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झारखंड: सूखे की मार से कराह रहे किसानों को स्मार्ट फोन का लॉलीपॉप

सीएम रघुवर दास किसानों को बांटेंगे स्मार्ट फोन, लेकिन क्या झारखंड के बेहाल किसानों के लिए अभी प्राथमिकता कुछ और नहीं है

Updated On: Nov 30, 2018 10:19 AM IST

Brajesh Roy

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झारखंड: सूखे की मार से कराह रहे किसानों को स्मार्ट फोन का लॉलीपॉप

डिजिटल इंडिया बनाने की कवायद में जुटे झारखंड के सीएम रघुवर दास 50 लाख किसानों को बांटेंगे स्मार्ट फोन. डिजिटल इंडिया पीएम मोदी का सपना है. लेकिन अभी के हालात में स्मार्ट फोन? रघुवर सरकार ने अगले साल किसानों की आय को दोगुनी करने का लक्ष्य रखा है. इस वक्त किसानों का हाल खराब है. सवाल यह है कि क्या मिलने वाले स्मार्ट फोन से अपने खेतों में मर चुके धान या फिर खाली हो चुकी धान की कोठी की फोटो खींचेंगे झारखंड के किसान?इतना ही नहीं, राज्य सरकार की मानें तो कृषि और किसानों से संबंधित तमाम बातों की जानकारी अब सीधे डिजिटल माध्यम से किसानों तक पहुंचाने की योजना भी है. यह अलग मसला है कि झारखंड के किसानों में साक्षरता दर बहुत कम है. सवाल स्मार्ट फोन नहीं, अभी की प्राथमिकता का है.

गौरतलब है कि राज्य में 129 प्रखंड को राज्य सरकार ने सूखा घोषित करते हुए केंद्र से सहायता की प्रार्थना करते हुए विशेष राहत पैकेज की मांग की है. रघुवर सरकार ने ये भी गुहार लगाई है कि समय पर मदद न मिली तो राज्य के किसानों की हालत पटरी पर से उतर जाएगी. इधर इन्हीं हालातों के बीच 29-30 नवंबर को झारखंड सरकार ग्लोबल एग्रीकल्चर एंड फूड समिट का भी भव्य आयोजन करने जा रही है, जिसमे देश दुनिया के 10,000 से ज्यादा किसान और 2,000 डेलीगेट्स अपनी उपलब्धियों के साथ ज्ञान का ढिंढोरा पीटेंगे. देश के कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह इस समिट में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करेंगे. सरकार के मन के मुताबिक किसानों के इस महासमागम के आयोजन पर चार से पांच करोड़ रुपए के खर्च का अनुमान भी है.

धान खरीद का दर तय और दावा, ऑनलाइन बेचेंगे किसान धान

दिलचस्प पहलू यह भी है कि कैबिनेट की बैठक में निर्णय लेते हुए मंगलवार को रघुवर सरकार ने धान खरीद की दर 1750 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित करते हुए अपनी पीठ थपथपा ली. मात्र 17 प्रतिशत सिंचाई सुविधाओं के साथ हर साल एक फसल की बाट जोहने वाले झारखंड के किसान के खेतों में धान हुआ ही नहीं और सरकार ने चार साल के बाद धान खरीद की अच्छी रकम का ऐलान जरूर कर दिया. बीजेपी किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष ज्योतिरीश्वर सिंह उत्साह से लबरेज हैं, दावा भी करते हैं कि झारखंड में लक्ष्य से पहले किसानों की आय दोगुनी होती दिखने लगेगी.

raghvar das

मिलने जा रहे स्मार्ट फोन से राज्य के किसान अपनी फसल और उत्पाद की बिक्री ऑनलाइन कर सकेंगे, यह दावा भी बीजेपी कर रही है. इस संदर्भ में हास्यास्पद स्थिति यह भी है कि पठारी क्षेत्र झारखंड में अभी भी फुल नेटवर्क के दावे कोई नहीं कर सकता. एक आंकड़े के मुताबिक मोबाइल नेटवर्क और कनेक्टिविटी के मामले में झारखंड देश के निचले पायदान में देखा जाता है. बावजूद इसके भरोसा और उम्मीद है कि किसान स्मार्ट फोन के जरिए स्मार्ट हो जाएंगे .

