए. हालांकि उन्होंने अपनी असहमति जताई.

लोकसभा में विरोधी दल के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा था कि सिर्फ तीन सदस्यीय हाई पावर कमिटी ही सीबीआई डायरेक्टर को हटाने या नियुक्त करने का अधिकार रखती है. इस हाई पावर कमिटी में सदस्य देश के प्रधानमंत्री, सीजेआई और लोकसभा में विरोधी दल के नेता होते हैं.

इन तीनों में से अगर कोई भी कमिटी की बैठक में गैर हाजिर रहता है तो कमिटी सीबीआई डायरेक्टर को नियुक्त करने और हटाने का फैसला नहीं ले सकती. ऐसे में यह कहा जा रहा है कि क्या लोकसभा में विरोधी दल के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे इस कमिटी की बैठक में शामिल न होकर सीबीआई डायरेक्टर को पद से हटाने से बचा सकते थे या इसे कुछ दिन के लिए टाल सकते थे? अगर मल्लिकार्जुन खड़गे गुरुवार की मीटिंग में नहीं जाते तो ऐसा हो सकता था.

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