केंद्र ने केरल में आई विनाशकारी बाढ़ को ‘गंभीर प्रकृति की आपदा‘ घोषित की है. दूसरी ओर राज्य के सामने बेघर हुए लाखों लोगों का पुनर्वास और जलजनित बीमारियों को रोकने का काम एक बड़ी चुनौती बन गई है. अधिकारियों ने बताया कि राज्य में आठ अगस्त के बाद से मानसून के दूसरे चरण में भारी बारिश और बाढ़ के चलते मृतकों की संख्या बढ़कर 223 पर पहुंच गई है. गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, ‘केरल में आई बाढ़ और भूस्खलन की प्रबलता को देखते हुए यह सभी व्यावहारिक उद्देश्यों के लिए गंभीर प्रकृति की एक आपदा है.’
मुख्यमंत्री पिनरायी विजयन ने बताया कि आठ अगस्त से लेकर अब तक 223 लोगों ने अपनी जान गंवाई है. उन्होंने तिरुवंतपुरम में संवाददाताओं से कहा, ‘10.78 लाख से अधिक लोग विस्थापित हुए जिनमें से 2.12 लाख महिलाएं और 12 साल की आयु के नीचे के एक लाख बच्चे शामिल हैं. ये 3,200 राहत शिविरों में रह रहे हैं.
विजयन ने कहा कि विभिन्न वर्गों से बाढ़ को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग की गई. उन्होंने कहा, ‘हमारी भी यही मांग है लेकिन केंद्र ने ऐसी घोषणा करने में कुछ तकनीकी दिक्कतों का हवाला दिया है. अब हमें कुल नुकसान का आकलन करने और केंद्र से इसके बराबर मदद मांगने की जरुरत है.’
राज्य को हुआ 20 हजार करोड़ का नुकसान
उन्होंने कहा, ‘प्राथमिक आकलन के अनुसार, राज्य को अभी तक करीब 20,000 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। केंद्र सरकार ने अभी तक राज्य को हरसंभव मदद दी है। केरल को मुख्यमंत्री आपदा राहत कोष से 210 करोड़ रुपये मिले हैं और 160 करोड़ रुपये का वादा किया गया है।’’
विजयन ने बताया कि सरकार 29 अगस्त को उन मछुआरों को सम्मानित करेगी जिन्होंने बचाव अभियान में भाग लिया. स्थिति का जायजा लेने के लिए मंगलवार को यहां सर्वदलीय बैठक बुलाई जाएगी. विजयन ने कहा कि कई स्थानों पर जल स्तर कम होने के साथ ही लोगों ने अपने घर लौटना और सफाई अभियान शुरू कर दिया है. राज्य सरकार ने भी उन्हें सफाई की किट बांटने का फैसला किया है.
अगले पांच दिनों में कम होगी बारिश
भारतीय मौसम विभाग के तिरुवनंतपुरम केंद्र के निदेशक के. संतोष ने बताया कि सभी अलर्ट वापस ले लिए गए हैं और राज्य में सोमवार को केवल हल्की से मध्यम बारिश हुई. अगले पांच दिनों के लिए भी ऐसा ही अनुमान जताया गया है.
सेना, नौसेना और एनडीआरएफ की टीमों का बचाव अभियान जारी है. सेना की दक्षिणी कमान के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल डी आर सोनी ने तिरुवनंतपुरम में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि राहत अभियान अब भी जारी है और जिन क्षेत्रों तक आसान पहुंच नहीं है, वहां फंसे लोगों तक सहायता पहुंचाने के लिए ड्रोन विमानों का इस्तेमाल किया जा रहा है.
सोनी ने कहा कि राहत अभियानों में 1,500 सैन्यकर्मी शामिल हैं. अधिकारियों ने बताया कि मकानों का मलबा हटाने की कोशिशें चल रही है ताकि उन्हें रहने लायक बनाया जा सकें.
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