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जाते-जाते बोले जस्टिस चेलमेश्वर, न्यायतंत्र को प्रभावित करने की हमेशा होती रही है कोशिश

जस्टिस चेलमेश्वर ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ जजों के उठाए सवाल जस के तस बने हुए हैं

Updated On: Jun 23, 2018 12:56 PM IST

FP Staff

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जाते-जाते बोले जस्टिस चेलमेश्वर, न्यायतंत्र को प्रभावित करने की हमेशा होती रही है कोशिश

जस्टिस चेलमेश्वर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट से विदा हो गए. उन्हें इस बात के लिए याद किया जाएगा कि कैसे उन्होंने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ चार जजों की एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की और सुप्रीम कोर्ट में अनियमितता की बात उठाई. रिटायरमेंट के अंतिम दिन भी उन्होंने अपने मन की बात कही. जस्टी चेलमेश्वर ने कहा कि पूर्व में न्याय तंत्र को प्रभावित करने की कोशिशें होती रही हैं.

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस चेलमेश्वर ने एक टीवी इंटरव्यू में कहा, कभी-कभी हल्के प्रयास (प्रभावित करने के) होते हैं. 1970 के दशक को याद करें जब श्रीमती गांधी प्रधानमंत्री थीं. एक नारा था-'प्रतिबद्ध न्यायपालिका'-वे ऐसे लोगों को चाहते थे जो किसी खास राजनीतिक पार्टी की धारणा रखते हों. यह सही था या गलत, मैं इन सवालों में नहीं पड़ना चाहता. कोशिशें हमेशा होती रही हैं, केवल भारत में नहीं बल्कि पूरी दुनिया में.

जस्टिस चेलमेश्वर ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ जजों के उठाए सवाल जस के तस बने हुए हैं.

इसके साथ ही उन्होंने जस्टिस केएम जोसेफ को सुप्रीम कोर्ट में प्रमोट नहीं करने के केंद्र के फैसले से असहमति जताई और इस कदम को ‘नहीं टिकने वाला’ करार दिया. उन्होंने कहा, ‘मैं चाहता हूं और इसकी प्रार्थना करता हूं कि वह (उत्तराखंड के चीफ जस्टिस जोसेफ) सुप्रीम कोर्ट के जज बनें. मैंने उसे नहीं रोका है. मैं इसके लिए लगातार कहता रहा हूं. कॉलेजियम ने अपनी सिफारिश भी दोहराई है.’

उन्होंने एक टीवी चैनल से कहा कि जस्टिस जोसेफ उनके धर्म, समुदाय या भाषा के नहीं हैं लेकिन इसके बावजूद वह उनके लिए लड़े. उन्होंने चीफ जस्टिस दीपक मिश्र के खिलाफ अपने बगावत के मुद्दे पर कहा कि 12 जनवरी को प्रेस कॉन्फ्रेंस करने का उन्हें कोई खेद नहीं है. उन्होंने कहा, ‘सरकार को (जजों का प्रमोशन) सिफारिशों को महीनों तक लटकाए नहीं रखना चाहिए. इससे ऐसी हालत पैदा होगी जिसमें नियुक्तियां नहीं होंगी और रिक्तियां नहीं भर पाएगी. इसका नतीजा यह होगा कि लंबित मामले बढ़ते जाएंगे.’

(इनपुट भाषा से)

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