मद्रास हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) से कहा है कि वह मीडिया में इस बात को छपवाए कि जो संस्थान बोर्ड के नो होमवर्क नियम का पालन नहीं कर रहे हैं उनके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई होगी. सीबीएसई का नो होमवर्क नियम कक्षा 1 और 2 के विद्यार्थियों के लिए है.
जस्टिस एन किरुबाकरन ने वकील एम पुरुषोत्तम की याचिका पर सुनवाई करते हुए सीबीएसई को आदेश दिया कि वो एनसीईआरटी द्वारा सुझाए गए सिलेबस को ही सीबीएसई में लागू करें. इसपर सीबीएसई ने जस्टिस किरुबाकरन के सामने उस सर्कुलर को पेश किया जिसे सीबीएसई ने 15 सितंबर, 2014 को जारी किया था. बोर्ड ने छात्रों के नो होमवर्क नियम से जुड़ा सर्कुलर भी दिखाया जिसे 12 सितंबर 2016 को जारी किया गया था.
सीबीएसई से संबंधित विद्यालयों के नियमावली में साफ कहा गया है कि जो भी स्कूल बोर्ड से संबंधित हैं उन्हें कक्षा दो तक के छात्रों के लिए बनाया गया नो होमवर्क और नो स्कूल बैग नियम को मानना पड़ेगा.
कोर्ट में सुनवाई के दौरान बोर्ड के वकील ने जज के सामने कहा कि जब भी इस नियम के उल्लंघन के बारे में जानकारी मिलेगी, सीबीएसई कार्रवाई करेगा. जवाब से संतुष्ट नहीं होने पर जस्टिस किरुबाकरन ने कहा कि लोग सीबीएसई को एक प्रमुख बोर्ड के रूप में देखते हैं, लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आपके पास इस तरह के उल्लंघनों की जांच करने के लिए कोई सिस्टम नहीं है.
जस्टिस ने पूछा कि जैसा कि आपने कहा था कि सीबीएसई से जुड़े 18,000 से अधिक स्कूल हैं, लेकिन बोर्ड की कर्मचारियों की ताकत केवल 1,200 है. ऐसे में कम कर्मचारियों के साथ आप नियमों को सही तरीके से लागू करने को कैसे सुनिश्चित कर सकते हैं.
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