जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय की ओर से जारी एक परिपत्र में स्कॉलरशिप, फेलोशिप और हॉस्टल समेत अन्य सुविधाएं हासिल करने के लिए 75 फीसदी हाजिरी को अनिवार्य बनाने को लेकर यूनिवर्सिटी प्रशासन और छात्रों के बीच नए सिरे से गतिरोध पैदा हो गया है.
यह सब छात्रों के कक्षा का बहिष्कार करने और परिसर के भीतर यूनिवर्सिटी के एक निर्देश के खिलाफ जुलूस निकालने से शुरू हुआ. विश्वविद्यालय ने पार्ट टाइम समेत सभी पाठ्यक्रमों के लिए 75 फीसदी उपस्थिति अनिवार्य कर दी है.
प्रदर्शन के बीच तीन फरवरी को एक अन्य परिपत्र जारी किया गया. इसमें कहा गया कि स्कॉलरशिप, फेलोशिप और अन्य सुविधाएं हासिल करने के लिए 75 फीसदी उपस्थिति अनिवार्य है.
अनिवार्य उपस्थिति के आदेश से संबंधित मुद्दे पर चर्चा के लिए कुलपति से नहीं मिल पाने से नाराज कुछ छात्रों ने जेएनयू के प्रशासनिक ब्लॉक का घेराव किया था. दिल्ली पुलिस ने यूनिवर्सिटी के दो वरिष्ठ अधिकारियों को घंटों भवन से नहीं निकलने देने को लेकर छात्रों के खिलाफ दो प्राथमिकी दर्ज की थी.
दिल्ली के दूसरे यूनिवर्सिटी में नहीं है ऐसी व्यवस्था
दिल्ली में अन्य यूनिवर्सिटी और संस्थानों में भी स्नातकोत्तर स्तर तक अनिवार्य उपस्थिति की व्यवस्था है, लेकिन एमफिल और पीएचडी छात्रों के लिए इस नियम में ढील है.
दिल्ली यूनिवर्सिटी या इससे संबंद्ध कॉलजों में स्नातक स्तर तक छात्रों के लिए सेमेस्टर परीक्षा में बैठने के लिए न्यूनतम 66 फीसदी उपस्थिति अनिवार्य है. हालांकि, यह नियम सिर्फ स्नातक और स्नातकोत्तर छात्रों पर लागू होता है और शोधार्थियों पर यह नहीं लागू होता है.
जब से छात्रों की हड़ताल शुरू हुई है और गुरुवार को ‘घेराव’ किया गया जेएनयू छात्र परिसर में लॉन और अन्य स्थानों पर कक्षा के लिए बैठ रहे हैं.
जेएनयूएसयू अध्यक्ष गीता कुमारी ने कहा, ‘छात्र कक्षा में नहीं आने के अधिकार के लिए नहीं लड़ रहे हैं. हम निरर्थक और मनमाने अनुशासन के बिना जेएनयू की सर्वश्रेष्ठ परंपराओं के अनुरूप सीखने के अधिकार के लिए लड़ रहे हैं. यहां तक कि शिक्षक भी खुले में कक्षा और परीक्षा आयोजित कर हड़ताल में छात्रों का समर्थन कर रहे हैं.’
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