Muzaffarpur shelter home case: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सीबीआई के पूर्व अंतरिम निदेशक नागेश्वर राव को कोर्ट की अवमानना का दोषी करार दिया है. कोर्ट ने राव पर 1 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है. कोर्ट ने कहा कि यह समझ में नहीं आ रहा है कि राव ने बिहार के मुजफ्फरपुर शेल्टर होम जांच कर रहे अधिकारी का ट्रांसफर बिना कोर्ट को बताए क्यों कर दिया. वहीं जस्टिस गोगोई ने राव और भसूरन को फटकार लगाते हुए कहा- जब तक हम खड़े नहीं होते, दोनों उठो और अदालत के एक कोने में बैठ जाओ.
इससे पहले राव ने सुप्रीम कोर्ट से बिना शर्त माफी मांगी थी. एम नागेश्वर राव ने स्वीकार किया कि एजेंसी के पूर्व संयुक्त निदेशक एके शर्मा का तबादला करके उन्होंने ‘गलती’ की. राव ने शीर्ष अदालत से इसके लिए माफी मांगते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन करने की उनकी कोई मंशा नहीं थी.
राव ने सात फरवरी को उन्हें जारी अवमानना नोटिस (Contempt Notice) के जवाब में एक हलफनामा दायर किया. उन्होंने कहा कि वह शीर्ष अदालत से बिना शर्त माफी मांगते हैं.
उन्होंने अपने माफीनामे में कहा, ‘मैं गंभीरता से अपनी गलती महसूस करता हूं और बिना शर्त माफी मांगने के दौरान मैं विशेष रूप से कहता हूं कि मैंने जानबूझकर इस अदालत के आदेश का उल्लंघन नहीं किया क्योंकि मैं सपने में भी इस अदालत के आदेश का उल्लंघन करने की सोच नहीं सकता.’
कोर्ट ने उसके आदेश का उल्लंघन करते हुए शर्मा का एजेंसी के बाहर तबादला करने के लिए सात फरवरी को सीबीआई को फटकार लगाई थी और राव को 12 जनवरी को व्यक्तिगत रूप से उसके समक्ष उपस्थित होने को कहा था. शर्मा बिहार में बालिका गृह मामले की जांच कर रहे थे.
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने शीर्ष अदालत के पिछले दो आदेशों का उल्लंघन किए जाने को गंभीरता से लेते हुए शर्मा का कोर्ट की पूर्व अनुमति के बगैर 17 जनवरी को सीआरपीएफ में तबादला किए जाने पर राव के खिलाफ अवमानना का नोटिस जारी किया था.
(इनपुट भाषा से)
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