उन्नाव-कानपुर क्लस्टर में टेनरियों को दिसंबर और मार्च के दौरान कामकाज बंद रखने के आदेश के बाद, उत्तर प्रदेश सरकार ने हाल ही में राज्य के पश्चिमी इलाके में कपड़ा मिलों, पेपर मिलों, बूचड़खानों और डिस्टिलरी सहित अन्य औद्योगिक इकाइयों पर अपने आदेश का विस्तार कर दिया है. इस आदेश का मकसद है 15 जनवरी से 4 मार्च के दौरान प्रयागराज में होने वाले अर्ध कुंभ मेले के दौरान गंगा नदी में स्नान के योग्य साफ पानी का बहाव सुनिश्चित करना.
यह आदेश अर्ध कुंभ 2019 में आने वाले साधुओं और तीर्थयात्रियों के लिए पवित्र स्नान में राहत देने वाला हो सकता है, लेकिन इसने इन औद्योगिक इकाइयों पर आजीविका के लिए निर्भर करने वालों, जिसमें मालिक और मजदूर दोनों शामिल हैं, को परेशानी में डाल दिया है. गन्ना पेराई सीजन के बीच सरकार के इस कदम से, डिस्टिलरियों को भारी नुकसान होना तय है, जिसका खामियाजा अंत में किसानों को भी भुगतना होगा.
गंगा की सफाई बीजेपी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता रही है, जिसने 2014 में 20,000 करोड़ रुपए के बजट और 2019 की डेडलाइन के साथ नमामि गंगे परियोजना शुरू की थी, जिसे अब वर्ष 2020 तक बढ़ा दिया गया है. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने अपने 6 अगस्त, 2018 के आदेश में कहा है कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा पेश जानकारी के अनुसार, नदी के विस्तार में 70 मॉनीटरिंग प्वाइंट्स में से सिर्फ 5 का पानी पीने लायक है और सिर्फ 7 प्वाइंट्स पर नहाने के लायक है. एनजीटी ने सीपीसीबी और उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) से कहा है कि वो गोमुख नदी से गंगा सागर के बीच गंगा नदी के रास्ते में हर 100 किलोमीटर पर पानी की गुणवत्ता की जानकारी डिजिटल बोर्ड के माध्यम से प्रदर्शित करे.
इसी आदेश में, एनजीटी ने जाजमऊ और कानपुर के पास गंगा में क्रोमियम की ज्यादा मात्रा का भी जिक्र किया था. इस क्षेत्र में, जहां टेनरियां प्रदूषण का मुख्य स्रोत रही हैं, अपशिष्ट ट्रीटमेंट की क्षमता में सुधार करने में नाकाम रहने पर राज्य सरकार ने इन्हें तब तक के लिए बंद करना ठीक समझा जब तक कि अर्धकुंभ खत्म नहीं हो जाता.
यह भी पढ़ें: Kumbh 2019: सुरक्षा व्यवस्था में नहीं छोड़ी कोई कसर, चप्पे-चप्पे पर रखी जा रही है निगरानी
यूपी सरकार की तरफ से नवंबर में आदेश जारी किए जाने के बाद बिजनौर, मुजफ्फरनगर, मेरठ, हापुड़ और गाजियाबाद के आसपास की डिस्टिलरियों में काम ठप हो गया है. बाद में इसी साल जनवरी में मेरठ और बागपत की कुछ औद्योगिक इकाइयों के भी रोस्टर लागू कर दिया गया. रोस्टर के मुताबिक, जनवरी में उद्योगों को 12, 13, 14 और 21 तारीख को काम बंद रखना होगा. फरवरी में कामबंदी की तारीखें 1 से 4, 10 से 12, 19, 23 से 28 मार्च और 4 मार्च हैं. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मेरठ रीजन के रीजनल अधिकारी आरके त्यागी कहते हैं कि, इस रोस्टर के मुताबिक उद्योगों को बंद करना होगा. त्यागी कहते हैं, 'रोस्टर का पालन नहीं करने पर गंभीर नतीजे होंगे.'
उद्योगपतियों में क्यों बढ़ रही है निराशा?
हापुड़ की सिंभावली शुगर लिमिटेड के मुख्य महाप्रबंधक राजेश कुमार का कहना है कि तीन महीने की बंदी क्षेत्र में उद्योगों को अपंग बना देने के लिए काफी है. उनका कहना है कि सभी प्रदूषण नियंत्रण मानदंडों जैसे कि औद्योगिक इकाइयों में 24X7 लाइव कैमरे लगाना और जीरो लिक्विड डिस्चार्ज (जेडएलडी) को लागू करने के बावजूद काम बंद करने को कहा गया है. इससे उद्योगपतियों में निराशा है.
