एम करुणानिधि सिर्फ एक राजनेता ही नहीं बल्कि एक सफल लेखक भी थे. राजनीति में आने से पहले वह एक स्क्रिप्ट राइटर थे और इसी के कारण वह आम जनता के मुद्दों से भली भांति परिचित भी थे. अपना राजनीतिक सफर शुरू करने के पहले से ही वह आम जनता के दिल तक उतरने का रास्ता भांप चुके थे. और इसकी झलक उनकी लिखी स्क्रिप्ट में भी मिलती हैं. पढ़िए उनकी कुछ बेहतरीन स्क्रिप्ट्स के बारे में.
राजकुमारी (1947): इस फिल्म के दौरान करुणानिधि की उम्र महज 23 साल थी. पहली बार इस फिल्म में एमजी रामचंद्र (एमजीआर) के साथ काम किया था. जो बाद में करुणानिधि के कट्टर प्रतिद्वंदी बन गए.
परशक्ति (1952): फिल्म परशक्ति को द्रविड़ विचारधारा के लिए बेहद अहम माना जाता है. इस फिल्म में शिवाजी गणेशन हीरो थे. परशक्ति में ब्राह्मणवाद के खिलाफ बात की गई थी. इसकी वजह से कट्टरपंधी हिंदुओं का विरोध झेलना पड़ा. फिल्म को शुरुआत में सेंसर बोर्ड ने खारिज कर दिया था. इस फिल्म के साथ डीएमके की रणनीति भी साफ हुई कि वे किस राजनीतिक विचारधारा को बढ़ाने के लिए आए हैं.
मनोहरा (1954): यह एक महल के अंदर रचे जाने वाले षड्यंत्रों की कहानी है. जो राजनीति के भाग्य को बदलने की महत्वकांक्षा को दर्शाती है. इस फिल्म को अभी भी अपने गहन संवाद के लिए याद किया जाता है.
इरुवर उलम (1963): करुणानिधि न सिर्फ अच्छा व्यंग लिखते थे बल्कि वह कॉमप्लेक्स थीम और लोगों की पसंद के बीच अच्छा सामंजस्य बनाते थे. इस फिल्म में ऐसा देखने को मिलता है. जब दो प्रेमियों की कहानी के बीच बड़ी सहजता से समाज पर भी तंज कसे हैं.
पोन्नर शंकर (2011): यह करुणानिधि का आखिरी स्क्रीनप्ले था. इसमें प्रशांत ने अभिनय किया था. दो जुड़वा भाईयों की यह कहानी बॉक्स ऑफिस पर सुपर हिट रही.
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