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मालेगांव ब्लास्ट: धमाकों से लेकर पुरोहित की जमानत तक, कब क्या हुआ?

इन धमाकों में साध्वी प्रज्ञा और कर्नल पुरोहित का क्या रोल था?

Updated On: Aug 21, 2017 01:04 PM IST

FP Staff

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मालेगांव ब्लास्ट: धमाकों से लेकर पुरोहित की जमानत तक, कब क्या हुआ?

2008 मालेगांव ब्लास्ट में कर्नल पुरोहित को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी. इन धमाकों में 7 लोगों की मौत हो गई थी और करीब 80 लोग घायल हो गए थे. इससे पहले बॉम्बे हाईकोर्ट ने साध्वी ठाकुर को इस मामले में जमानत दी थी. जानें धमाकों से लेकर पुरोहित की जमानत तक कैसा है इस केस का इतिहास...

29 सितंबर 2008: नवरात्रि की शाम को दो धमाके हुए. दोनों धमाके एक साथ गुजरात और महाराष्ट्र में हुए थे. महाराष्ट्र में धमाके मालेगांव में हुए थे. जिसमें 7 लोगों की मौत हो गई थी. जबकि करीब 80 लोग घायल हो गए थे. शुरूआती जांच में इस धमाके के पीछे मुस्लिम उग्रवादी संगठनों का शक जताया गया था. हमले की जांच की जिम्मेदारी एंटी टेरर स्क्वेड को सौंपी गई. जिसकी अध्यक्षता हेमंत करकरे कर रहे थे.

23 अक्टूबर 2008: साध्वी प्रज्ञा को गिरफ्तार किया गया.

24 अक्टूबर 2008: करीब एक महीने बाद हीरो होंडा बाइक बरामद की गई. जिसमें कम तीव्रता वाला बम लगाया गया था. धमाकों के इक महीने बाद ही बाइक की जांच पड़ताल के बाद एटीएस को साफ हो गया था. इन धमाकों के पीछे हिंदू चरमपंथी समूह का हाथ है. पुलिस ने सबूतों के आधार पर साध्वी प्रज्ञा, शिव नारायण गोपाल और श्याम भंवरलाल साहू को गिरफ्तार किया था. इसके बाद कई हिंदू संगठनों के नाम इन धमाकों से जुड़े और भी कई लोगों की गिरफ्तारी इस मामले में हुई.

4 नवंबर 2008: सेना के अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित को 2002-2004 में जम्मू-कश्मीर में अपने कार्यकाल के दौरान हमले के लिए आरडीएक्स देने और साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार किया गया.

जुलाई 2009: हमले की जांच के दौरान साध्वी प्रज्ञा की अन्य आतंकी गतिविधियों से कनेक्शन का खुलासा हुआ. इसमें समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट, मालेगांव 2006 ब्लास्ट और गुजरात के मोदासा में 2008 के ब्लास्ट शामिल हैं. स्पेशल कोर्ट ने अभियुक्तों का संज्ञान अन्य मामलों में नहीं लिया. और आरोपियों पर लगे मकोका को भी हटा लिया गया.

2010: बॉम्बे हाईकोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा पर वापस महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गनाइज्ड क्राइम एक्ट (मकोका) लगा दिया.

अप्रैल 2011: एनआईए को केस सौंपा गया.

अगस्त 2013: एनआईए ने अभियुक्तों को क्लीन चिट दे दी.

15 अप्रैल 2015: अभियुक्तों के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं मिलने की बात कहते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के मकोका के फैसले को खारिज कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने इस केस को स्पेशल कोर्ट में पेश करने का भी निर्देश दिया.

नवंबर 2015: स्पेशल कोर्ट ने साध्वी ठाकुर की जमानत याचिका ठुकरा दी. कोर्ट ने कहा कि साध्वी के खिलाफ भी कुछ सबूत मिले हैं.

15 अप्रैल 2016: मकोका कोर्ट ने 9 आरोपियों को इस मामले से मुक्त कर दिया. क्योंकि एनआईए ने उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं होने की बात कही थी.

28 जून 2016: स्पेशल कोर्ट ने साध्वी ठाकुर की जमानत याचिका खारिज की.

14 अक्टूबर 2016: स्पेशल कोर्ट की तरफ से नकारात्मक जवाब मिलने के बाद साध्वी प्रज्ञा ने बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया.

25 अप्रैल 2017: बॉम्बे हाईकोर्ट ने आखिरकार 8 साल, 6 महीने और दो दिन जेल में बिताने के बाद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को जमानत दे दी.

21 अगस्त 2017: सुप्रीम कोर्ट ने कर्नल पुरोहित को जमानत दे दी. इससे पहले बॉम्बे हाईकोर्ट ने पुरोहित को जमानत देने से इनकार कर दिया था. जिसके बाद वह सुप्रीम कोर्ट गए थे.

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