कुछ हफ्ते पहले सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक संबंधों को वैध मानते हुए भारतीय दंड संहिता की धारा 377 से बाहर कर दिया था. अब केरल हाईकोर्ट के एक डिवीजनल बेंच ने मंगलवार को 40 वर्षीय महिला को अपनी 24 वर्षीय महिला साथी के साथ रहने की इजाजत दे दी है.
सी के अब्दुल रहीम और नारायण पिशारादी के एक डिवीजन बेंच ने कोल्लम में वेस्ट कल्लाडा की 40 वर्षीय एस श्रीजा के एक हीबस कॉर्पस याचिका पर ये आदेश दिया. अपनी याचिका में श्रीजा ने अदालत से कहा था कि वह नेय्याट्टिंकरा की रहने वाली अपनी साथी अरुणा (24) के साथ रहना चाहती हैं. श्रीजा ने ये भी दावा किया था कि अरुणा को उसके माता-पिता ने अवैध रुप से बंद कर रखा है.
श्रीजा ने अदालत को बताया कि इस साल अगस्त में जब वो दोनों एक साथ रहने लगी, तो अरुणा के माता-पिता ने एक उसकी एक मिसिंग कंप्लेंट कराई. जिसके बाद उन्हें तिरुवनंतपुरम के नेय्याट्टिंकारा में एक मजिस्ट्रेट अदालत के समक्ष पेश किया गया. अदालत द्वारा अरुणा को छोड़ देने के बावजूद उसके माता पिता जबरन उसे अपने ले गए.
अरुणा को मेंटल हॉस्पिटल में भर्ती करा दिया गया था
याचिकाकर्ता ने कहा कि अरुणा को एक मेंटल हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था जहां से उसने श्रीजा से संपर्क किया. हालांकि अस्पताल के अधिकारी भी अरुणा को श्रीजा के साथ भेजने के लिए तैयार नहीं थे, जिसके बाद उन्होंने अदालत की शरण ली.
मंगलवार को जब अरुणा को अदालत के सामने पेश किया गया, तो उन्होंने श्रीजा के साथ रहने का इरादा व्यक्त किया. याचिकाकर्ता ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लेख करते हुए कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने धारा 377 के कानूनी प्रावधान को रद्द कर दिया.
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