2 अक्टूबर यानी गांधी जयंती के मौके पर देश की राजधानी दिल्ली में किसानों के साथ दिल्ली पुलिस की सख्ती ने केंद्र सरकार को सवालों के घेरे में ला दिया है. केंद्र सरकार पर विपक्षी पार्टियां पहले से ही किसान विरोधी तेवर अपनाने का आरोप लगती रही हैं. इस घटना के बाद तो राजनीतिक दलों को बैठे-बिठाए एक नया मुद्दा मिल गया. कांग्रेस, बसपा, सपा और आम आदमी पार्टी ने दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर किसानों पर लाठीचार्ज की घटना की निंदा की है. बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा, ‘यह बीजेपी सरकार की निरंकुशता की पराकाष्ठा है. इसका खामियाजा भुगतने के लिए बीजेपी सरकार तैयार रहे.’
दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर दिल्ली पुलिस के द्वारा की गई सख्ती ने किसानों को खफा कर दिया है. मंगलवार को किसानों पर लाठीचार्ज की घटना ने राजनीतिक रंग ले लिया है. जिस तरह से हजारों किसानों के साथ दिल्ली-पुलिस ने बर्बरता दिखाई है वह कहीं न कहीं बीजेपी को नुकसान पहुंचा सकती है. किसानों पर नरमी बरतने के बजाए सख्ती दिखाने से किसान काफी गुस्से और नाराज नजर आ रहे हैं.
सरकार से खफा किसानों को दिल्ली बॉर्डर पर रोक कर पानी की बौछारें और आंसू गैस के गोले दागे गए. कई बुजुर्ग किसानों को चोटें आईं. कई बुजुर्ग महिलाओं को भी चोट आई. मुजफ्फरनगर जिले के गांव तुगलकपुर के रामदीन सिंह को भी चोटें आईं. फ़र्स्टपोस्ट हिंदी से बात करते हुए रामदीन सिंह कहते हैं, ‘पहले भी हमलोग किसानों की समस्या को लेकर दिल्ली आते रहे हैं. मेरी उम्र 67 साल है. आज जिस बेदर्दी से सरकार हमारे साथ पेश आई है, इससे पहले कभी ऐसा नहीं हुआ. मोदी जी का हमलोग मुजफ्फरनगर में अबकी बार जमकर स्वागत करेंगे.’
संभल से आए मननपाल, छत्रपाल और जांझनलाल फ़र्स्टपोस्ट हिंदी से बात करते हुए कहते हैं, पिछले 10 दिनों से इस आंदोलन में हमलोग साथ हैं. पिछले सीजन का गन्ना का पैसा अभी तक नहीं आया है.अब गन्ने का सीजन फिर से आ गया है. हमलोग छोटे किसान हैं. बताइए कैसे घर चलाएं? बच्चों को पढ़ाएं? और बेटियों की शादी कैसे करें?’
बता दें इस आंदोलन में यूपी, एमपी, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब और उत्तराखंड जैसे राज्यों के किसान हिस्सा ले रहे हैं. मध्यप्रदेश और राजस्थान में तो अगले कुछ महीनों में चुनाव भी होने हैं. जानकारों का मानना है कि इसका खामियाजा कहीं बीजेपी को भुगतना न पड़ जाए.
बता दें कि बीते 23 सितंबर को ही उत्तराखंड के हरिद्वार से भारतीय किसान यूनियन ने ‘किसान क्रांति यात्रा’ शुरू की थी. यह किसान क्रांति यात्रा सोमवार को गाजियाबाद पहुंची थी और 2 अक्टूबर को दिल्ली पहुंचना था, लेकिन दिल्ली पुलिस ने दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर इन किसानों को रोक रखा है.
किसानों के किसान घाट पहुंचने को लेकर केंद्र सरकार पहले से ही सतर्क थी. दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी, जो इस ऑपरेशन में गाजीपुर में मौजूद थे, उन्होंने कहा, ‘हमलोगों को साफ हिदायत दी गई है कि किसी भी कीमत पर दिल्ली में किसानों को नहीं घुसने देना है. इसके लिए हमलोगों ने दिल्ली से सटे यूपी के सभी चेक-पोस्ट और एंट्री प्वाइंट को ब्लॉक कर दिया है. आम नागरिकों का सुविधा का ख्याल रखते हुए आनंद विहार और कुछ जगहों पर रास्ता खोल रखा है.’