यूपी सरकार के लाइसेंस मानदंडों के अनुसार, खासकर प्रदूषण नियंत्रण (पीयूसी) प्रमाण पत्र सिर्फ उन औद्योगिक इकाइयों को जारी किया जाएगा जो लाइव कैमरा लगाते हैं और पारदर्शिता बनाए रखने के लिए संबंधित सरकारी प्राधिकरण के साथ अपने आईपी एड्रेस को साझा करते हैं. इस कदम के पीछे सोच उन इकाइयों पर नजर रखना है, जो प्रदूषण नियंत्रण मानदंडों का पालन करने में नाकाम रहती हैं. राजेश कुमार का कहना है कि पेराई सत्र के दौरान, नजर रखा जाने वाला तात्कालिक उत्पाद मोलासेज होता है, जिसका उपयोग डिस्टिलरी में किया जाता है. 'कल्पना कीजिए कि अगर मोलासेज का उत्पादन नहीं किया जा सकता तो हम क्या करेंगे.'
यह भी पढ़ें: चुनावी साल में शिक्षा और स्वास्थ्य से ज्यादा कुंभ मेले पर योगी सरकार का ध्यान
उनका कहना है कि सरकार के साथ हुए समझौते के तहत सभी चीनी मिल दैनिक आधार पर तेल कंपनियों को एथनॉल की सप्लाई करती हैं और ऐसा करने में नाकाम रहने पर रोजाना करीब 10 फीसदी का जुर्माना लगता है. सरकारी दिशा-निर्देशों के अनुसार पेट्रोलियम कंपनियां इस एथनॉल को पेट्रोल के साथ मिलाती हैं. चीनी उद्योग पहले से ही संकट में है, अस्थायी बंदी से शराब और तेल के उत्पादन पर असर पड़ने की आशंका है, जिससे राजस्व का नुकसान होगा जो करोड़ों में होगा.
मुजफ्फरनगर स्थित डिस्टिलरी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम नहीं छापने का अनुरोध करते हुए कहा कि केवल उन्हीं औद्योगिक इकाइयों को बंद किया जाना चाहिए, जो गंगा में प्रदूषणकारी तत्व छोड़ती हैं. वो कहते हैं, 'हम पहले से ही हर मानदंड का पालन कर रहे हैं और हमने जीरो लिक्विड डिस्चार्ज पर करोड़ों रुपए का निवेश किया है. यह आदेश सिर्फ उत्पीड़न है. हमारा सवाल है कि क्या स्थानीय निकाय इन नियमों का पालन करता है? क्या लोग प्रदूषण नहीं करते हैं? सभी जानते हैं कि क्या हो रहा है और कौन कर रहा है. प्रदूषण पर काबू पाने के लिए दूसरे क्षेत्रों पर भी ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए, केवल उद्योग ही क्यों?'
जेडएलडी एक आधुनिक वाटर ट्रीटमेंट प्रक्रिया है जो किसी औद्योगिक प्रक्रिया के बाद अपशिष्ट मिले जल को शुद्ध और रिसाइकिल करती है, जिसके बाद उसमें जीरो लिक्विड वेस्ट बचता है.
वर्क फोर्स का नुकसान
मेरठ के दौराला में ट्रांसपोर्ट और लेबर ठेकेदार चंदेर बताते हैं औद्योगिक इकाइयों में काम करने वालों को मुश्किलों का सामना कर पड़ रहा है. 'चीनी मिलों में काफी काम सीजनल होता है और इसके अनुसार कर्मचारियों को काम पर रखा जाता है. इनमें दोनों तरह के कर्मचारी होते हैं- ठेके पर और नियमित नौकरी पर. नियमित नौकरी वाले एक हद तक आर्थिक रूप से सुरक्षित हैं, लेकिन ठेके पर काम करने वालों का क्या? चंदर कहते हैं, 'उन्हें काम के हिसाब से भुगतान किया जाता है.'
वो बताते हैं कि इसी तरह ट्रांसपोर्ट उद्योग को नुकसान उठाना पड़ रहा है, क्योंकि पेराई सत्र के दौरान टैंकरों और ट्रकों की मांग ज्यादा होती है. उनका कहना है कि अगले कुछ महीनों तक उत्पादन नहीं होने का मतलब है कि टैंकरों की मांग भी नहीं होगी.
यह भी पढें: कुंभ मेला 2019: जहां आस्था और धर्म किसी एक पंथ, ग्रंथ या रीति के दायरे में नहीं हैं
यूपीपीसीबी के मुख्य पर्यावरण अधिकारी टीयू खान का कहना है कि औद्योगिक इकाइयों में कामकाज बंद करने का आदेश संबंधित विभागों द्वारा जारी किया गया है और पीसीबी इसको लागू किए जाने पर सही तरीके से निगरानी कर रहा है. खान कहते हैं, 'हमारे सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट पूरी क्षमता से काम कर रहे हैं और औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले कचरे से निपटने के लिए काफी हैं, लेकिन कई इकाइयां ऐसी भी हैं जो पहले अपने कचरे को सीधे गंगा नदी में डाल देती थीं.
