लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव के शादी समारोह में शरीक होने वाले लोग आपस में यह सवाल पूछ रहे हैं- आप कल खाना खाए कि नहीं? 'खाना तो नहीं खाए, हां, नाक और कनपटी पर दो घूंसा जरूर खा लिए.'
ऐसा क्यों?
'विवाह समारोह में भोजन लूटने के लिए लालू यादव के समर्थक आपस में उलझ पड़े यानी लड़ने लगे. मैंने देखा कि इसका अच्छा विजुवल बनेगा. सो अपना ड्यूटी बजाने लगा. इसी बीच एक अधेड़ शख्स ने वहां आकर दो थप्पड़ जड़ दिया और डांटते-डपटते हुए कहा, अगर फिर फिल्म बनाने का प्रयास करोगे तो मार कर मलपट (जबड़ा) तोड़ देंगे. मैं अपना कैमरा वैगरह कंधे पर लेकर सरपट भागा और एक ही सांस में दफ्तर आ गया.'
'शाही शादी' में अव्यवस्था और कुव्यवस्था का बोलबाला
यह कथन इलेक्ट्रानिक मीडिया के एक कैमरामैन का है जो शनिवार रात तेज प्रताप यादव के मैरिज सेरेमनी को कवर करने के लिए पटना के वेटनरी ग्राउंड गया था. उसने फ़र्स्टपोस्ट को बताया कि 'तीन और पत्रकार भी पिटते-पिटते बचे हैं. खैर मनाइए कि वो लोग भी मेरी तरह अपना इक्विपमेंट समेटकर जल्द ही वेन्यू से रफूचक्कर हो गए. यदि थोड़ी देर और वहां रूकते तो उन तीनों की पिटाई निश्चित थी क्योंकि उनपर आरजेडी विरोधी होने का स्टांप (लेबल) है.'
हकीकत है कि साढ़े 9 बजे रात के बाद बिहार के इस ‘शाही शादी’ में वीआईपी फूड एरिया 'फ्री फॉर ऑल' हो गया था. यहां कुव्यवस्था ने ही व्यवस्था की शक्ल ले ली थी. कोई कुल्फी लेकर भाग रहा था तो कोई लिट्टी-चोखा अपने गमछे में समेट रहा था. कोई रस-बूंदिया (बिहार की एक प्रसिद्ध रसीली मिठाई) पॉलीथीन में ठूंस रहा था तो कोई कटोरे में गुलाब जामुन भर रहा था. इसी प्रकार कोई आगंतुक खाने की खोज में खाली प्लेट लेकर घूम रहा था तो कोई चम्मच हाथ में लेकर डेजर्ट के लिए खालिस दूध की बनी राबड़ी तलाश रहा था.
कानपुर से आए एक कैटरर ने जब यह दृश्य अपनी आंखों से देखा तो वो चकरा गया और बिना लाग-लपेट के बोला, 'बिहार के बारे में मैंने सुन रखा था, अखबारों में पढ़ा था लेकिन आज साक्षत दर्शन भी कर लिया.' उसने आगे कहा, 'लालू जी को जब इतने लोगों को शादी में बुलाना था तो मात्र 10 हजार आदमियों का ही भोजन नहीं बनवाना चाहिए था.' उसने बताया कि अब रसोईघर में कुछ नहीं बचा है. खाने की सारी सामग्री खत्म हो चुकी है. सूचना के अनुसार ‘कृष्णावतार’ तेज प्रताप यादव की शादी में सैकड़ों प्लेट टूटे पड़े हैं और हजारों की संख्या में चम्मच गायब हैं. हर एंगल से शादी का मजमा रैली का बोध करा रहा था.
तेज प्रताप की शादी में उमड़ आए थे लगभग 40 हजार लोग
स्थानीय टेलीग्राफ अखबार के अनुसार लगभग 40 हजार लोग लालू के लाल की शादी में बतौर बराती शामिल हुए थे. राज्य के हिंदी अखबारों ने भी भारी भीड़ का जिक्र किया है. आम लोगों के खाने के लिए अलग व्यवस्था की गई थी जहां किसी को कोई दिक्कत नहीं थी. बहुत सारे लोग भी यहां नहीं दिख रहे थे. कई वीवीआईपी भी यहीं फूड इटींग करते दिखे.
बहरहाल, कहते हैं कि लालू यादव ने फरमान जारी कर रखा था कि खास लोगों के लिए खाने के स्टाल्स को लड़का-लड़की (तेज प्रताप-एश्वर्या) के जयमाल के बाद शुरू किया जाएगा. जयमाल के बाद जब आरजेडी सुप्रीमो प्रस्थान कर गए तो उनके हनुमान और पार्टी के विधायक भोला यादव एक नेता से कुछ इस प्रकार बोले, 'चलिए यहां से, हमलोग भी उड़ें नहीं तो पिसा (फंस) जाएंगे. भीड़ ऑउट ऑफ कंट्रोल हो रहा है. सब खाने के शामियाने की तरफ ही देख रहे हैं.'
सच में ऐसा ही हुआ, लालू यादव जैसे ही गए आम लोग भोजन पर वैसे ही टूट पड़े जैसे कोई अपने दुश्मन पर हमला बोलता है. फ़र्स्टपोस्ट के तहकीकात पर यह असलियत सामने आई कि आम और खास लेागों के खाने का जो प्रबंध किया गया था वो सब एक समान था. दोनों जगह एक ही प्रकार की खाद्य सामग्री रखी गई थी. लेकिन भीड़ इस अफवाह की शिकार हो गई कि खास के लिए विशेष आइटम हैं और आम लोगों के लिए ऑर्डिनरी अरेंजमेंट किया गया है.
लालू परिवार का यह निजी समारोह नेचर में पॉलीटिकल ज्यादा दिख रहा था. इसमें बिना निमंत्रण के 80 प्रतिशत से अधिक लोग जुटे थे. जिनका सिर्फ दो सूत्री काम था- पहला, कार्यक्रम के बीच बीच में लालू यादव जिंदाबाद और तेजस्वी यादव जिंदाबाद का नारा लगाना. और दूसरा- जमकर खाना-पीना. यह दोनों ही काम आगंतुकों ने दिल से किया.
मीसा भारती की शादी के वक्त भी बारातियों पर लाठी भांजी गई थी
पाठकों को यह बताना जरूरी है कि 1999 में लालू यादव की सांसद बेटी मीसा भारती की शादी के वक्त भी लाठी भांजी गई थी. इसमें कई बाराती और घराती (वधू पक्ष के लोग) जख्मी हुए थे. यहां तक कि दूल्हे शैलेश कुमार के सगे मामा का सिर भी फूट गया था. वधू पक्ष की इस हरकत से बाराती रूठ गए थे. तब आरजेडी प्रमुख खुद जनवासा जाकर नाराज बारातियों को मनाकर मंडप लेकर लाए थे.
इस ‘शाही शादी’ में जो भी छोटी-मोटी अप्रिय वारदातें हुईं उसके लिए कतई लालू यादव या उनके परिवार के लोग जिम्मेदार नहीं ठहराए जा सकते हैं. वैसे आरजेडी के ही कुछ बुर्जुग नेताओं का मानना है कि 'किसी भी जलसे में इस प्रकार की घटनाओं का घटित होना शगुन माना जाता है.'
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