इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को तीन तलाक पर बड़ा फैसला सुनाते हुए इसे मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ क्रूरता बताया. दूसरी तरफ आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस फैसले को शरियत के खिलाफ बताया है. बोर्ड के अनुसार इस फैसले को वह कोर्ट में चुनौती देंगे. दो याचिकाओं की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि कोई भी पर्सनल लॉ संविधान से ऊपर नहीं है. यहां तक कि पवित्र कुरान में भी तलाक को सही नहीं माना गया है.
हाईकोर्ट ने बुलंदशहर की हिना और उमरबी द्वारा दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह बात कही. 24 साल की हिना की शादी 53 साल के एक व्यक्ति से हुई थी जिसने उसे बाद में तलाक दे दिया. जबकि उमरबी का पति दुबई में रहता है जिसने उसे फोन पर तलाक दे दिया था. जिसके बाद उसने अपने प्रेमी के साथ शादी कर ली थी.
जब उमरबी का पति दुबई से लौटा तो उसने हाईकोर्ट में कहा कि उसने तलाक दिया ही नहीं. उसकी पत्नी ने अपने प्रेमी से शादी करने के लिए झूठ बोला है. इस पर कोर्ट ने उसे एसएसपी के पास जाने को कहा.
हंदवाड़ा में भी आतंकियों के साथ एक एनकाउंटर चल रहा है. बताया जा रहा है कि यहां के यारू इलाके में जवानों ने दो आतंकियों को घेर रखा है
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Dec 8, 2016
मुस्लिम महिलाओं पर तीन तलाक की वजह से कैसा जुल्म हो रहा है. इसका एक नमूना मध्यप्रेदश के देवास जिले की मुस्लिम महिला शबाना शाह हैं. मध्य प्रदेश के देवास जिले की मुस्लिम महिला शबाना ने कुछ दिन पहले सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को अपने खून से खत लिखकर इंसाफ मांगा था.
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मैं इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत करती हूं. यह सही है कि तीन तलाक असंवैधानिक है और इसे खत्म किया जाना चाहिए: ज़किया सोमन
तीन तलाक पर फैसले की तारीफ करते हुए बीजेपी नेता मीनाक्षी लेखी ने इसे एक प्रगतिशील फैसला बताया है.
इस्लाम महिलाओं को लेकर सबसे उदार धर्मों में है. तलाक शरीया कानून का हिस्सा हैं, उसमें दखल नहीं होनी चाहिए: कमाल फारुकी
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तीन तलाक पर बहस कहीं न कहीं यूनिफॉर्म सिविल कोड से जुड़ जाती है.
तस्लीमा नसरीन ने 2 दिसंबर को एक ट्वीट किया था- देश में कई प्रगतिशील मुस्लिम तीन तलाक के विरोधी हैं और साथ ही समान सिविल कोड के भी खिलाफ हैं. वह समझदार होना चाहते हैं लेकिन ज्यादा नहीं.
नूरजहां नियाज़ और ज़किया सोमन भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन की सह-संस्थापक हैं. उन्होंने फर्स्टपोस्ट के लिए एक लेख में लिखा था, 'बोर्ड का सुप्रीम कोर्ट में जो हलफनामा दाखिल करके तीन तलाक को जायज ठहराना विशुद्ध रूप से पितृसत्ता से निकला क्रूर मजाक है. दरअसल उन्हें तीन तलाक के रूप में होने वाली हिंसा और अन्याय की जमीनी स्थिति के बारे में कुछ भी अंदाजा नहीं है.'
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तीन तलाक पर बड़ा फैसला सुनाया है. इसे मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ क्रूरता बताया है. वहीं आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस फैसले को शरियत के खिलाफ बताया है. बोर्ड अब इस फैसले को सर्वोच्च अदालत में चुनौती देगा. तीन तलाक के मुद्दे पर ही तुफैल अहमद ने विस्तार से लिखा था. आप इस मसले को इस लेख के जरिए समझ सकते हैं.
तीन तलाक का मुद्दा: इस्लाम की नहीं मुसलमानों की फिक्र करें
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इस फैसले के खिलाफ आज ही अपील दायर करेगा: टाइम्स नाउ
प्रदेश18 से बातचीत में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य और इस्लामिक विद्वान खालिद रशीद फिरंगी महली ने इस फैसले को शरियत कानून के खिलाफ बताया है. उन्होंने कहा हमारे मुल्क के संविधान ने हमें अपने पर्सनल लॉ पर अमल करने की पूरी-पूरी आजादी दी है. इस वजह से हमलोग इस फैसले से मुत्तफिक नहीं है.
हाईकोर्ट ने कहा तीन तलाक की इस्लामिक कानून गलत व्याख्या कर रहा है. तीन तलाक महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों का हनन है.
दो याचिकाओं की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि कोई भी पर्सनल लॉ संविधान से ऊपर नहीं है. यहां तक कि पवित्र कुरान में भी तलाक को सही नहीं माना गया है.
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस फैसले को शरियत के खिलाफ बताया है. बोर्ड के अनुसार इस फैसले को वह कोर्ट में चुनौती देंगे.