उत्तर प्रदेश जल निगम के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि जाजमऊ, हापुड़ और गाजियाबाद में एसटीपी प्रभावी रूप से काम कर रहे हैं. वो कहते हैं कि कुछ समय पहले तक जाजमऊ एसटीपी पूरी तरह से काम नहीं कर था, लेकिन अब इसकी मरम्मत के लिए पैसा जारी कर दिया गया है.
टेनरियों को भी खामियाजा भुगतना पड़ा
स्मॉल टेनरीज एसोसिएशन (जाजमऊ) के अध्यक्ष हफीजुर रहमान का कहना है कि सरकार का आदेश हजारों मजदूरों को भोजन और अन्य बुनियादी जरूरतों से महरूम कर देगा. रहमान बताते हैं, 'हमारी टेनरियां 18 नवंबर से बंद हैं. हमने इसे जनवरी के पहले हफ्ते में एक हफ्ते के लिए खोला था, जब अधिकारियों ने हमें बताया था कि हम 50 प्रतिशत तक की क्षमता पर परिचालन कर सकते हैं. लेकिन हमें फिर से हमारी इकाइयों को बंद करने के लिए कहा गया. यह फैसला हमारे उद्योग को मार रहा है और हम नहीं जानते कि कैसे जिंदा रहेंगे. मैं जल निगम को इसके लिए जिम्मेदार ठहराता हूं क्योंकि वो अपशिष्ट जल को ट्रीट करने में सक्षम नहीं हैं. उन्हीं की वजह से हजारों मजदूर परेशान हैं.'
लखनऊ में अर्थशास्त्री ओपी तिवारी मानते हैं कि पाबंदी का औद्योगिक इकाइयों पर औद्योगिक उत्पादन पर प्रतिकूल असर पड़ेगा. तिवारी कहते हैं कि इस फैसले से जीएसडीपी (सकल राज्य घरेलू उत्पाद) में कमी हो सकती है, जिसका असर निश्चित रूप से राष्ट्रीय आय पर भी पड़ेगा, क्योंकि देश की अर्थव्यवस्था में उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था बड़ा हिस्सा है.
यह भी पढ़ें: महाकुंभ के मुकाबले तीन गुना और यूपी के हेल्थ बजट के बराबर है इस बार कुंभ मेले की लागत!
तिवारी कहते हैं कि इस आदेश से उद्योगों में काम करने वाले दिहाड़ी मजदूरों की कमाई पर असर पड़ेगा, 'विकास की प्रक्रिया में औद्योगिक उत्पादन के संदर्भ में सिर्फ आर्थिक समृद्धि शामिल नहीं है. इसमें पर्यावरण के बारे में सोचना भी महत्वपूर्ण कारक है और हमें नहीं भूलना चाहिए कि गंगा इस देश की जीवनरेखा है और आस्था का मुद्दा भी है, इसलिए इसे साफ करना सरकार की जिम्मेदारी है.'
उत्तर प्रदेश लेदर इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष अनवारुल हक का कहना है कि टेनरियों पर एकमुश्त पाबंदी का असर इन इकाइयों में लगे 4 लाख से ज्यादा मजदूरों की जिंदगी पर पड़ा है और कई लोग जो रोजगार की तलाश में कानपुर-उन्नाव छोड़ गए हैं, वो शायद लौट कर ना आएं… 'चिंता की बड़ी वजह यह है कि विदेशी खरीदार जो हमसे आपूर्ति के इंतजार में थे, वो अब दूसरे उपायों, खासतौर पर हमारे पड़ोसी देशों की ओर देख रहे हैं.'
(लेखक लखनऊ स्थित फ्रीलांस राइटर हैं और जमीन से जुड़े अखिल भारतीय पत्रकारों के नेटवर्क 101Reporters.com के सदस्य हैं)
(कुंभ पर हमारी स्पेशल वीडियो सीरीज देखने के लिए यहां क्लिक करें. इस सीरीज के पहले पार्ट में जानें कि कैसे कुंभ के लिए प्रयागराज में एक पूरा शहर बसाया गया है और प्रशासन ने कैसी हाईटेक व्यवस्था की है, देखिए- KUMBH 2019: It's More Than a Mela)
हंदवाड़ा में भी आतंकियों के साथ एक एनकाउंटर चल रहा है. बताया जा रहा है कि यहां के यारू इलाके में जवानों ने दो आतंकियों को घेर रखा है
कांग्रेस में शामिल हो कर अपने राजनीतिक सफर की शुरूआत करने जा रहीं फिल्म अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर का कहना है कि वह ग्लैमर के कारण नहीं बल्कि विचारधारा के कारण कांग्रेस में आई हैं
पीएम के संबोधन पर राहुल गांधी ने उनपर कुछ इसतरह तंज कसा.
मलाइका अरोड़ा दूसरी बार शादी करने जा रही हैं
संयुक्त निदेशक स्तर के एक अधिकारी को जरूरी दस्तावेजों के साथ बुधवार लंदन रवाना होने का काम सौंपा गया है.