संगठित अपराधियों, माफिया और नेताओं के बीच के संबंधों की जांच के लिए 1993 में गठित एन एन वोहरा समिति की रिपोर्ट से जुड़े महत्वपूर्ण रिकॉर्ड आखिरकार कहा हैं? एक आरटीआई आवेदन दायर किए जाने के बाद यह सवाल खड़ा हुआ है.
पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेष गांधी के अनुसार इस संदर्भ में सूचना हासिल करने के लिए उनकी ओर से दायर आरटीआई आवेदन केंद्रीय गृह मंत्रालय के कई विभागों में दो वर्षों तक घूमता रहा. हर विभाग ने उन्हें यही कहा कि उनके पास ऐसी कोई जानकारी नहीं है.
शैलेष गांधी ने सभी संलग्नकों और नोट शीट के साथ समिति की रिपोर्ट मांगी थी.
केंद्रीय सूचना आयोग ने मंत्रालय की आंतरिक सुरक्षा इकाई को निर्देश दिया था कि आवेदन जिस विभाग में है उससे सूचना एकत्र की जाए और यह सूचना गांधी को प्रदान की जाए.
इस निर्देश के बावजूद संबंधित विभाग ने जवाब दिया कि उसके पास सिर्फ रिपोर्ट है, लेकिन कोई संलग्नक और नोट शीट उपलब्ध नहीं है.
साल 1993 के मुंबई विस्फोटों के बाद इस समिति का गठन तत्कालीन गृह सचिव एन एन वोहरा के नेतृत्व में किया था. वोहरा फिलहाल जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल हैं.
इस समिति को यह जिम्मेदारी सौंपी गई थी कि उन अपराधियों-माफिया के गिरोहों की गतिविधियों के बारे में जानकारी एकत्र की जाए जिन्होंने सरकारी अधिकारियों और नेताओं से संबंध बना लिए हैं या इनके द्वारा उनको संरक्षण दिया जा रहा है.
समिति में रॉ, खुफिया ब्यूरो और सीबीआई के अधिकारी भी बतौर सदस्य शामिल थे. इसने अक्टूबर, 1993 में अपनी रिपोर्ट सौंपी थी.
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