झारखंड में बीते गुरुवार को आयोजित बंद में विपक्षी नेताओं समेत तकरीबन 19,000 प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार कर हिरासत में लिया गया. हालांकि, इस बंद को लेकर राज्य का पुलिस-प्रशासन काफी सक्रिय नजर आया और उसने इस हड़ताल को पूरे राज्य में शांतिपूर्ण बताया.
झारखंड पुलिस के प्रवक्ता आशीष बत्रा ने बताया कि गुरुवार शाम तक 16,000 से भी ज्यादा लोगों को हिरासत में लिया गया था और यह आंकड़ा बढ़कर 20,000 से भी ज्यादा तक पहुंच सकता है. बंद का आयोजन राज्य की तमाम विपक्षी पार्टियों ने किया था. भूमि अधिग्रहण कानून, 2013 में संशोधन के खिलाफ यह विरोध-प्रदर्शन हुआ. यह संशोधन राज्य विधानसभा में बीते साल यानी 2017 में बिल पास कर किया गया है.
बहरहाल, इस बंद का मिला-जुला असर देखने को मिला. हिंसा की आशंका को देखते हुए लोग बाहर नहीं निकले और सड़कें खाली दिख रही थीं. हालांकि, शहरी इलाकों में मल्टीप्लेक्स और बाजार काफी हद तक खुले नजर आए. पुलिस की तरफ से जारी लिस्ट के मुताबिक, रांची में 447 से भी ज्यादा लोगों को हिरासत में लिया गया, जबकि जमशेदपुर में तकरीबन 2,304 लोगों को गिरफ्तार किया गया. इन लोगों को कैंप जेल में रखा गया. धनबाद, बोकारो, पलामू, चौपारन और दुमका से भी इसी तरह की गिरफ्तारी की खबर है. कितना व्यापक रहा विरोध-प्रदर्शन?
झारखंड में बीजेपी की अगुवाई वाली सरकार बंद के लिए पूरी तरह से तैयार थी और हालात से निपटने के लिए बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किए गए थे. बंद के मद्देनजर रांची और जमशेदपुर में स्कूल बंद रहे और बस सेवाएं भी बाधित हुईं. हालांकि,राज्य के दोनों प्रमुख शहरों में बिना किसी रोकटोक के ऑटोरिक्शा चल रहे थे.
बंद के दौरान झारखंड विकास मोर्चा (जेएमएम) के सुप्रीमो और राज्य के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी अपने करीब 300 समर्थकों के साथ गुरुवार सुबह 10.30 बजे सड़कों पर उतरे. उन्हें रांची के अलबर्ट एक्का चौक की तरफ बढ़ने की इजाजत नहीं दी गई और डीएसपी राजकुमार मेहता ने शहर (राज्य की राजधानी) के सुजाता चौक पर मरांडी को गिरफ्तार कर लिया. झारखंड विकास मोर्चा ने भी कांग्रेस, झारखंड विकास मोर्चा (प्रजातांत्रिक) और लेफ्ट पार्टियों की तरफ से आयोजित इस बंद का समर्थन किया था.
मरांडी ने राज्य की बीजेपी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, 'रघुबर दास (मुख्यमंत्री) सत्ता के नशे में चूर हैं और उनके तानाशाही रवैये को अब जनता बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेगी. सरकार को पूरी तरह से इस बात का अंदाजा था कि लोग उसके खोखेल वादों से आजिज हैं और वे बड़े पैमाने पर बंद का समर्थन करेंगे. इस बात को ध्यान में रखते हुए शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे लोगों को परेशान करने के लिए इतनी बड़ी संख्या में पुलिस बल का इंतजाम किया गया.'
पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के सांसद सुबोध कांत सहाय, राज्य कांग्रेस के अध्यक्ष अजय कुमार और सीपीएम नेताओं ने भी अलबर्ट एक्का चौक पर गिरफ्तारी दी. इन तमाम विपक्षी नेताओं को वहां से बिड़सा मुंडा फुटबॉल स्टेडियम में स्थित कैंप जेल भेज दिया गया. पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष हेमंत सोरेन अपने समर्थकों के साथ सबसे आखिर में अलबर्ट एक्का चौक पहुंचे, जहां से उन्हें भी गिरफ्तार कर कैंप जेल भेज दिया गया. झारखंड के मुख्यमंत्री रघुबर दास ने रांची के प्रोजेक्ट भवन में बुलाई गई प्रेस कॉन्फ्रेंस में संपूर्ण विपक्ष की तरफ से आयोजित बंद को पूरी तरह से असफल बताया. उन्होंने पूछा, 'जब विपक्ष के नेता एक जगह पर इकट्ठा भी नहीं हो पाए, तो ऐसे में इन नेताओं की एकता का सवाल कहां उठता है?'
