सात साल का एक छोटा सा बच्चा काफी क्यूट लगता है लेकिन जब उससे यह पूछा जाए कि वह क्या बनना चाहता है तो वह काफी दृढ़ता से जवाब देता है. वह मजबूती से कहता है, 'मुजाहिद'. यह पूछने पर कि जिहाद में क्या करोगे वह कहता है कि वो भारतीय सेना से लड़ेगा.
जब कोई उससे किसी कविता या गाने को सुनाने के लिए कहता है तो वह शर्माता हुआ सिर को एक ओर ले जाता है...अपने एक हाथ से अपनी आंख रगड़ता है और दूसरे हाथ की उंगलियों को अपने बिखरे हुए बालों में घुमाने लगता है.
तब अपने पड़ोसियों जो कि मेरे मेजबान हैं के प्रोत्साहित किए जाने पर वह अपनी परफॉर्मेंस देता है. जिसके लिए उसे पूरे गांव में जाना जाता है. वह खड़ा होता है और फेरन से ढंके हर हाथ को एक के बाद एक उठाता है. अपनी तर्जनी को खींचते हुए वह बुरहान, आजादी, गिलानी, इस्लाम, गोलियां, खून और निडरता के नारे लगाता है.
दीवार से सटकर बैठे किशोर उसे गौर से देखते हैं. इन्होंने पत्थरबाजी की है और ऐसा फिर करेंगे. एक ग्यारह साल का बच्चा पेलेट्स, शेल्स, गोलियों, निडरता और आजादी के बारे में बात करता है.
वह कहता है कि भारत हमारा दमन कर रहा है. उसका दोस्त उसके पिता की पिटाई के बारे में हमें बताता है. वह बताता है कि किस तरह से उसके पैदा होने से पहले आतंकियों के छिपने की जगह की पूछताछ करते हुए उसके दादा को टॉर्चर किया गया था.
एक सुंदर सा सजीला लड़का जो कि 20 साल के आसपास का होगा मुझसे बात करने के लिए आता है. वह पत्थरबाजी का अभ्यस्त है. वह अक्सर श्रीनगर की जामिया मस्जिद जाता है ताकि शुक्रवार की नमाज के बाद पत्थरबाजी कर सके.
वह भी इतना ही प्रेरित है कि उसे उसकी सोच से डिगाना काफी मुश्किल है. हालांकि, वह सात साल के लड़के के मुकाबले मरने की इच्छा कम रखता है. वह कहता है कि अगर वह अपने माता-पिता का इकलौता बेटा नहीं होता तो उसने हथियार उठा लिए होते.
ज्यादा उम्र वाले नागरिकों जिनमें एक मौलवी और दो शिक्षक शामिल हैं उनके विचार कहीं ज्यादा उदार हैं.
युवाओं में कट्टरता
कुलगाम के बीचों-बीच मौजूद गांव बोगाम में 24 घंटे से ज्यादा गुजारने के बाद यह पता चल गया था कि प्रतिरोध करने की भावना उम्र की श्रेणियों से घटती हुई कम उम्र के कश्मीरियों तक पहुंच गई है. यहां तक कि किशोर उम्र के बच्चे तक इसमें शामिल हो गए हैं.
बोगाम निश्चित तौर पर पूरे कश्मीर के सबसे ज्यादा कट्टर गांवों में से एक है. इस गांव ने 2015 में पाकिस्तानी लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी अबू कासिम के शव पर दावा किया और उसे दफनाया. पूरे गांव की दीवारों पर पाकिस्तानी झंडे पुते हुए हैं.
घाटी की बाकी जगहों की तरह से ही बोगाम में एक आम राय यह है कि कश्मीरियों पर उग्रवाद के कारण नहीं बल्कि मुस्लिम होने की वजह से जुल्म किए जा रहे हैं और उन्हें मारा जा रहा है.
उग्रवाद, पत्थरबाजी और विरोध प्रदर्शन के अन्य तरीकों को इसका जवाब माना जाता है न कि वजह. राज्य के कदमों को अवैध माना जाता है और प्रतिरोध करने वाले युवाओं को हीरो के जैसे सम्मान मिलता है.
जब हम पहली बार गांव में आए तो बड़ी तादाद में नागरिक मुख्य चौक पर आ गए ताकि हमें दमन और टॉर्चर के बारे में बता सकें. एक शख्स ने कहा कि उसके कपड़े उतारे गए, पीटा गया और इलेक्ट्रिक हीटर पर पेशाब करने के लिए मजबूर किया गया. कुछ लोग हमसे मिलने से बचते नजर आए.
कट्टरपंथ में बदलाव
अगली दोपहर हमारी बर्फीले पहाड़ों पर थकाने वाली यात्रा रही. काफी मुश्किल से हम पड़ोस के गांव के हुर्रियत से जुड़े एक मौलवी से मिलने पहुंचे. वह घिसे-पिटे नारों की शक्ल में बात करता है.
वह पूछता है कि आपने कश्मीर पर कोई किताब पढ़ी है? इससे आगे कोई भी चीज समझाने या तर्क देने में नाकाम रहा. इसके बाजवूद उन्हें पूरे दक्षिण कश्मीर की मस्जिदों में भाषण देने के लिए बुलाया जाता है. वह जिहाद, मुसलमानों के दमन और प्रतिरोध के बारे में भड़काऊ भाषण देते हैं.
ये भी पढ़ें: कश्मीर में फिर बहाल हुईं इंटरनेट सेवाएं
यह बुद्धिजीवी बहस की जगह पर लोगों का कट्टरपंथ की ओर हो रहा रूझान दिखाता है. करीब 50 साल पहले बोगाम में रहने वाले लोगों का वामपंथ की तरफ गहरा झुकाव था. उनके विचार काफी प्रगतिशील थे और उनके भीतर पढ़ाई-लिखाई से जुड़ा शैक्षनिक हुनर भी था.
राज्य का एकमात्र सीपीआई (एम) विधायक अगले गांव तारिगाम से ही है. लेकिन अब वह केवल दिन में ही गांव का दौरा करते हैं और वह भी कड़ी सुरक्षा में.
जमात-ए-इस्लामी के तारिगाम में चलाए जा रहे स्कूल में पढ़ने वाले छात्र दमन के खिलाफ जिहाद में शामिल होने के लिए प्रतिबद्ध हैं. ये बुरहान वानी, अबू कासिम और हाल में ही बुरहान के उत्तराधिकारी जाकिर मूसा के समूचे इस्लाम के आह्वान से प्रेरित हैं.
यहां का माहौल देखकर ऐसा दिखता है कि भविष्य में यहां काफी खून-खराबा होने वाला है.
हंदवाड़ा में भी आतंकियों के साथ एक एनकाउंटर चल रहा है. बताया जा रहा है कि यहां के यारू इलाके में जवानों ने दो आतंकियों को घेर रखा है
कांग्रेस में शामिल हो कर अपने राजनीतिक सफर की शुरूआत करने जा रहीं फिल्म अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर का कहना है कि वह ग्लैमर के कारण नहीं बल्कि विचारधारा के कारण कांग्रेस में आई हैं
पीएम के संबोधन पर राहुल गांधी ने उनपर कुछ इसतरह तंज कसा.
मलाइका अरोड़ा दूसरी बार शादी करने जा रही हैं
संयुक्त निदेशक स्तर के एक अधिकारी को जरूरी दस्तावेजों के साथ बुधवार लंदन रवाना होने का काम सौंपा गया है.