मद्रास यूनिवर्सिटी ने पीएचडी उपाधि देने में होने वाले एक घोटाले को उजागर किया है. दरअसल विदेशी जैसे सिंगापुर और इथोपिया के परीक्षकों द्वारा जांच की जाने वाली पीएचडी थीसिस में में होने वाली जालसाजी का पता चला है.
हाल ही में एक वरिष्ठ प्रोफेसर जब मद्रास यूनिवर्सिटी में पीएचडी की डिग्री के लिए होने वाली वाइवा परीक्षा लेने गए तो उन्होंने पाया कि दस्तखत को छोड़कर विदेशी और स्थानीय परीक्षक की थीसिस पर दी गई रिपोर्ट बिल्कुल एक थी. वाइवा लेने वाले प्रोफेसर रीता जॉन का कहना है कि जब मैंने वाइवा लेने से मना कर दिया तो मुझे नेताओं और अन्य लोगों के फोन आने लगे.’
तीन परीक्षकों में एक का विदेशी होना जरूरी
मद्रास यूनिवर्सिटी ने यह नियम बना रखा है कि वहां जमा होने वाली कोई भी पीएचडी थीसिस तीन परीक्षकों के पास जांच के लिए जाएगी, जिसमें एक विदेशी परीक्षक का होना जरूरी है. यूनिवर्सिटी ने यह पाया कि विदेशी परीक्षकों द्वारा पीएचडी थीसिस की भेजी गई रिपोर्ट एक जैसी है और कई परीक्षक फर्जी भी हैं.
एक विदेशी परीक्षक ने तो 19 पीएचडी थीसिस के लिए एक जैसी ही रिपोर्ट भेजी है. मद्रास यूनिवर्सिटी से भेजे जाने वाले पीएचडी थीसिस की जांच मुख्यतः सिंगापुर, इथोपिया और नाइजीरिया के परीक्षक कर रहे हैं. फर्जी परीक्षकों की पहचान करके यूनिवर्सिटी इन्हें ब्लैक लिस्ट भी कर रही है.
एक सूत्र ने यह भी बताया है कि दिल्ली के कुछ प्रोफेसर एक साल में मद्रास यूनिवर्सिटी के 150 से 200 थीसिस की जांच करते हैं. वैसे यूजीसी द्वारा पीएचडी थीसिस के परीक्षकों को तय करने के गाइडलाइन भी दिए हुए हैं
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