केरल सरकार ने मासिक धर्म की उम्र की महिलाओं की सूची को संशोधित किया है. इन्होंने पिछले साल सुप्रीम कोर्ट के जरिए सदियों पुराने पारंपरिक प्रतिबंध को पलटने के बाद सबरीमाला मंदिर में प्रवेश किया था.
सीपीआई (एम) नीत एलडीएफ सरकार ने पहले शीर्ष अदालत में एक हलफनामा पेश किया था, जिसमें दावा किया गया था कि मासिक धर्म की उम्र वाली 51 महिलाओं ने वार्षिक तीर्थयात्रा के दौरान पहाड़ी मंदिर में प्रवेश किया था.
वहीं मनोरमा की एक रिपोर्ट के मुताबिक मुख्य सचिव टॉम जोस की अध्यक्षता वाले एक पैनल ने सूची को संशोधित किया और संख्याओं को घटाकर 17 कर दिया. इसमें कहा गया कि पिनाराई विजयन सरकार अब स्वीकार करती है कि सूची में 30 महिलाएं 50 वर्ष से ज्यादा उम्र की थीं. लिस्ट में चार पुरुषों का भी नाम था. वहीं 34 नामों को अब हटा दिया गया है. पहली सूची के फ्लैक के बाद संशोधन शुरू किया गया था. रिपोर्ट में कहा गया था कि सूची में कई महिलाएं 50 से ज्यादा की उम्र की थीं. कुछ पुरुषों के नाम भी सूची में शामिल थे.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद हो रहे हैं विरोध प्रदर्शन
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल एक बड़ा फैसला देते हुए 10 से 50 साल की महिलाओं के सबरीमाला में प्रवेश की पाबंदी को असंवैधानिक करार देते हुए इस प्रतिबंध को हटा दिया था. हालांकि, शीर्ष अदालत के आदेश के बाद भी हिंदू संगठन और मंदिर प्रशासन इस फैसले को लागू करने से बच रही है. मंदिर में महिलाओं की एंट्री का पूरजोर विरोध किया जा रहा है. इसके लिए बीते दिनों केरल बंद भी रखा गया था.
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