'आपके पतिदेव ने हजारों बेगुनाह पाकिस्तानियों के खून ने होली खेली इस पर क्या कहेंगी?'
मौत की सजा का इंतजार कर रहे कुलभूषण जाधव से मिलने उनकी पत्नी और मां से पाकिस्तान के पत्रकारों के सवाल कुछ इसी तरह के थे. जिस तरह से वे चिल्लाकर सवाल पूछ रहे थे, ऐसा लग रहा था जैसे पाकिस्तान के गुनाहगार जाधव नहीं बल्किल उनकी मां और पत्नी हैं.
कुलभूषण जाधव को 22 महीने पहले पाकिस्तान की सीमा से गिरफ्तार किया गया था. इस दौरान पाकिस्तान लगातार यह आरोप लगाता रहा है कि जाधव जासूसी के इरादे से पाकिस्तान गए थे. गलती से पाकिस्तान की सीमा में घुसने वाले जाधव पर पाकिस्तान ने न सिर्फ जासूसी तमगा लगाया बल्कि उनकी मां और पत्नी के साथ भी बदसलूकी की.
मीडिया के सवालों के पीछे किसका हाथ?
जाधव की पत्नी चेतनकुल जाधव और उनकी मां से पाकिस्तान की मीडिया जिस तरह से चिल्ला-चिल्लाकर सवाल पूछ रही थी, उससे ऐसा लग रहा था मानों उनका मकसद सवाल जवाब करना नहीं बल्कि मीडिया ट्रायल है. पाकिस्तान की जेल में बंद जाधव को किसी भी वक्त फांसी हो सकती है. ऐसे में उनसे मिलने गईं मां और पत्नी के साथ इस तरह की बदसलूकी पाकिस्तान की हैसियत को दर्शाता है.
जाधव से मिलकर जब उनकी मां और पत्नी बाहर निकले तो कुछ ही दूरी पर पत्रकारों का जमावड़ा था. ये पत्रकार चिल्लाकर सवाल पूछ रहे थे. पत्रकारों के तेवर देखकर ऐसा लग रहा था कि वे उन्हें जलील करना चाहते हैं. जाधव की मां अवंती जाधव से पत्रकार पूछ रहे थे, 'आपके क्या जज्बात हैं कातिल बेटे से मिलने के बाद.'
परदेस में दो अकेली महिलाओं से क्या उनके पति और बेटे के बारे में इस तरह का सवाल पूछा जाना ठीक है? क्या पत्रकारिता सिर्फ टीआरपी के लिए रह गया है. अगर इस मामले को पाकिस्तान के नजरिया से देखें तो भी जाधव की पत्नी और मां के साथ इस तरह का बर्ताव करना गलत है.
सुरक्षा जरूरी, लेकिन बदसलूकी ठीक नहीं
पाकिस्तान को अगर जाधव की पत्नी के मंगलसूत्र, साड़ी, बिंदी, सिंदूर और चप्पल से समस्या थी तो यह बात भी माना जा सकती है. मुमकिन है कि भारत और पाकिस्ता के जैसे संबंध हैं उसमें यह जरूरी हो सकता है. लेकिन क्या किसी के साथ खराब बर्ताव करके, उसे जलील करके भी सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत बनाया जा सकता है.
जाधव की पत्नी के पाकिस्तान जाने के लिए बाकायदा वहां के अधिकारियों से अनुमति ली गई थी. उस वक्त वहां के अधिकारियों ने कहा था कि मीडिया का कोई भी शख्स वहां मौजूद नहीं होगा. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. वहां पत्रकारों की भीड़ थी. जो चिल्ला चिल्लाकर वाहियात सवाल कर रहे थे.
इतना ही नहीं, पाकिस्तानी अधिकारियों ने जाधव की पत्नी और मां को सिर्फ अंग्रेजी बोलने की इजाजत दी थी. जाधव महाराष्ट्र के सांगली से हैं. उनकी मां मराठी में ही अपने बेटे से आसानी से बात कर सकती थीं. लेकिन अंग्रेजी में ही बात करने की शर्त की वजह से आमने सामने होते हुए भी जाधव की मां अपने बेटे से एक शब्द नहीं बोल पाईं. पाकिस्तान के अधिकारियों ने जब जाधव की मां और पत्नी को देश आने की अनुमति दे ही दी थी तो कम से कम बदसलूकी की एक सीमा भी तय कर देता, ताकि उसकी मेजबानी हिंदुस्तान याद रख सकता.
पाकिस्तानी पत्रकारों का जो रवैया रहा, उसकी आलोचना खुद वहां के पत्रकार कर रहे है. द डॉन के वरिष्ठ पत्रकार हसन बेलाल जैदी ने ट्वीट करके कहा, 'जिन पत्रकारों ने दोनों महिलाओं के साथ बदसलूकी की उन्हें विदेश मंत्रालय ने जॉब वेलडन कहा है.'
Reporters shouted taunts and slogans at the two women, said they were related to a killer who has blood on his hands. FO even messaged reporters to thank them for 'job well done'. Conduct unbecoming of journalists was on display that day... https://t.co/bNLczGBacb
— Mighty (@mightyobvious) December 26, 2017
पाकिस्तान की एक अन्य सीनियर जर्नलिस्ट बनेजीर शाह ने भी ट्वीट करके कहा, 'पाकिस्तानी पत्रकारों ने 70 साल की महिला के साथ जो बदसलूकी की है वह देशभक्ति दिखाने का सबसे बेहतर तरीका है.'
No words for the Pakistani journalists who think heckling and harassing a 70-year-old woman is the best way to express patriotism. https://t.co/YOyFfyYOfF
— Benazir Shah (@Benazir_Shah) December 27, 2017
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