नोटबंदी की वजह से कश्मीर के लोग काफी परेशानी में हैं. जम्मू-कश्मीर की पीडीपी-बीजेपी सरकार ने पहली बार यह बात मानी है. सरकार ने माना है कि 500-1000 के नोट बंद होने से राज्य में नकदी की भारी किल्लत हो गई है.
वैसे तो पूरा देश ही नकदी संकट झेल रहा है, लेकिन कश्मीर में दिक्कत और भी ज्यादा है क्योंकि यहां बैंकों की शाखाएं कम हैं. साथ ही बैंक कश्मीर के कारोबारियों को कर्ज देने में भी आनाकानी कर रहे हैं. खास तौर से उन लोगों को जो पिछले चार महीने की हिंसा के दौरान कर्ज का भुगतान करने में नाकाम रहे हैं. राज्य के दो लाख से अधिक खाते कर्ज में हैं. इनमें से ज्यादातर में भुगतान नहीं हो पा रहा है, क्योंकि लोग कर्ज पर ब्याज का भुगतान नहीं कर पा रहे हैं.
यह पहली बार है कि राज्य की महबूबा मुफ्ती सरकार ने लोगों को हो रही भारी दिक्कतों को माना है. 19 नवंबर को राज्य सरकार ने एक आदेश जारी किया. इसमें कहा गया कि राज्य के कर्मचारियों को एडवांस सैलरी दी जाएगी. इसमें से भी दस हजार रुपए नकद दिए जाएंगे. सरकार ने आदेश दिया कि नॉन गैजेटेड ऑफिसर्स और उससे नीचे के कर्मचारियों की तनख्वाह 24 नवंबर को ही दे दी जाए. इसकी वजह नोटबंदी से हो रही दिक्कत दूर करना थी. सरकार ने अपने आदेश में माना था कि गरीब तबके के लोगों को नोट बैन से ज्यादा परेशानी हो रही है. लेकिन इस आदेश के चार दिन बाद ही सरकार ने कहा कि वह अपने कर्मचारियों को नकद पैसे नहीं दे पाएगी क्योंकि रिजर्व बैंक ने इसके लिए जरूरी करेंसी दे पाने में असमर्थता जताई है.
जम्मू एंड कश्मीर बैंक राज्य का प्रमुख वित्तीय संस्थान है, जिसमें सरकार की बड़ी हिस्सेदारी है. सरकार के कर्मचारियों की सैलरी इसी बैंक के खातों में आती है. सरकार ने अपने पुराने आदेश में बदलाव करते हुए कहा कि कर्मचारियों की नवंबर महीने की तनख्वाह, पहले की तरह महीने के आखिरी दिन उनके खातों में आएगी. सरकार ने कहा कि कर्मचारी रिजर्व बैंक के आदेश के हिसाब से अपने खातों से पैसे निकाल सकेंगे. ये आदेश वित्त सचिव नवीन चौधरी ने जारी किया था.
राज्य के वित्त मंत्री अजय नंदा ने कहा कि राज्य में जो एटीएम के बाहर लाइनें लगती थीं, वे छोटी हो रही है. जैसे ही सरकार पैसे निकालने की पाबंदी हटा लेगी, हालात और बेहतर होंगे.
कश्मीर चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष मुश्ताक अहमद वानी ने कहा कि नोटबंदी के चलते कारोबारियों के पास निवेश नहीं आ रहा है. ये फैसला ऐसे वक्त लिया गया जब राज्य में हिंसा के चलते कारोबारी पहले ही लोन की शर्तें नए सिरे तय करने की मांग कर रहे थे. मुश्ताक अहमद वानी कहते हैं कि हिंसा और कर्फ्यू के चलते पहले ही पुराने कर्ज नहीं चुकाए जा सके. अब जो हालात बिगड़ रहे हैं तो इसकी पूरी जिम्मेदारी राज्य सरकार की है.
राज्य के ज्यादातर बैंकों ने तय किया है कि वे नए लोन नहीं बांटेंगे. खास तौर से उन लोगों को जो पुराने कर्ज नहीं चुका पा रहे हैं. हालात पहले से ही खराब थे. बैंक कर्ज बांटने के अपने टारगेट पूरे नहीं कर पा रहे थे. राज्य के बड़े हिस्से की आबादी की पहुंच बैंकों तक नहीं है. कई जगह बैंकों की शाखाएं नहीं हैं.
बैंक राज्य में नई शाखाएं खोलने में भी काफी पीछे रह गये हैं. रिजर्व बैंक ने कहा है कि राज्य के 104 गांव जिनकी आबादी पांच हजार से ज्यादा है, वहां बैंकों की शाखाएं होनी चाहिए. पिछले साल 18 नई शाखाएं खोलने का टारगेट था, लेकिन खुली सिर्फ एक नई शाखा. पिछले वित्तीय वर्ष में राज्य में 246 बैंकों की शाखाएं खोली जानी थीं, लेकिन मगर बैंक सिर्फ 54 ब्रांच खोल पाए. राज्य सरकार ने इसके लिए बैंकों को फटकार भी लगाई थी. इन्हीं वजहों से राज्य के लोगों को इस नोटबैन से बहुत परेशानी हो रही है.
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