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लोटपोट कर रहा है खुले में शौच करने वालों के जब्त लोटों की प्रदर्शनी का आइडिया

इस अभियान में एक हजार से अधिक लोटे उन महिलाओं एवं पुरूषों से जब्त किए गए थे, जो सुबह-शाम शौच के लिए खेत में जाते थे

Updated On: Nov 03, 2017 09:00 AM IST

Dinesh Gupta
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं)

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लोटपोट कर रहा है खुले में शौच करने वालों के जब्त लोटों की प्रदर्शनी का आइडिया

मध्यप्रदेश के ग्वालियर में जिला प्रशासन की ओर से लगाई गई प्रदर्शनी में रखे लोटों ने दर्शकों को लोटपोट कर दिया. ये वे लोटे हैं, जिन्हें जिला प्रशासन ने खुले में शौच करने वाले लोगों से जब्त किए हैं.

स्वच्छ भारत अभियान के तहत इस तरह की प्रदर्शनी देश में पहली बार लगाई गई. ग्वालियर की जिला पंचायत ने गांवों को खुले में शौच से मुक्त करने के लिए 'लोटा छीनो' अभियान चलाया था. इस अभियान में एक हजार से अधिक लोटे उन महिलाओं एवं पुरूषों से जब्त किए गए थे, जो सुबह-शाम शौच के लिए खेत में जाते थे.

यह अभियान काफी चर्चित और असरदार रहा था. इस अभियान के कारण ही ग्वालियर जिले के सभी 256 गांव खुले में शौच से मुक्त गांव की श्रेणी में आ गए हैं. ग्वालियर जिला पंचायत ने अभियान में जब्त किए गए लोटों को बकायदा सरकारी भंडारगृह में रखा है.

जिला पंचायत के परियोजना अधिकारी जय सिंह नरवरिया कहते हैं कि जब्त किए गए ये लोटे हमारे प्रयासों की हमेशा याद दिलाते रहेंगे. नरवरिया बताते हैं लोटे की प्रदर्शनी अपनी सफलता की कहानी बताने के लिए लगाई गई है.

नरवरिया ने बताया कि लोटा छिनने के लिए सोलह टीमें बनाई गईं थीं. इस टीम में सरकारी कर्मचारियों के अलावा स्थानीय महिलाएं एवं पुरूष भी रहते थे. लोटा छिनने का काम स्थानीय लोग ही करते थे. 

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सुबह चार बजे से शुरू होता था लोटा जब्त करने का अभियान

मध्यप्रदेश के अधिकांश गांवों में लोगों को खुले में शौच करने की आदत बनी हुई है. राज्य में पचास हजार से अधिक गांव हैं. अब तक सिर्फ 18579 गांव ही खुले में शौच से मुक्त हो पाए हैं.

स्वच्छ भारत मिशन में उपायुक्त अजीत तिवारी बताते हैं कि प्रदेश के गांवों को खुले में शौच से मुक्त करने के लिए कई तरह के प्रयास स्थानीय स्तर पर चल रहे हैं. इसमें लोटा छिनने का प्रयास भी एक है.

तिवारी कहते हैं कि हम प्रचार, प्रसार के जरिए लोगों की आदत बदलने की कोशिश कर रहे हैं. कई गांवों में खुले में शौच जाने के आदी लोगों के लोटों का पानी भी बच्चों की मदद से फैलाया गया.

खुले में शौच से होने वाले नुकसानों के बारे में भी बताया गया. स्थानीय पंचायतों की भूमिका इस काम में अहम होती है. पंचायत और ग्राम सभा की सहमति से खुले में शौच करने वाले लोगों पर आर्थिक दंड भी लगाया गया है.

ग्वालियर में दंड से साढ़े चार लाख रूपए की राशि मिली. इसका उपयोग सार्वजनिक शौचालय के निर्माण में किया गया है.

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पूरे गांव को माइक से बताया जाता खेत में कौन बैठा है

मध्यप्रदेश के आदिवासी बाहुल्य जिले बैतूल में स्थानीय सरपंच ने अपने गांव को खुले में शौच से मुक्त करने के लिए पिछले साल काफी दिलचस्प अभियान चलाया था.

इस अभियान में  स्वच्छता अभियान का प्रेरक मोबाइल के जरिए खेत में बैठे व्यक्ति का नाम बताते थे. सरपंच ने पंचायत भवन में एक माइक लगा रखा था. मोबाइल के स्पीकर को माइक के सामने रख पूरे गांव को सुनाया जाता था कि इस वक्त खेत में कौन व्यक्ति खुले में शौच कर रहा है.

मध्यप्रदेश के पंचायत कानून में पंच, सरपंच का चुनाव लड़ने  की पात्रता उन व्यक्तिों को ही जिनके घरों में साफ-सुथरे शौचालय हैं.

शौचालय होने पर ही मिलेगा कन्यादान योजना का लाभ

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सरकार की ओर से चलाई जा रही कई हितग्राही मूलक योजनाओं से टॉयलेट की अनिर्वायता जोड़ दिया गया है. सरकार ने अपने ताजा निर्णय में उन्हीं लोगों को कन्यादान योजना का लाभ देने का निर्णय लिया है, जिनके घर में शौचालय है. इसके लिए योजना का लाभ लेने वाले जोड़ों को शपथ पत्र  भी देना होगा. शपथ पत्र के साथ टॉयलेट के सामने खड़े होकर खिंचाई गई फोटो भी लगाना होगी.

चौहान सरकार की महत्वपूर्ण कन्यादान योजना में लाभ लेने के लिए हितग्राही को घर में टॉयलेट होने का शपथ पत्र अनिवार्य रूप से देना होगा. शपथ पत्र के साथ टॉयलेट के सामने खड़े हुए एक फोटो भी आवदेन में लगाना होगा. इसके पहले बिना सर्टिफिकेट के ही शादी करा दी जाती थी.

वर्ष-2005 से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कन्यादान और निकाह योजना की शुरुआत की थी. योजना के तहत प्रत्येक जोड़े को जेवर देने के लिए 3500 रुपए का बजट है. दुल्हन को पायल, बिछिया के साथ सुहाग की साड़ी दी जाएगी.

कन्यादान योजना के तहत दुल्हन को दिए जाने वाले मंगलसूत्र को हटा दिया गया है. योजना के तहत हिंदू व मुस्लिम रीति रिवाजों से हर साल एक लाख से अधिक शादियां प्रदेश में कराई जाती हैं.

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