देश में बेरोजगारी के मुद्दे पर हाहाकार मचा हुआ है. मोदी सरकार में रोजगार काफी बड़ा मुद्दा रहा है. रोजगार के आंकड़ों से लेकर पकौड़े तलने तक के बयानों पर ये मुद्दा काफी ज्वलंत रहा है. अब महाराष्ट्र सचिवालय में ऐसा कुछ हुआ है, जिसपर विपक्ष फायर हो गया है.
महाराष्ट्र के मंत्रालय (राज्य सचिवालय) में कैंटीन वेटर के 13 पदों के लिए 7000 लोगों ने आवेदन दिया था जिनमें से ज्यादातर स्नातक यानी ग्रेजुएट थे.
एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि हाल ही में इन पदों के लिए 100 अंकों की लिखित परीक्षा हुई थी. उनके लिए एजुकेशन क्वालिफिकेशन के लिए रिक्वायरमेंट चौथी पास रखी गई थी.
उन्होंने कहा, ‘परीक्षा की औपचारिकताएं 31 दिसंबर को पूरी हुई और फिलहाल जॉइनिंग प्रक्रिया चल रही है. चुने गए 13 उम्मीदवारों में आठ पुरुष हैं और बाकी महिलाएं हैं. दो-तीन लोगों ने अब तक दस्तावेज नहीं सौंपे हैं और आधिकारिक रूप से काम करना शुरु नहीं किया है.’
उन्होंने बताया कि चुने गए लोगों में 12 ग्रेजुएट हैं और एक बारहवीं पास हैं. इन 13 पदों के लिए अधिकतम स्नातक उम्मीदवार थे और बाकी बारहवीं पास थे. चुने गए उम्मीदवार 25-27 साल उम्र के हैं.
ग्रेजुएट्स को मंत्रालय कैंटीन में वेटर के तौर पर नियुक्त किए जाने पर राज्य सरकार की आलोचना करते हुए विधानपरिषद में विपक्ष के नेता धनंजय मुंडे ने कहा कि मंत्रियों और सचिवों को शिक्षित व्यक्तियों की सेवाएं लेने पर शर्म आनी चाहिए.
नेशनल कांग्रेस पार्टी के नेता मुंडे ने कहा, ‘महज 13 पदों के लिए 7,000 आवेदन देश और महाराष्ट्र में रोजगार की स्थिति का स्पष्ट उदाहरण है. यह बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है कि स्नातक इन पदों के लिए चुने गए जबकि अहर्ता चौथी पास की थी.’
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