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Kumbh 2019: सुरक्षा व्यवस्था में नहीं छोड़ी कोई कसर, चप्पे-चप्पे पर रखी जा रही है निगरानी

जानकारियों के आधार पर राज्य-सरकार ने यूपी एटीएस को भी इस आयोजन में शामिल किया हुआ है. एटीएस ने मेला स्थल की निगरानी के लिए 54 कमांडो वाली दो यूनिट को तैनात किया है.

Updated On: Jan 17, 2019 10:40 PM IST

Kamal Bhargava

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Kumbh 2019: सुरक्षा व्यवस्था में नहीं छोड़ी कोई कसर, चप्पे-चप्पे पर रखी जा रही है निगरानी

गंगा, यमुना और सरस्वती के समागम स्थल संगम पर 15 जनवरी को अर्धकुंभ मेले की शुरूआत हुई है. ये मेला 4 मार्च तक चलेगा. ऐसी उम्मीद है कि इस साल मेले में देश और दुनिया से करीब 12.5 करोड़ तीर्थयात्री और पर्यटक पहुंचेंगे. प्रयागराज के संगम तट पर जिस अस्थाई टेंट नगरी का निर्माण किया गया है, वो 32 हजार हेक्टेयर या 32 स्कावॉयर किमी में फैला हुआ है. इस टेंट नगरी को 9 जोन और 20 सेक्टर में बांटा गया है, जिसे हर वक्त चौकस सुरक्षा और आपातकालीन सुविधाओं की जरूरत है. हालांकि, राज्य सरकार ने मेले की सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी सीआईएसएफ यानि केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल को दिया है, लेकिन उसके बावजूद अन्य सुरक्षा बल जैसे नेश्नल सिक्योरिटी गार्ड्स (एनएसजी) और उत्तर प्रदेश एंटी टेररिज्म स्कॉड (एटीएस) और यूपी पुलिस की भी तैनाती प्रयागराज में की गई है, ताकि 49 दिनों तक चलने वाले इस मेले में किसी तरह की कोई परेशानी या दिक्कत का सामना न करना पड़े और मेले का सकुशल आयोजन हो सके.

प्रयागराज मेला के आधिकारिक कार्यालय के मुताबिक मेले में यूपी पुलिस के 30 हजार से भी ज्यादा सिपाही, पीएसी की 20 कंपनियां, सीएपीएफ की 54 कंपनियां, एनडीआरएफ की 10 कंपनियां और एसडीआरएफ यानि स्टेट डिजास्टर रिस्पॉन्स फोर्स की 01 कंपनी, एनएसजी की एक स्पेशल टीम, 06 हजार होमगार्ड, डॉग स्कॉड की 15 टीम, और कम से कम 20 कंपनियां संयुक्त रूप से बम का पता लगाने और बम निरोधी दस्ता और तोड़-फोड़ विरोधी टीमें को मेले में तैनात में किया गया है. मेले के लिए कुल 4236 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया था, जिसमें से 84.8 करोड़ रुपए का आवंटन निर्माण, विकास और नवीनीकरण में लगाया गया है. इसमें पुलिस स्टेशन और पुलिस कर्मचारियों के रहने की जगह या उनका हॉस्टल भी शामिल है. यूपी पुलिस का डायल-100 सर्विस चौबीसों घंटे उपलब्ध रहेगा और उसमें कम से कम 50 चार पहिया और 200 दो पहिया वाहन हर समय काम पर लगे होंगे. इससे होगा ये कि किसी भी तरह का हादसा अगर होता है या कोई आपातकालीन स्थिती होती है तो पुलिस की मदद सिर्फ पांच मिनट में पीड़ितों तक पहुंच जाएगी.

