नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने कहा है कि देश में प्राथमिक शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं पर उतना ध्यान नहीं दिया गया, लेकिन उन्होंने उम्मीद जतायी है कि आगामी लोकसभा चुनाव कुछ ‘अच्छे परिणाम’ लेकर आएगा.
उन्होंने दावा किया कि आयुष्मान भारत और राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा जैसे योजनाओं से देश में प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार नहीं हुआ है. शुक्रवार को एक कार्यक्रम में बोलते हुए सेन ने कहा, ‘केवल पैसा देने से प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं में मदद नहीं होगी. ये योजनाएं संकीर्ण सोच द्वारा निर्देशित होती हैं, जिसका मकसद केवल श्रेय लेना है.’
उन्होंने आरोप लगाया कि देश में स्वास्थ्य एवं शिक्षा के सुधार के लिए जो पैसे खर्च किए जा रहे हैं वह पर्याप्त नहीं हैं. नोबेल पुरस्कार विजेता ने कहा, ‘प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं की यहां अनदेखी की जा रही है .’
जो इसका खर्च वहन कर सकते हैं वह निजी अस्पतालों में जाते हैं क्योंकि सरकारी प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति अच्छी नहीं है .
उन्होंने हलांकि, उम्मीद जताई कि आगामी आम चुनाव कुछ ‘अच्छे परिणाम’ लेकर आएगा. प्रत्येक व्यक्ति को लोकसभा चुनाव का इंतजार है और हमे उम्मीद है कि परिणाम अच्छा होगा, देश विकास करेगा. मैं निराशावादी नहीं हूं. मुझे लोकतंत्र में भरोसा है.’
भारत और चीन के प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं की तुलना करते हुए उन्होंने कहा कि पड़ोसी मुल्क लोकतंत्र के बारे में हमसे सीख सकता है लेकिन ‘हमें पता लगाना होगा कि उनका आर्थिक विकास इतना तेज क्यों है.’
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