जम्मू कश्मीर में हाल के दिनों में आतंकियों के सफाये में सेना को अच्छी सफलता मिली है. सेना अपनी इस सफलता से संतुष्ट है. कुछ ही दिनों पहले राज्य में पीडीपी-बीजेपी की गठबंधन सरकार गिर गई थी और अब राज्यपाल का शासन चल रहा है. लेकिन राजनीतिक बदलाव से राज्य में सेना के कामकाज पर किसी तरह का असर नहीं पड़ा है.
लेफ्टिनेंट जनरल ए.के. भट्ट ने साफ किया है कि राज्यपाल के हाथ में शासन की बागडोर चले जाने के बावजूद भी सेना की आतंकियों के खिलाफ की जा रही कड़ी कार्रवाई में किसी तरह की ढिलाई नहीं बरती जाएगी. लेफ्टिनेंट जनरल भट्ट श्रीनगर स्थित 15 कार्प्स का नेतृत्व कर रहे हैं. सेना की इस टुकड़ी को चिनार कार्प्स के नाम से भी जाना जाता है और इसके पास पाकिस्तानी सीमा से सटे लाइन ऑफ कंट्रोल के आसपास के बड़े हिस्से पर नजर रखने की जिम्मेदारी है.
लेफ्टिनेंट जनरल भट्ट ने बातचीत में बताया कि सेना के काम करने का अपना तरीका है और वो अपने निश्चित किए गए तरीके से ही काम कर रही है. उनके मुताबिक स्थानीय पुलिस के साथ भी सहयोग ठीक तरीके चल रहा है. ऐसा पहले से ही अनुमान लगाया जा रहा है कि राज्य में राज्यपाल के शासन के दौरान स्थानीय प्रशासन और सुरक्षा बलों के बीच में बेहतर सामंजस्य होगा और सेना आतंकियों के खिलाफ पहले से ज्यादा कड़ी कार्रवाई करेगी.
लेकिन कश्मीर में काम कर चुके सेना के अधिकारी इस बात को मानने को तैयार नहीं हैं कि सेना गठबंधन सरकार के दौरान राज्य में किसी भी तरह से अपनी कार्रवाई में कमी कर रही थी. उन्हीं लोगों में से एक हैं वरिष्ठ और सम्मानित सेना के अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल रामेशवर राय जिन्होंने 2009-10 में जम्मू रीजन में कार्प्स कमांडर के रूप में अपनी सेवाएं दी थी. उन्होंने सार्वजनिक रूप से ये इस दावे का खंडन किया है जिसमें राज्य में पहले सेना के पूर्ण शक्ति से काम नहीं करने की बात कही जा रही थी.
इधर ले.जनरल भट्ट का मानना है कि राज्यपाल एन.एन वोहरा के दस वर्षों तक राज्यपाल के रूप कार्य करने के अनुभव का उन्हें अवश्य लाभ मिलेगा. एन.एन वोहरा को भारत सरकार में रक्षा सचिव और गृह सचिव जैसे पदों पर भी काम करने का मौका मिला है ऐसे में उनके प्रशासनिक अनुभव का लाभ भी सेना को मिलने की संभावना है.
वर्ष 1993-94 में वोहरा ने देश के रक्षा सचिव के रूप में भी काम किया था. इस दौरान उन्हें सेना के काम करने और उसकी व्यवस्था को नजदीक से देखने का भी मौका मिला था.
ले.जनरल भट्ट का मानना है कि वोहरा के अनुभव का काफी फायदा राज्यपाल शासन में मिलेगा जिससे न केवल शासन में सुधार होगा बल्कि जमीनी स्तर पर भी प्रशासनिक अमलों के पहुंचने से कश्मीर में शांति बहाल हो सकेगी. सेना का भी प्राथमिक उद्देश्य ये ही है.
