जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 35A के समर्थन में अलगाववादियों के बुलाए बंद से जनजीवन खासा प्रभावित रहा. इस दौरान सड़कों से सार्वजनिक परिवहन नदारद हैं, कुछ निजी वाहन ही श्रीनगर और घाटी के अन्य जगहों में सड़कों पर दिखाई दे रहे हैं. अलगाववादी संगठन संयुक्त प्रतिरोध लीडरशिप (जेआरएल) ने अनुच्छेद 35A को हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका के विरोध में दो दिन के बंद का आह्वान किया है.
अलगाववादी क्यों नहीं हटाना चाहते हैं 35A?
अनुच्छेद 35A राज्य को विशेष शक्तियां देता है. जम्मू-कश्मीर के स्थायी निवासियों को विशेषाधिकार देने वाले संविधान के आर्टिकल 35A के खिलाफ कोर्ट में 4 याचिकाएं दायर की गई हैं.
यह अनुच्छेद जम्मू कश्मीर के स्थायी बाशिंदों के विशेष अधिकारों से जुड़ा है. अनुच्छेद 35A भारतीय संविधान में एक ‘प्रेसीडेंशियल आर्डर’ के जरिए 1954 में जोड़ा गया था. यह राज्य विधानमंडल को कानून बनाने की कुछ विशेष शक्तियां देता है. आर्टिकल 35A को लेकर सबसे पहली याचिका दिल्ली की एक एनजीओ ने दायर की थी. इसके बाद इस आर्टिकल को लेकर 3 और याचिकाएं दायर की गई हैं. इन सभी को मुख्य याचिका में शामिल कर लिया गया है. सभी याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई होगी.
जम्मू-कश्मीर को विशेष शक्तियां देने वाली अनुच्छेद 35-ए में किसी तरह के बदलाव के खिलाफ अलगाववादियों के बंद को देखते हुए प्रशासन ने रविवार को अमरनाथ यात्रा दो दिन के लिए रद्द करने का फैसला किया है. पुलिस के अनुसार, यहां भगवती नगर यात्री निवास से किसी तीर्थयात्री को आगे जाने नहीं दिया गया.
आखिर क्या है अनुच्छेद 35A में
साल 1954 में 14 मई को राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने एक आदेश पारित किया था. इस आदेश के जरिए संविधान में एक नया अनुच्छेद 35-ए जोड़ दिया गया. संविधान की धारा 370 के तहत यह अधिकार दिया गया है.
35-ए संविधान का वह अनुच्छेद है जो जम्मू कश्मीर विधानसभा को लेकर प्रावधान करता है कि वह राज्य में स्थायी निवासियों को पारभाषित कर सके. वर्ष 1956 में जम्मू कश्मीर का संविधान बना जिसमें स्थायी नागरिकता को परिभाषित किया गया.
जम्मू कश्मीर के संविधान के मुताबिक, स्थायी नागरिक वह व्यक्ति है जो 14 मई 1954 को राज्य का नागरिक रहा हो या फिर उससे पहले के 10 सालों से राज्य में रह रहा हो और उसने वहां संपत्ति हासिल की हो.
अनुच्छेद 35A की वजह से जम्मू कश्मीर में पिछले कई दशकों से रहने वाले बहुत से लोगों को कोई भी अधिकार नहीं मिला है. 1947 में पश्चिमी पाकिस्तान को छोड़कर जम्मू में बसे हिंदू परिवार आज तक शरणार्थी हैं.
एक आंकड़े के मुताबिक 1947 में जम्मू में 5 हजार 764 परिवार आकर बसे थे. इन परिवारों को आज तक कोई नागरिक अधिकार हासिल नहीं हैं. अनुच्छेद 35-ए की वजह से ये लोग सरकारी नौकरी भी हासिल नहीं कर सकते. और ना ही इन लोगों के बच्चे यहां व्यावसायिक शिक्षा देने वाले सरकारी संस्थानों में दाखिला ले सकते हैं.
जम्मू-कश्मीर का गैर स्थायी नागरिक लोकसभा चुनावों में तो वोट दे सकता है, लेकिन वो राज्य के स्थानीय निकाय यानी पंचायत चुनावों में वोट नहीं दे सकता. अनुच्छेद 35-ए के मुताबिक अगर जम्मू कश्मीर की कोई लड़की किसी बाहर के लड़के से शादी कर लेती है तो उसके सारे अधिकार खत्म हो जाते हैं. साथ ही उसके बच्चों के अधिकार भी खत्म हो जाते हैं. इस अनुच्छेद को हटाने के लिए एक दलील ये भी दी जा रही है कि इसे संसद के जरिए लागू नहीं करवाया गया था.
हंदवाड़ा में भी आतंकियों के साथ एक एनकाउंटर चल रहा है. बताया जा रहा है कि यहां के यारू इलाके में जवानों ने दो आतंकियों को घेर रखा है
कांग्रेस में शामिल हो कर अपने राजनीतिक सफर की शुरूआत करने जा रहीं फिल्म अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर का कहना है कि वह ग्लैमर के कारण नहीं बल्कि विचारधारा के कारण कांग्रेस में आई हैं
पीएम के संबोधन पर राहुल गांधी ने उनपर कुछ इसतरह तंज कसा.
मलाइका अरोड़ा दूसरी बार शादी करने जा रही हैं
संयुक्त निदेशक स्तर के एक अधिकारी को जरूरी दस्तावेजों के साथ बुधवार लंदन रवाना होने का काम सौंपा गया है.