सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को जज लोया मामले में जांच की अर्जी को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने इस मामले की एसआईटी जांच कराने की मांग को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता की मंशा पर सवाल खड़े किए हैं. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि कि पीआईएल का गलत इस्तेमाल हो रहा है. पीआईएल का इस्तेमाल राजनीति के लिए किया जा रहा है. न्याय पालिका को बदनाम करने की कोशिश की गई है.
The #SupremeCourt dismissed petitions seeking the #SpecialInvestigationTeam (SIT) probe into Special Central Bureau of Investigation (CBI) #JudgeLoya's death case.
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ज्वाइंट सीपी नागपुर, शिवाजी बोड़खे ने कहा है कि नागपुर पुलिस ने ठीक तरीके से जांच की थी और सबूत सुप्रीम कोर्ट में पेश किए थे. कोर्ट का फैसला उन्हीं सबूतों के आधार पर आया है. याचिकाएं गलत थी, क्योंकि वो सच से वाकिफ नहीं थी.
The investigation was done professionally by Nagpur Police and those documents and evidence have been presented in the SC, the decision is based on that. The petitions were wrong as they unaware of the truth:Shivaji Bodkhe, Joint CP Nagpur on SC's verdict on #JudgeLoya Death case pic.twitter.com/tbn9xZTsdK
— ANI (@ANI) April 19, 2018
सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला उन अर्जियों पर सुनाया है जिसमें सीबीआई की विशेष अदालत के जज बी एच लोया की कथित रहस्यमयी मौत की स्वतंत्र जांच कराने की मांग की गई थी.
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस ए एम खानविलकर और डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने 16 मार्च को इन अर्जियों पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी थी कि लोया की मौत की स्वतंत्र जांच की मांग करने वाली सारी अर्जियां प्रेरित हैं और उनका मकसद कानून का शासन बरकरार रखने की दुहाई देकर ‘एक व्यक्ति’ को निशाना बनाना है.
राज्य सरकार ने लोया मामले में कुछ वकीलों की ओर से सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों के प्रति आक्रामक रवैया अपनाने और इस मामले से जुड़े आरोपों पर बरसते हुए कहा था कि न्यायपालिका और न्यायिक अधिकारियों को ऐसे व्यवहार से बचाने की जरूरत है.
इस बीच , मामले की स्वतंत्र जांच कराने की मांग करने वालों ने घटनाक्रम का हवाला देकर यह बताने की कोशिश की थी कि लोया की मौत में किसी साजिश से इनकार करने के लिए निष्पक्ष जांच की जरूरत है.
कब हुई थी मौत
सीबीआई के स्पेशल जज बीएच लोया सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर मामले की सुनवाई कर रहे थे. उनकी मौत 1 दिसंबर 2014 को नागपुर में तब हुई थी, जब वे अपने सहयोगी की बेटी की शादी में जा रहे थे. बताया जाता है कि जज लोया को कार्डिएक अरेस्ट (दिल का दौरा) आया था. नवंबर 2017 में जज लोया की मौत के हालात पर उनकी बहन ने शक जाहिर किया. जज लोया कि बहन के मुताबिक, उनकी मौत नैचुरल नहीं थी. इसके तार सोहराबुद्दीन एनकाउंटर से जोड़े गए. जिसके बाद यह केस मीडिया की सुर्खियां बना
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