लाठीचार्ज, आंसू गैस और पानी की बौछार के बाद भी किसान अपनी 9 सूत्री मांगों को लेकर दिल्ली कूच पर लगातार अडिग हैं. देश के गृहमंत्री राजनाथ सिंह और कृषि मंत्री राधामोहन सिंह के साथ भी किसानों की कई दौर की बातचीत हुई है. लेकिन, अभी तक कोई नतीजा नहीं निकल सका है. मंगलवार दोपहर में खबर आई थी कि सरकार ने सात मांगें मान ली है. जबकि, दो मांगों के लिए कुछ और वक्त देने को कहा है.
बता दें कि किसानों की प्रमुख मांगों में स्वामीनाथन कमेटी के फॉर्मूले के आधार पर किसानों को मूल्य सी-2 लागत में कम से कम 50 प्रतिशत जोड़ कर दिया जाए साथ ही सभी फसलों की शत-प्रतिशत खरीद की गारंटी दी जाए. पिछले 10 सालों में आत्महत्या करने वाले लगभग 3 लाख किसानों के परिवार को मुआवजा के साथ परिवार के एक सदस्य को नौकरी दी जाए. किसानों को सभी प्रकार के कर्ज से पूरी तरह माफ कर दिया जाए. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में बदलाव किया जाए. इस योजना में किसानों को लाभ मिलने के बजाए बीमा कंपनियों को लाभ मिल रहा है. किसानों को सिंचाई के लिए बिजली मुफ्त में उपलब्ध कराई जाए. दिल्ली-एनसीआर में दस साल से ज्यादा पुराने ट्रैक्टरों पर रोक हटा दी जाए. किसान क्रेडिट कार्ड योजना में बिना ब्याज लोन दिया जाए. महिला किसानों के लिए क्रेडिट कार्ड योजना अलग से बनाई जाए. चीनी का न्यूनतम मूल्य 40 रुपए प्रति किलो किया जाए और 7 से 10 दिन के अंदर गन्ना किसानों का भूगतान सुनश्चित किया जाए. आवारा पशुओं से किसानों के फसल को बचाने का इंतजाम किया जाए.
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत फ़र्स्टपोस्ट हिंदी से बात करते हुए कहते हैं, जबतक सरकार हमारी सभी मांगें मान नहीं लेती है. हम वापस नहीं जाएंगे. मेरे साथी शांतिपूर्वक मार्च कर रहे थे. पिछले 23 तारीख से ही हमलोग रोड पर हैं. क्या मीडिया में कहीं खबर आई कि हमारे साथियों ने कहीं पर कोई हंगामा किया है. क्या मैं आतंकवादी हूं कि हमें दिल्ली में घुसने तक नहीं दिया जा रहा है? मुझसे से कई पार्टियों के नेताओं ने संपर्क किया और आंदोलन को समर्थन दिया. बीजेपी के नेताओं ने भी मेरे आंदोलन का समर्थन किया है फिर केंद्र सरकार इस तरह का रवैया क्यों अपना रही है? हम यहीं पर रहेंगे. हमारे सिलेंडर, ट्रैक्टरों के टायर और सामान दिल्ली पुलिस ने जब्त कर लिए हैं. बताइए कि रात को कैसे खाना बनाएं?
यूपी-दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर पर अभी भी हजारों किसान जमे हुए हैं. दिल्ली पुलिस की सख्ती के बाद काफी किसानों ने अपने-अपने घर की तरफ निकलना शुरू कर दिया है. बाकी बचे लोगों को रोकने के लिए माइक पर एनाउंसमेंट की जा रही है कि अभी धरना खत्म नहीं हुआ है. जब तक सरकार हमारी मांगें नहीं मानती हमारा धरना जारी रहेगा.
हजारों किसानों के लिए प्रशासन की तरफ से किसी प्रकार का कोई बंदोबस्त नहीं किया गया है. इसके बावजूद किसान खुद खाना बना कर अपने साथियों को खिला रहे हैं. किसानों का साफ कहना है कि उनसे किए वायदे पूरे नहीं किए गए. सरकार के कर्जमाफी के फैसले से भी किसान खफा हैं. किसानों का कहना है कि हमारे साथ मजाक किया जा रहा है. गन्ने के पैसे मुझे चाहिए चाहे सरकार दे या फिर सुगर मिल.
पहले भी किसानों की नाराजगी ने सरकारें बनाई और गिराई हैं. यह आंदोलन भी अगर लंबा चला तो निश्चित तौर पर सरकार के विरुद्ध एक विपरीत माहौल बनेगा.
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