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टेरर अलर्ट

वहीं आतंक से जुड़े मामलों में गिरफ्तार युवकों से पूछताछ के आधार पर गुप्तचर एजेंसियों को ऐसा अंदेशा है कि आतंकवादी चाहे प्रयागराज शहर का रहने वाला हो या वे जिन्हें इस शहर और मेला-स्थल के चप्पे-चप्पे की जानकारी होगी वे कुंभ मेले के दौरान ऐसी कोशिश जरूर करेंगे कि इस आयोजन में खलल पहुंचे. इन्हीं जानकारियों के आधार पर राज्य-सरकार ने यूपी एटीएस को भी इस आयोजन में शामिल किया हुआ है. एटीएस ने मेला स्थल की निगरानी के लिए 54 कमांडो वाली दो यूनिट को तैनात किया है. 12 जनवरी को एटीएस कमांडो ने टेंट नगरी में सुरक्षा जांच के लिए एक मॉक ड्रिल का भी आयोजन किया था.

Allahabad: A Sadhu takes a holy dip at Sangam on the auspicious Makar Sankranti day during the Kumbh Mela, or pitcher festival, in Allahabad (Prayagraj), Tuesday, Jan. 15, 2019. (PTI Photo/Ravi Choudhary)(PTI1_15_2019_000078B)

यूपी एटीएस के इंस्पेक्टर जनरल असीम कुमार अरुण के मुताबिक, ‘एटीएस के जरिए की गई जांच-पड़ताल के दौरान ये पता चला था कि आतंकवादी इस योजना पर काम कर रहे हैं कि वो मेले के दौरान बड़ी तादाद में इकट्ठा हुई धार्मिक जनसमूह को निशाने पर लेना चाहते हैं. एटीएस ने पहले भी आतंकवादियों की योजनाओं का खुलासा किया है. इस जानकारी के मिलने के साथ ही यूपी एटीएस ने इससे निपटने के लिए एनएसजी, यूपी पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियों के साथ काम करना शुरू कर दिया था. हमारी तैयारी पूरी है और हमारे तेजतर्रार और हुनरमंद एटीएस कमांडो हर तरह की चुनौती का सामना करने के लिए तैयार हैं.’

आईजी के मुताबिक, ‘पारंपरिक हथियारों के अलावा एटीएस और स्पेशल पुलिस ऑपरेशन टीमों को मोटरसाईकिलें भी दी गईं हैं, ताकि वे अस्थायी रूप से बसाए गए इस टेंट नगरी में एक जगह से दूसरी जगह जल्दी पहुंच पाए. इसके अलावा मेले वाले क्षेत्र में सुरक्षा एजेंसियों के लिए हर समय एक हेलिकॉप्टर भी मौजूद रहेगा, ताकि किसी भी इमरजेंसी में उसका इस्तेमाल किया जा सके.

एकीकृत चौकसी

मेला नगरी को चार पुलिस लाइन में विभाजित किया गया है, जिसमें 40 पुलिस थाना हैं. इसके अलावा तीन महिला थाना और 62 सीमा चौकी है. साथ ही यहां 40 फायर स्टेशन और निगरानी के अलावा क्विक रिस्पोंस टीम (क्यूआरटी) 40 वॉट टॉवर भी बनाए गए हैं, जो संपूर्ण मेला-स्थल की निगरानी करेगा. इसके अलावा मेले में तीन यूनिट जल-पुलिस को भी तैनात किया गया है. मेले में लोगों की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए घुड़सवार पुलिस भी वहां मौजूद होगी.

ऐसी उम्मीद है कि इस बार के कुंभ मेले में पहले की तुलना में काफी बड़ी तादाद में तीर्थयात्री और पर्यटक पहुंचेंगे, इसलिए उसे ध्यान में रखते हुए पहली बार रियल टाइम वीडियो एनालिटिक्स का इस्तेमाल उन जगहों पर किया जाएगा, जहां ज्यादा संख्या में भीड़ होने की संभावना है. यहां भीड़ को नियंत्रित करने के लिए 54 होल्डिंग एरिया भी स्थापित किया गया है. एएनपीआर यानि ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकग्निशन सिस्टम भी लगाया गया है, जो मेला स्थल के भीतर आने वाली गाड़ियों को ट्रैक करेंगी.

