धर्म परिवर्तन को लेकर राजस्थान हाईकोर्ट ने शुक्रवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए 10 बिंदुओं की एक गाइडलाइन जारी की है. जस्टिस गोपालकृष्ण व्यास और विनीत माथुर की खण्डपीठ की ओर से जारी दिशा -निर्देशों के अनुसार अब राज्य में धर्म परिवर्तन से पहले जिला कलेक्टर को बताना अनिवार्य होगा.
खंडपीठ ने यह गाइडलाइन प्रदेश में धर्म परिवर्तन के कानून पर बहस को विराम देते हुए जारी की. दरअसल, राजस्थान में हाल ही एक हिंदू लड़की के घर से भागकर मुस्लिम युवक से शादी करने का मामला सामने आया था. लड़की की ओर से धर्म परिवर्तन करने का दावा पेश किया गया. इसी मामले में हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार से धर्म परिवर्तन के कानून की जानकारी मांगी थी.
सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता शिवकुमार व्यास ने कहा कि सरकार ने धर्म परिवर्तन को लेकर जो बिल बनाया था, वह दोबारा राष्ट्रपति के पास भेजा गया, जिसकी सुनवाई 27 नवम्बर तय हुई थी.
मामले में याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मगराज सिंघवी और नीलकमल बोहरा ने दलील दी कि बिना किसी प्रक्रिया अथवा नियम के धर्म परिवर्तन नहीं किया जा सकता. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ के वर्ष 1977 में जारी निर्णय की नजीर पेश करते हुए बताया कि राज्य धर्मांतरण के नियम या कानून बना सकता है.
इस पर हाईकोर्ट ने दिशा निर्देश जारी हुए कहा कि यह तब तक लागू रहेंगे जब तक प्रदेश सरकार धर्म परिर्वतन को लेकर कोई कानून नहीं बना लेती.
साभारः न्यूज-18
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