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'बेटी मुस्लिम बने मंजूर है लेकिन शफीन से शादी मंजूर नहीं'

कोर्ट ने कहा कि अगर लड़की बालिग है तो सिर्फ उसकी सहमति ही जरूरी होती है

Updated On: Nov 03, 2017 12:01 PM IST

FP Staff

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'बेटी मुस्लिम बने मंजूर है लेकिन शफीन से शादी मंजूर नहीं'

सुप्रीम कोर्ट ने केरल में हिंदू लड़की हादिया और मुस्लिम लड़के शफीन की शादी के मामले में फैसला सुनाते हुए लड़की को 27 नवंबर को अदालत में पेश करने को कहा है. बेंच ने सुनवाई के दौरान नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) को फटकार लगाई है. चीफ जस्टिस ने हल्के अंदाज में सवाल किया, 'कानून में क्या कोई ऐसा नियम है कि कोई लड़की किसी अपराधी से प्यार नहीं कर सकती?

लड़की बालिग है तो सिर्फ सहमति जरुरी

कोर्ट ने कहा कि अगर लड़की बालिग है तो सिर्फ उसकी सहमति ही जरूरी होती है.उन्होंने कहा, 'जहां आतंकवादी मानसिकता का व्यक्ति है. मैं अपनी बेटी को उसकी पत्नी के तौर पर नहीं देख सकता. उसे मेरे घर में मुस्लिम की तरह रहने दिया जाए. और अगर वह चाहे तो किसी दूसरे मुस्लिम युवक से उसकी शादी करने दी जाए.'

उन्होंने ये भी दावा किया कि उनके पास शफीन के आतंवादियों से संबंध के सबूत भी हैं. समय आने पर वह उसे कोर्ट में पेश करेंगे. अशोकन ने कहा कि वह अपनी बेटी को 27 नवंबर को कोर्ट के सामने पेश करेंगे. आगे कोर्ट इस पर फैसला करेगी.

बेटी का मानसिक तौर पर किया किडनैप

अशोकन बताया कि मेरी बेटी को मानसिक तौर पर किडनैप कर लिया गया था. वह स्थिति की गंभीरता को नहीं समझ रही है. उसके लिए वह सीरिया इस्लाम पढ़ने के लिए जाना चाहती है. उसे नहीं पता कि आखिर वो लोग उसे सीरिया भेजने के लिए इतनी मेहनत क्यों कर रहे हैं. मुझे पूरा भरोसा है कि कोर्ट एनआईए रिपोर्ट सहित मामले के सभी पहलुओं पर गौर करेगी इसके बाद ही कोर्ट अपना फैसला सुनाएगी.

कार्यकर्ता राहुल ईश्वरन के साथ बातचीत वाले वीडियो में हादिया अपनी जान की भीख मांगती हुई दिखाई पड़ी थी. वीडियो में उसने अपने पिता पर खुद को मारने-पीटने का आरोप लगाया था. अशोकन ने इस वीडियो पर कहा, 'ये सब उसने(हादिया) नहीं बोला बल्कि ये उससे बुलवाया गया है. मुझे शक है कि उसने (शफीन) ही मेरी बेटी के ये सब बोलने के लिए कहा था.'

बेटी को मिलने से कभी नहीं रोका 

उन्होंने ये भी कहा कि उन्होंने अपनी बेटी को लोगों से मिलने से कभी नहीं रोका. उन्होंने कहा, 'वो किसी से भी बातचीत के लिए आजाद है. वो पुलिस के संरक्षण में लोगों से मिल सकती है. मैंने कभी उसे नहीं रोका. वह खुद ही लोगों से बातचीत नहीं करना चाहती. तो अब मैं इस पर क्या कर सकता हूं'?

पिता ने एनआईए की जांच को खारिज करने के लिए राज्य सरकार की आलोचना की. उन्होंने कहा कि कोई फर्क नहीं पड़ता कि कौन सत्ता में है. चाहे एलडीएफ या यूडीएफ हो, उनके शासन ने हमेशा पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) को आगे बढ़ाने में मदद की है. एनआईए ने कई मामलों को सुलझाया है तो सरकार उनसे बात क्यों नहीं करती.

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