रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण और सेना प्रमुख बिपिन रावत ने शुक्रवार को नाशिक के देवलाली आर्टिलर्री सेंटर (तोपखाने) में नए 'K9'वज्र और M777 होवित्जर तोपों को सेना में शामिल किया. शुक्रवार की सुबह ही रक्षा मंत्री ने ट्वीट कर के इसकी जानकारी दी थी कि तीन M777 अल्ट्रा लाइट होवित्जर और 10'K9'वज्र आधुनिक गन सिस्टम्स को सेना में शामिल किया जाने वाला है. इस तोप को आसानी से पहाड़ी इलाकों में भी तैनात किया जा सकता है.
#WATCH Nasik: The M777 Ultra Light Howitzer which was inducted in the Army recently,in action. Defence Minister Nirmala Sitharaman and Army Chief General Bipin Rawat were also present on the occasion pic.twitter.com/2eZgP28QHb
— ANI (@ANI) November 9, 2018
क्या है इनकी खासियत?
बोफोर्स तोप के बाद भारतीय सेना को 30 वर्षों के बाद यह तोप मिला है. दुश्मन देशों की तरफ से बढ़ रही चुनौतियों के बीच इन तोपों का भारतीय सेना में शामिल होने से सेना की ताकत और बढ़ गई है. पाकिस्तान से करगिल युद्ध के समय ही इन तोपों की जरूरत महसूस की गई थी. अब इतने सालों बाद सेना की यह जरूरत पूरी हो गई है.
इन तोपों की खासियत यह है कि अगर दुश्मन काफी ऊंचाई पर भी बैठा हो, तो भी उसे निशाने पर लिया जा सकता है.
Three M777 Ultra Light Howitzers, ten K9 Vajra tracked self propelled guns and field artillery tractors were inducted into the Indian Army https://t.co/AhBtpcyFcJ
— ANI (@ANI) November 9, 2018
K9 तोपों की यह खासियत है कि इनकी रेंज 28-30 किलोमीटर है. ये 30 सेकंड में तीन गोले दागने में सक्षम हैं.
वहीं दमदार M777 होवित्जर तोप 30 किलोमीटर की दूरी तक वार कर सकती है. इसे प्लेन या हेलिकॉप्टर के जरिए स्थानांतरित भी किया जा सकता है. मौजूदा समय में 52 कैलिबर की M777 तोप केवल अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया के पास है. अब यह भारतीय सेना के पास भी होगी.
2020 तक भारतीय सेना में 100 K9 वज्र होंगे शामिल
रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता कर्नल अमन आनंद ने बताया कि K9 वज्र को 4,366 करोड़ रुपए की लागत से शामिल किया गया है. कुल 100 तोपों में से 10 तोप इसी महीने बनकर तैयार हो जाएंगे. वहीं अगले साल नवंबर तक 40 और नवंबर 2020 तक 50 अन्य तोप बनकर तैयार हो जाएंगे.सेना एम777 M777 होवित्जर की सात रेजिमेंट्स भी बढ़ाने जा रही है.
A third equipment is also being inducted today- the Common Gun Tower, a 6x6 vehicle with cross country capability. Required to tow the medium guns. These Common Gun Towers are made by the Indian Company Ashok Leyland. @DefenceMinIndia @adgpi
— Nirmala Sitharaman (@nsitharaman) November 9, 2018
इसके साथ ही एक तीसरा उपकरण भी आज शामिल किया जा रहा है- कॉमन गन टॉवर. 6x6 वाला यह वाहन क्रॉस देश क्षमता रखता है. यह मध्यम बंदूकें को खींचने के लिए आवश्यक है. ये कॉमन गन टावर्स भारतीय कंपनी अशोक लेलैंड द्वारा बनाए जाते हैं.
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