live
S M L

चिदंबरम के परिवार के खिलाफ मुकदमे की मंजूरी से जुड़ा IT का आदेश हाईकोर्ट से रद्द

मद्रास हाईकोर्ट ने काले धन के एक मामले में उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ आपराधिक मुकदमे की मंजूरी देने संबंधी आईटी का आदेश शुक्रवार को रद्द करते हुए कहा कि उनके खिलाफ इस संबंध में कोई मामला नहीं बनता

Updated On: Nov 02, 2018 05:14 PM IST

Bhasha

0
चिदंबरम के परिवार के खिलाफ मुकदमे की मंजूरी से जुड़ा IT का आदेश हाईकोर्ट से रद्द

कांग्रेस नेता पी चिदंबरम को राहत देते हुए मद्रास हाईकोर्ट ने काले धन के एक मामले में उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ आपराधिक मुकदमे की मंजूरी देने संबंधी आयकर (आईटी) विभाग का आदेश शुक्रवार को रद्द करते हुए कहा कि उनके खिलाफ इस संबंध में कोई मामला नहीं बनता. यह मामला चिदंबरम की पत्नी नलिनी, उनके पुत्र कार्ति और बहू श्रीनिधि के विदेशी संपत्ति और बैंक खातों के बारे में जानकारी कथित तौर पर गोपनीय रखने से जुड़ा है.

आयकर विभाग के अनुसार तीनों ने आयकर रिटर्न में ब्रिटेन के कैम्ब्रिज में 5.37 करोड़ रुपए की अपनी संयुक्त संपत्ति का खुलासा नहीं किया था जो काला धन (अघोषित विदेशी आय एवं संपत्ति) एवं कर धोखाधड़ी अधिनियम (Black Money (Undisclosed Foreign Income and Assets) Act and Imposition of Tax Act) के तहत एक अपराध है.

याचिका जब जस्टिस एस मणिकुमार और जस्टिस सुब्रमणिया प्रसाद की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आई तो पीठ ने कहा कि इस संबंध में कोई मामला नहीं बनता और आपराधिक मुकदमा रद्द किया जाता है. चिदंबरम के परिवार के खिलाफ आईटी विभाग द्वारा शुरू किए गए आपराधिक मुकदमे को चुनौती देते हुए रिट याचिका दायर की गई थी.

हाईकोर्ट ने 12 अक्टूबर को सुनवाई के दौरान विदेशी संपत्ति को ‘गोपनीय’ रखने के मामले में चिदंबरम के परिवार को विशेष अदालत में पेशी से छूट वाले अंतरिम आदेश की अवधि शुक्रवार तक बढ़ा दी थी. विभाग ने यह भी आरोप लगाया कि कार्ति चिदंबरम ने ब्रिटेन के मेट्रो बैंक में अपने विदेशी बैंक खातों और अमेरिका में नैनो होल्डिंग्स एलएलसी में निवेश का खुलासा नहीं किया.

पहले हाईकोर्ट ने राहत देने से कर दिया था इनकार

विशेष अदालत में मई में दायर अपनी शिकायत में विभाग ने यह भी कहा था कि कार्ति ने अपने सह-स्वामित्व वाली कंपनी चेस ग्लोबल एडवाजरी में निवेशों का भी खुलासा नहीं किया जो काला धन अधिनियम (ब्लैक मनी एक्ट) के तहत एक अपराध है.

अभियोजन पक्ष के आरोपों को चुनौती देते हुए इन तीनों ने हाईकोर्ट में अपील दायर की थी क्योंकि एकल न्यायाधीश की पीठ के उन्हें कोई राहत देने से इनकार कर दिया था.

तत्कालीन चीफ जस्टिस इंदिरा बनर्जी के नेतृत्व वाली प्रथम पीठ ने 27 जून को अपील पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था. हालांकि, बाद में जस्टिस बनर्जी की पदोन्नति सुप्रीम कोर्ट के लिए हो गई और आदेश नहीं सुनाया जा सका. इसके बाद फिर से सुनवाई के लिए अपील जस्टिस मणिकुमार की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष भेजी गई थी परंतु उन्हें कोई राहत नहीं मिली थी.

0

अन्य बड़ी खबरें

वीडियो
KUMBH: IT's MORE THAN A MELA

क्रिकेट स्कोर्स और भी

Firstpost Hindi