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भारत ने रोहिंग्या मुसलमानों के पहले जत्थे को भेजा म्यांमार, SC ने दखल देने से किया इंकार

म्यांमार वापस भेजे जा रहे सात रोहिंग्या लोगों को विदेशी कानून के उल्लंघन के आरोप में 29 जुलाई, 2012 को गिरफ्तार किया गया था

Updated On: Oct 04, 2018 01:34 PM IST

FP Staff

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भारत ने रोहिंग्या मुसलमानों के पहले जत्थे को भेजा म्यांमार, SC ने दखल देने से किया इंकार

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म्यांमार वापस जा रहे रोहिंग्या शरणार्थी सुबह 10:15 बजे तक मोरेह(म्यांमार-भारत बॉर्डर) पहुंच चुके थे. असम पुलिस एसडीपीओ ने म्यांमार की बॉर्डर के तरफ जाकर शरणार्थियों को उस तरफ ले जाने की बात कही थी, लेकिन उन्होंने 1 बजे यानी म्यांमार के समय अनुसार 2 बजे डीपोर्ट की जाने की बात कही गई.- courtesy Sunzu Bachaspatimayum

courtesy Sunzu Bachaspatimayum

courtesy Sunzu Bachaspatimayum

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अपने देश वापस लौट रहे रोहिंग्या शरणार्थियों में से एक ने कहा कि वह पिछले 6 साल 6 महीनों से भारत में रह रहा था- courtesy Sunzu Bachaspatimayum

 

देश के अलग-अलग राज्यों में गैर कानूनी तरीके से रह रहे रोहिंग्या मुसलमानों में से वो सात रोहिंग्या प्रवासी जो असम में रह रहे थे, उन्हें आज यानी गुरुवार को भारत सरकार ने वापस म्यांमार भेज दिया.

पुलिस द्वारा हिरासत में लिए जाने के बाद 2012 से ही ये लोग असम के सिलचर जिले के कचार सेंट्रल जेल में बंद हैं. केन्द्रीय गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि गुरुवार को मणिपुर की मोरेह सीमा चौकी पर सात रोहिंग्या प्रवासियों को म्यांमार के अधिकारियों को सौंपा जाएगा.

अधिकारी ने बताया कि म्यांमार के राजनयिकों को कॉन्सुलर पहुंच प्रदान की गई थी. उन्होंने इन प्रवासियों के पहचान की पुष्टि की. अन्य अधिकारी ने बताया कि पड़ोसी देश की सरकार के गैरकानूनी प्रवासियों के पते की रखाइन राज्य में पुष्टि करने के बाद इनके म्यामांर के नागरिक होने की पुष्टि हुई है.

पहली बार उठाया जा रहा है यह कदम

यह पहली बार है जब रोहिंग्या प्रवासियों को भारत से म्यामांर भेजा गया है. वहीं गुवाहाटी में असम के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (सीमा) भास्कर ज्योति महंता ने कहा कि विदेशी नागरिकों को वापस भेजने का काम पिछले कुछ समय से चल रहा है. इस साल की शुरूआत में हमने बांग्लादेश, म्यांमार और पाकिस्तान के कई नागरिकों को स्वदेश वापस भेजा है.

SC ने खारिज की इस कार्यवाही को रोकने की अर्जी

रोहिंग्या शर्णार्थियों को वापस उनके देश भेजने वाले  केंद्र के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अर्जी भी दायर की गई. जिसे सुप्रीम कोर्ट ने आज यानी गुरुवार को खारिज कर दिया.

केंद्र ने कोर्ट से कहा कि म्यांमार सरकार ने इन रोहिंग्या शर्णार्थियों को अपना नागरिक मान लिया है इसलिए हम इन्हें वापस भेजना चाहते हैं.

दुनिया का सबसे अधिक दमित अल्पसंख्यक बताया जाता है रोहिंग्या समुदाय

म्यांमार वापस भेजे गए सातों रोहिंग्या शरर्णाथियों को विदेशी कानून के उल्लंघन के आरोप में 29 जुलाई, 2012 को गिरफ्तार किया गया था. काचार जिले के अधिकारियों ने बताया कि जिन्हें वापस भेजा जाएगा उनमें मोहम्मद जमाल, मोहबुल खान, जमाल हुसैन, मोहम्मद युनूस, सबीर अहमद, रहीम उद्दीन और मोहम्मद सलाम शामिल हैं.इनकी उम्र 26 से 32 वर्ष के बीच है.

भारत सरकार ने पिछले साल संसद को बताया था कि संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी यूएनएचसीआर में पंजीकृत 14,000 से अधिक रोहिंग्या भारत में रहते हैं. हालांकि मदद प्रदान करने वाली एजेंसियों ने देश में रहने वाले रोहिंग्या लोगों की संख्या करीब 40,000 बताई है.

रखाइन राज्य में म्यांमार सेना के कथित अभियान के बाद रोहिंग्या लोग अपनी जान बचाने के लिए घर छोड़कर भागे थे. संयुक्त राष्ट्र रोहिंग्या समुदाय को सबसे अधिक दमित अल्पसंख्यक बताता है. मानवाधिकार समूह ‘एमनेस्टी इंटरनेशनल’ ने रोहिंग्या लोगों की दुर्दशा लिए आंग सान सू ची और उनकी सरकार को जिम्मेदार ठहराया है.

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