यात्रा पर खतरा
कार्प्स कमांडर भट्ट ने सेना के हाल के तीन बड़े आपरेशनों पर संतोष जताया जिसमें सेना ने उग्र इस्लमिक गुटों के शीर्ष आतंकवादियों को मार गिराया था. सेना ने इन ऑपरेशनों को रमजान के दौरान सीजफायर की समाप्ति के कुछ ही दिनों बाद अंजाम दिया था. हाल ही में घाटी में इस्लामिक स्टेट का मुख्य चेहरा दाउद सलाफी और अन्य आतंकवादी संगठनों के उसके सहयोगियों को सेना ने उन तीन बड़े ऑपरेशनों में मार गिराया जिसकी बात ले.जनरल भट्ट कर रहे थे.
ये इस्लामिक चरमपंथी गुट घाटी में शांति के लिए खतरा बने हुए हैं खास करके इस बार के शांतिपूर्ण अमरनाथ यात्रा के लिए भी ये सुरक्षा बलों के सामने चुनौती पेश कर रहे हैं. अमरनाथ यात्रा पर जानेवाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए लगाए गए जवान बेहद सतर्क हैं.
हालांकि हिज्बुल मुजाहिदीन के कमांडर रियाज नाइकू ने ये साफ किया है कि आतंकवादियों की तरफ से श्रद्धालुओं को कोई खतरा नहीं है. लेकिन वरिष्ठ अधिकारियों का मानना है कि नाइकू की ये सोच कश्मीरी आतंकियों से जुड़ी है लेकिन उन आतंकियों की सोच ऐसी नहीं जो कट्टर इस्लामिक चरमपंथी गुट हैं और पाकिस्तान से ऑपरेट होते हैं. जैसे लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद या फिर आईएसआई के वो अधिकारी जिनके लिए अमरनाथ यात्रा से जुड़ाव का कोई मतलब नहीं है.
यात्रा पुरी तरह से सुचारू रूप से गुरुवार से चलने लगी. श्रद्धालुओं का पहला जत्था जम्मू से मंगलवार को निकला था. हिज्बुल मुजाहिदीन का कमांडर नाइकू गर्म दिमाग वाले आंतकवादी के रूप से पहचाना जाना जाता है लेकिन वो काफी पढ़ा-लिखा व्यक्ति है. अमरनाथ यात्रियों के स्वागत का उसका ऑडियो स्टेटमेंट बुधवार को सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. नाइकू की सोच हिज्ब के पूर्व कमांडर बुरहान वानी से मिलती-जुलती है. वानी को सेना ने मार गिराया था. कहा जाता है कि वानी को 2016 में जब ये पता चला कि पाकिस्तान से जुड़े कुछ आतंकी संगठन अमरनाथ यात्रियों पर हमले की तैयारी कर रहे हैं तो उसने इन हमलों को टालने के लिए कुछ लोगों को फोन किया था.
उत्तरदायी रवैया
ले. जन. भट्ट की पोस्टिंग इस साल के शुरू में हुई थी और अब तक तक का उनका कार्यकाल सफल रहा है. इससे ठीक पहले वो मिलिट्री ऑपरेशन के डायरेक्टर जनरल (डीजीएमओ) के रूप में पदस्थापित थे. उनका ये अनुभव कश्मीर में उनकी नई पोस्टिंग में काम आ रहा है. वो और उनके नीचे काम करने वाले अधिकारी कश्मीरी युवकों को सुनने और समझने की लगातार कोशिश कर रहे हैं. वो प्रयास कर रहे हैं कि उन युवाओं तक वो पहुंचे और उन्हें राज्य के विकास में शामिल कर सकें.
राज्यपाल वोहरा ने भी ये साफ साफ शब्दों में कहा है कि उनका प्रशासन युवाओं तक पहुंचने की पुरजोर कोशिश करेगा और इसके लिए अभिभावकों, शिक्षकों और समाज के बड़े लोगों से सहयोग लिया जाएगा. ले.जन. भट्ट ने रमजान सीजफायर से कुछ दिनों पहले बातचीत में कहा था कि सेना को भटके हुए नौजवानों के प्रति संवेदनशील होने की जरूरत है जिससे कि उन्हें भड़का कर आतंकवादी बनाने वालों से दूर रखा जा सके. ले.जन.भट्ट और उस समय के नॉर्दर्न आर्मी कमांडर ले.जन. देवराज अंबु ने दावा किया था कि जवानों के कश्मीरी युवकों के प्रति संवेदनशील बनाने की योजना कारगर साबित हो रही है.
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