जेएनयू छात्र संघ चुनाव अब ऐसे मोड़ पर आ पहुंचा है जिसका इंतजार सबको है. आज प्रेसिडेंशियल डिबेट है. इसमें अध्यक्ष पद के उम्मीदवार भाषण देते हैं और सवाल जवाब का सामना करते हैं. इसमें जितनी रुचि जेएनयू के स्टूडेंट लेते हैं उतनी ही बाहर के लोग भी, इसलिए इस दिन बाहर के लोग भी रात भर जेएनयू में डटे रहते हैं. प्रेसिडेंशियल डिबेट रात 9 बजे से शुरू होकर यह पूरी रात चलती है. इस डिबेट के बाद ही आम छात्र निर्णय लेते हैं कि किसे वोट करना है.
आपको याद होगा कि कन्हैया कुमार इसी डिबेट की बदौलत जेएनयू छात्रसंघ के अध्यक्ष चुने गए थे. उनकी पार्टी का इतना बड़ा जनाधार नहीं है कि अकेले जीत हासिल कर सके लेकिन प्रेसिडेंशियल डिबेट में कन्हैया कुमार ने अपनी ऐसी छाप छोड़ी कि जेएनयू की जनता ने उसे पार्टी लाइन से बाहर जाकर वोट कर दिया. ऐसा जेएनयू के इतिहास में कई बार हुआ है. इसलिए इस साल भी यह चुनाव महत्वपूर्ण होने वाला है. इस बार भी छात्र राजद के प्रत्याशी जयन्त कुमार 'जिज्ञासु' अच्छे वक्ता हैं, लोगों की नजर उन पर रहेगी.
मंगलवार रात यूजीबीएम का आयोजन झेलम लॉन में किया गया. प्रेसिडेंशियल डिबेट भी इसी जगह होगी. यूजीबीएम, जिसमें सभी पार्टियों के अध्यक्ष पद के अलावा उम्मीदवार एक-एक करके भाषण देते हैं और सामने बैठी जनता उनसे सवाल कर सकती है जिसके लिए जनता के बीच इलेक्शन कमीशन के कर्मचारी बॉक्स पहुंचाते हैं उसमें कागज में लिखकर डाला जाता है जिसे मंच पर विराजमान इलेक्शन कमीशन के अधिकारी उम्मीदवारों के आगे पढ़ते हैं और दो मिनट की समय सीमा में उनको जवाब देना होता है फिर एक एक करके सभी उम्मीदवार आपस में एक दूसरे से सवाल करते हैं.
हालांकि प्रेसिडेंशियल डिबेट का भी स्वरूप तकरीबन ऐसा ही होता है कि ज्यादातर जनता उसमें दिलचस्पी लेती है. इस यूजीबीएम में आम छात्रों की उपस्थिति कम दिखी. सभी पार्टी के एक्टिविस्ट इसमें मुस्तैद दिखे. एक प्रकार से इसे प्रेसिडेंशियल डिबेट का रिहर्सल समझा जा सकता है क्योंकि इसमें पूछे जाने प्रश्नों से सभी अध्यक्षीय प्रत्याशी जो अंदाजा लग जाता है कि कैसे प्रश्न इस साल पूछे जाने हैं.
यूजीबीएम जिस वक्त अंतिम दौर में था उसी समय एनएसयूआई गंगा ढाबा से चंद्रभागा तक मशाल मार्च कर रही थी. यह इस चुनाव का अंतिम मशाल जुलूस था. इससे पहले लेफ्ट यूनिटी, एबीवीपी और बापसा इसका आयोजन कर चुकी है. वैसे बापसा ने बिना मशाल के मार्च निकाला था. एनएसयूआई के जुलूस में बापसा के बराबर भीड़ थी. भीड़ को देखकर लोग जीत-हार का अनुमान लगाने की कोशिश करते हैं. एक तरह से यह शक्ति प्रदर्शन भी है.
इससे पहले लेफ्ट और एबीवीपी ने एक ही समय मशाल जुलूस निकाला. पारम्परिक रूप से जुलूस गंगा ढाबा से शुरू होकर चंद्रभागा हॉस्टल तक जाता है. एबीवीपी ने जुलूस गंगा ढाबा से शुरू किया तो लेफ्ट ने चंद्रभागा हॉस्टल से. गोदावरी बस स्टॉप पर दोनों जुलूस में भिड़ंत हुई लेकिन हर बार की तरह चुनाव समिति ने मोर्चा संभाला और बिना किसी अनहोनी के दोनों जुलूस आगे बढ़ गए. दोनों जेएनयू की बड़ी पार्टी है इसलिए इसमें भीड़ ज्यादा थी. लेकिन लेफ्ट भीड़ जुटाने में सबसे आगे रहा. इससे एक दिन पहले बापसा का जुलूस था. इसमें पिछले साल की अपेक्षा कम भीड़ थी.
इससे पहले सभी पार्टियों की प्री इलेक्शन जीबीएम भी अलग-अलग मेस में हुई. यह पूरी प्रक्रिया सभी पार्टियों द्वाराअपने समर्थकों, एक्टिविस्टों और सिम्पेथायजर को एकजुट करने के लिए होती है. इस दौरान अपने पार्टी के एजेंडे को सामने रखा जाता है वोट करने की अपील की जाती है. अब चुनाव प्रचार अंतिम दौर में है क्योंकि गुरुवार को नो कैम्पेन डे है और 14 सितंबर को तो मतदान ही होना है. आज रात प्रेसिडेंशियल महत्वूर्ण भूमिका निभाने जा रही है. इस डिबेट के बाद अनुमान लगाने में आसानी होगी कि जेएनयू का चुनाव इस बार किस दिशा में जा रहा है.
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