महाराष्ट्र के यवतमाल जिले के 13 गांवों के 20,000 से ज्यादा लोग खौफ में जी रहे हैं. यहां के रालेगांव इलाके में लोग घरों से बाहर कदम रखने में डर रहे हैं. डर की वजह और कोई नहीं बल्कि 'अवनी' है. आप सोच रहे होंगे ये अवनी कौन है, इसने ऐसा क्या किया है?
कौन है 'अवनी'
दरअसल अवनी एक बाघिन है, जो आदमखोर बन चुकी है. उसने 13 से ज्यादा लोगों की जान ली है और अभी भी खुलेआम अपने नए शिकार की तलाश में घूम रही है. इसे पकड़ने के लिए वन विभाग के 100 से ज्यादा अधिकारी, गार्ड्स, ट्रेंक्यूलाइजिंग एक्सपर्ट्स, शूटर्स, ट्रैकर्स और रेस्क्यू टीम के लोग जुटे हुए हैं. लेकिन T1 यानी 'अवनी' किसी के हाथ नहीं आ रही.
राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से लगाई गुहार
हमारे देश में बाघों की आबादी बढ़ रही है. लेकिन आज भी ये इतनी नहीं है कि हम एक भी बाघ को खोने का नुकसान उठा सकें. इसी के चलते हजारों लोग राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक से अवनी को बचाने की गुहार लगा रहे हैं. ट्विटर पर लोग #LetAvniLive के साथ ढेरों ट्वीट कर रहे हैं. अवनी और उसके बच्चों को बचाने के लिए काफी प्रयास किए जा रहे हैं.
We appeal to the Honourable Prime Minister of India to support wildlife. Please, Sir, step in & stop the 'shoot-to-kill' order on Avni, the Tigress T1. She is a mother of 2 young cubs. She has a mate, T1. Please support us and #LetAvniLive. Our petition - https://t.co/nJ8MibCi2B
— Let Avni Live (@letavnilive) October 2, 2018
In solidarity with the environmentalists trying to save the Tigress T-1 (urf Avni). Requesting the state govt to not kill & if need be, only tranquilize T-1. Please follow @LetAvniLive for more details. #LetAvniLive pic.twitter.com/I5WmMFGKxM
— वरुण (@varungrover) October 3, 2018
नागपुर में कई सौ एक्टिविस्टों ने मार्च भी निकाला. वन विभाग द्वारा अवनी को मारने के लिए रखे गए प्राइवेट हंटर का लोग पुरजोर विरोध कर रहे हैं. लोगों का कहना है कि वन विभाग बाघिन को मारना चाहता है, जब कि वो उसे ट्रेंक्यूलाइज कर बचाना नहीं चाहता.
@Dev_Fadnavis @CMOMaharashtra why are planning to kill Avni tigress. instead of that why cant we rehabilitate her and her family. #LetAvniLive #SpeakUpForAvni #StopTheStupidity @PMOIndia @UN
— Rohan Ramesh More (@rohan_2003) October 4, 2018
कहां से शुरू हुई प्रॉब्लम
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, बाघिन अवनी ने इनसान का पहला शिकार जून 2016 में किया, जिसके बाद अगस्त 2018 तक 13 लोगों को उसने मारा. महाराष्ट्र पीसीसीएफ एके मिश्रा ने बताया कि हम बाघिन को ट्रैक करने और ट्रेंक्यूलाइज करने का प्रयास पिछले आठ महीनों से कर रहे हैं. लेकिन जब अगस्त में तीन और गांव वालों की मौत हुई. तो पिछले आदेश को रद्द कर दिया गया और नया आदेश दिया गया कि अगर ट्रेंक्यूलाइज नहीं कर पाते हैं, तो उसे गोली मार दी जाए.
क्या 'अवनी' आदमखोर है?
वहीं 'अवनी' को बचाने के लिए सड़कों पर उतरे एक्टिविस्टों का कहना है कि बाघिन आदमखोर नहीं है. वन विभाग के पास इस बात के ठोस सबूत नहीं है कि 13 लोगों की मौत के लिए 'अवनी' जिम्मेदार है. वन्यजीवन से प्यार करने वाले जेरियल बैनट ने इसे लेकर दो बार कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. उन्होंने कहा कि डीएनए की पहचान नहीं हुई है और साइंटिफिक डेटा भी मौजूद नहीं है. सबूत पैरों के निशान और कैमरा ट्रैप के आधार पर जुटाए जा रहे हैं. इसका ये मतलब नहीं है कि वो आदमखोर है.
Please sign & share this important Petition https://t.co/BLJCh0dc1x Help saving Tigress Avni and her cubs from being killed by @MahaForest Minister #LetAvniLive #SpeakUpForAvni pic.twitter.com/kZ0HK6Q64z
— Jeanette Leinweber (@LilEarthwoman) October 1, 2018
कोर्ट में क्या कुछ हुआ
बैनट ने कहा कि उस इलाके में अवनी और उसके दो बच्चों के अलावा सात और बाघ भी घूम रहे हैं. जब बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने बैनट व अन्य एक्टिविस्टों की याचिकाएं खारिज कर दी, तब उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखा.
क्यों हो जाते हैं बाघ आदमखोर
मशहूर शिकारी और बाद में बाघों के सबसे बड़े संरक्षक बने जिम कॉर्बेट ने अपनी एक किताब 'मैन ईटर्स ऑफ कुमाउं' में बाघों के साथ मुठभेड़ के कई किस्सों का जिक्र किया है. उन्होंने कहा है कि जब भी वो किसी बाघ को गोली मारते थे, तो उन्हें बेहद दुख होता था. कॉर्बेट ने किताब में जिन आदमखोर बाघों का जिक्र किया, उनमें से इक्के-दुक्के बाघ को छोड़ दें, तो हर बाघ किसी न किसी चीज से परेशान था.
उन्होंने बताया था कि ज्यादातर मामलों में कोई टाइगर या लैपर्ड तभी आदमखोर बनता है, जब वो अपना प्राकृतिक शिकार नहीं कर पाता है. 436 लोगों को मारने वाली चंपावत की मैन ईटर ने भी इनसानों को अपना शिकार इसलिए बनाया था, क्योंकि उसके दांत में चोट थी और वो हिरण, सांबर और वाइल्ड बोर (जंगली सुअर) जैसे अपने प्राकृतिक शिकार को मारने के लिए फिट नहीं थी.
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