वैकल्पिक खेती पर फोकस करने का है इरादा

सिंचाई सुविधाओं के अभाव को पाटने और अपनी खामियों को छुपाने के लिए झारखंड सरकार ने वैकल्पिक खेती यानि खरीफ रबी फसल के मुकाबले डेयरी, मुर्गी, बकरी, सूकर पालन और मछली पालन को फोकस कर रही है. डेयरी फार्मिंग को प्रोत्साहित करने में सबसे ज्यादा दिलचस्पी दिखाते हुए सरकार ने 50 फीसदी से ज्यादा सब्सिडी का ऐलान भी कर दिया है. सरकार इस दिशा में जर्सी गाय की जगह देशी नस्ल की गायों की नस्ल सुधारने की पहल में जुट गई है.

राज्य के कृषि मंत्री रणधीर सिंह का मानना है कि जर्सी गाय का दूध जहर की तरह है, हम देशी गाय के दुग्ध उत्पादन पर फोकस कर रहे हैं. यहां भी सरकार की सोंच है कि कम पानी के उपयोग से वैकल्पिक खेती में किसानों को फायदा और ग्रोथ रेट ज्यादा मिलेगा. किसान की आय समय से पहले दोगुनी हो जाएगी और वो बिना किसी बिचौलिए के सीधे ग्राहक के साथ अपने स्मार्ट फोन के जरिए व्यापार स्थापित कर पाएंगे.

इसी सोच के तहत झारखंड सरकार किसानों को लगातार ट्रेनिंग पैकेज के तहत इजराइल भेजने का काम कर रही है ताकि यहां के किसान जान सकें कि कम पानी में फायदेमंद खेती कैसे की जाती है ?

वन उत्पाद के साथ सब्जी बाजार के तौर पर पहचान बनाने की कोशिश

सिंचाई सुविधाओं के अभाव को झेलते झारखंड ने सब्जी उत्पादन के साथ वन उत्पादों पर फोकस कर उसे बाजार उपलब्ध कराने की योजना पर भी काम करना शुरू कर दिया है. यह सही भी है, यहां की मिट्टी में उर्वरा क्षमता दूसरे कई जगहों से ज्यादा है. यहां के मटर, गोभी, पत्ता गोभी, शिमला मिर्च, बीन, टमाटर और पपीता की मांग देश दुनिया में बढ़ी है. जो किसान अपनी मेहनत के बूते इस तरह की खेती में लगे हैं वे मुनाफा भी कमा रहे हैं. लेकिन किसानों की इस तस्वीर और भी संवारा जा सकता था.

मटर, गोभी या टमाटर जैसी खेती में जुटे ज्यादातर किसानों के लिए सिंचाई सुविधाओं का अभाव अब उनकी कार्य क्षमता को प्रभावित करने लगा है. कुंआ, तालाब, डोभा या फिर चेक डैम यानी छोटी सिंचाई योजनाओं का अभाव ये किसान लगातार झेलने को मजबूर हैं.

बावजूद इसके किसी तरह बोरिंग,पंप सेट या फिर छोटे कुंआ से सब्जी का उत्पादन जरूर करने लगे हैं. यदि सिंचाई की बेहतर सुविधा मिले तो खेती और आय दोनों में इजाफा होगा इससे इंकार नहीं किया जा सकता. इसी तरह जंगल से घिरे झारखंड में कटहल, आम, महुआ, और इमली जैसे वन उत्पादों को लेकर भी एक ठोस योजना को स्वरूप दिया जा सकता है.

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रघुवर सरकार ने इस दिशा में फूड पार्क जैसी सोच पर भी पहल करने की इच्छा व्यक्त जरूर की है पर यह जमीनी धरातल से फिलहाल दूर दिखाई पड़ती है. बावजूद इसके यहां भी सरकार की सोच है कि स्मार्ट फोन के जरिए किसान अब सीधे बाजार और व्यापारियों के संपर्क में रहेंगे और उनकी आय बढ़ेगी.

बहरहाल, आदिवासी बहुल पठारी क्षेत्र झारखंड के किसान और उनका व्यक्तित्व संवारने की एक पहल की शुरुआत हो चुकी है. स्मार्ट फोन के जरिए किसानों को स्मार्ट बनाने की कोशिश जारी है. इस लिहाज से ग्लोबल एग्रीकल्चर फूड समिट पर भी नजरें जरूर टिकी रहेंगी. देश दुनिया के जानकार जब इकट्ठा होंगे तो कुछ न कुछ जरूर निकलेगा और यहां के किसान भी अपने वर्तमान से भविष्य की यात्रा का कुछ हद तक अनुमान लगा पाने में सक्षम जरूर होंगे. प्रयास और परिणाम सकरात्मक हों तो झारखंड के किसान स्मार्ट हो ही जाएंगे.

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