भीड़ को संचालित करने, सुरक्षा व्यवस्था पर नजर रखने और निगरानी के लिए एक एकीकृत कमांड एंड कंट्रोल सेंटर (आईसीसीसी) का भी निर्माण किया गया है, जिसमें दो कमांड और कंट्रोल सेंटर है और चार प्रदर्शन केंद्र है. वहीं 268 जगहों पर 20 वीडियो वॉल और 1135 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए है. आईसीसीसी को चलाने के लिए 120 ऑपरेटर, 30 कॉल सेंटर ऑपरेटरों की भी सेवा ली गई है. मेला स्थल में आने-जाने वाले लोगों को 2000 से भी ज्यादा डिजिटल साइन बोर्ड के जरिए ट्रैफिक, रूट या किसी भी तरह की इमरजेंसी वाले हालातों की जानकारी दी जाएगी.

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यूपी पुलिस के डायरेक्टर जनरल ओपी सिंह के मुताबिक ‘हम कुंभ मेले के सफल आयोजन के लिए हर तरह की तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं. एटीएस को यहां आतंकी और आपराधिक घटनाओं से निपटने के लिए लगाया गया है. एनएसजी की भी सेवाएं ली जा रहीं हैं, उनके कमांडो कुंभ मेले की निगरानी हेलिकॉप्टर से करेंगे और आपातकालीन स्थिती में दूसरी एजेंसियों के साथ मिलकर काम करेंगे.’ सिंह ने कहा कि सुरक्षा बल किसी भी तरह की आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए तैयार हैं. हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि इस बार कुंभ मेले के इलाके का काफी विस्तार हुआ है और पुलिस को 3200 हेक्टेयर इलाके में काम करना होगा.

2013 में इलाहाबाद में हुआ कुंभ मेला 1900 हेक्टेयर भूमि में फैला हुआ था. सुरक्षा व्यवस्था तब भी इतनी ही सख्त थी, लेकिन उसमें इन आधुनिक तकनीकि साधनों का इस्तेमाल निगरानी और भीड़ को नियंत्रित करने के लिए नहीं हुआ था. हालांकि 10 फरवरी 2013 को मौनी अमावस्या वाले दिन एक भगदड़ जरूर मच गई थी, जिसमें 42 लोगों की मौत हो गई थी और करीब 45 घायल हो गए थे. मेला प्रशासन इस बार ऐसी किसी घटना से बचने के लिए डिजीटल साइन बोर्ड और आईसीसीसी का सहारा ले रही है. 2013 में मौनी अमावस्या वाले दिन अकेले तीन करोड़ लोग मेला देखने पहुंचे थे.

15 जनवरी को अनुमानित रूप से सवा दो करोड़ श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगाई (फोटो: पीटीआई)

2013 के महाकुंभ मेले की सुरक्षा व्यवस्था में 12461 यूपी पुलिस के सिपाहियों, पीएसी की 46 कंपनियों, केंद्रीय अर्धसैनिक बल की 40 टुकड़ियों और 30 पुलिस स्टेशन बनाए गए थे जो पूरे मेला क्षेत्र की निगरानी कर रहे थे. जो इस साल की अर्धकुंभ के मेला स्थल के आधे से थोड़ा ज्यादा था. 2013 में निगरानी के लिए सिर्फ 85 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे और वहां कोई आईसीसीसी भी नहीं था. यूपी राज्य सड़क परिवहन निगम ने प्रयागराज शहर और रेलवे स्टेशन से मेला नगरी तक पर्यटकों और तीर्थयात्रियों को लाने के 500 से भी ज्यादा बसें चलाई हैं. देश के कई शहरों और महानगरों जिनमें दिल्ली, कोलकाता, नागपुर, भोपाल, देहरादून, इंदौर, बेंगलुरु, अहमदाबाद और लखनऊ से फ्लाइट्स शुरू की गई है. ये सेवाएं बमरौली एयरफोर्स बेस में पिछले दिसंबर को एक नया नागरिक एयरपोर्ट बनाने के बाद हुआ है.

प्रयाग मेला प्रशासन के मुताबिक, विशेषज्ञों से सलाह-मश्विरा करने के बाद एक आपदा प्रबंधन योजना भी बनाई गई है. राज्य आपदा प्रबंधन विभाग और उससे जुड़े अन्य विभाग 2019 के कुंभ मेले के लिए मिलकर काम कर रहें हैं.

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