दास ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए सुबोध कांत सहाय और अजय कुमार के बीच कथित मतभेद को लेकर भी हमला किया. दरअसल, पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता सहाय और राज्य कांग्रेस के अध्यक्ष अजय कुमार अलग-अलग अलबर्ट एक्का चौक पर पहुंचे थे. दास ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा, 'ऐसी पार्टी जो अपने लोगों को एकजुट नहीं रख सकती है, वह महागठबंधन के बारे में बात कर रही है. यह कांग्रेस की गंदी राजनीति का एक और उदाहरण है. पार्टी निर्दोष लोगों को बेवकूफ बनाने की कोशिश कर रही है. बंद पूरी तरह से गैर-जरूरी और विकास के खिलाफ था. मुझे इस बात की खुशी है कि लोगों ने इस बार महसूस किया कि विपक्षी पार्टियां उन्हें गुमराह कर रही हैं.'
गांव और दूर-दराज के इलाकों में बंद का व्यापक असर रहा
राज्य में विपक्षी पार्टियों की तरफ से आयोजित यह बंद छोटी जगहों और दूर-दराज के इलाकों में ज्यादा सफल रहा. बंद के कारण गोड्डा, साहेबगंज, चतरा और जामतारा जैसे जिलों में लोगों के रोज-ब-रोज के कामकाज पर बुरी तरह से असर देखने को मिला. जेवीएम, जेएमएम, कांग्रेस, आरजेडी और सीपीएम के कार्यकर्ताओं ने देवघर के टावर चौक पर विरोध-प्रदर्शन किया.
विपक्षी पार्टियां झारखंड विधानसभा में पिछले साल पास बिल के जरिये किए गए उस संशोधन के खिलाफ हैं, जिसके तहत सरकार से जुड़ी 10 विकास परियोजनाओं के लिए जमीन अधिग्रहण से पहले इसके सामाजिक असर के आकलन की प्रक्रिया को खत्म करने की बात है. इस बिल को हाल में राष्ट्रपति की तरफ से मंजूरी मिली है, लेकिन विपक्ष की मांग के बावजूद इस बारे में आधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं की गई है.
जरमुंडी से कांग्रेस विधायक बादल पत्रलेख ने बंद के दौरान दुमका में विरोध-प्रदर्शनों की अगुवाई की. कांग्रेस विधायक ने आरोप लगाया कि भोले-भाले आदिवासियों को अपनी जमीन से बेदखल करने के मकसद से राज्य सरकार बड़े-बड़े उद्योगपतियों के साथ मिलकर काम कर रही है. उन्होंने कहा, 'बीजेपी सरकार अंबानी और अडानी जैसे लोगों के समर्थन में काम कर रही है, जो कौड़ी के भाव में आदिवासियों की खनिज संपदा से समृद्धि जमीन हड़पना चाहते हैं.'
गोड्डा में बंद का व्यापक असर देखा गया और वहां इस दौरान गतिविधियां पूरी तरह से ठप हो गईं. विपक्षी पार्टियों के कार्यकर्ताओं ने इस जिला मुख्यालय में कारगिल चौक पर विरोध-प्रदर्शन किया. अडानी पावर यहां 1,600 मेगावॉट का थर्मल पावर प्लांट लगा रही है. इस वजह से यह क्षेत्र हाल में सुर्खियों में भी था.
इस इलाके के स्थानीय लोग संथाल परगना काश्तकारी कानून को हवाला देते हुए 1,214 एकड़ में प्रस्तावित इस परियोजना का विरोध कर रहे हैं. इस कानून के तहत खेती योग्य जमीन का अधिग्रहण, ट्रांसफर, लीज या बिक्री मुमकिन नहीं है. झारखंड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष हेमंत सोरेने ने बताया, 'संशोधन का मतलब आदिवासियों को उनके अधिकारों से वंचित करने जैसा है और महागठबंधन का मकसद इस संशोधन के खिलाफ आखिर तक संघर्ष करना है.'
हिंसा की छिटपुट घटनाओं को छोड़ दिया जाए, तो पूरे राज्य में मोटे तौर पर बंद शांतिपूर्ण रहा. जेवीएम के एक स्थानीय नेता, कार्तिक रजक को जामताड़ा जिले के कर्मतंद इलाके में अपने समर्थकों के साथ गिरफ्तार किया गया. दरअसल, रजक की गिरफ्तारी से पहले स्थानीय सर्किल अफसर गुलजार अंजुम के साथ उनकी जमकर गरमागरम बहस हुई.
आदिवासी छात्र संघ के कार्यकर्ताओं ने बंद के दौरान रेल पटरियों को भी जाम करने की कोशिश की, जिससे पाकुड़ और साहेबगंज जिलों में ट्रेनों की आवाजाही पर काफी असर देखने को मिला. आंदोलकारी छात्रों को पुलिस टीम द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद ट्रेन सेवाओं को फिर से बहाल किया जा सका. प्रदर्शनकारियों ने बोकारो में राजधानी एक्सप्रेस को भी रोकने की कोशिश की, लेकिन सतर्क पुलिसकर्मियों ने उनकी इस कोशिश को नाकाम कर दिया.
पूरी तरह से मुस्तैद था पुलिस प्रशासन, तुरंत कार्रवाई पर फोकस
सरकार ने प्रदर्शनकारियों को काबू में रखने के लिए अभूतपूर्व तैयारी की थी. रांची, जमशेदपुर, हजारीबाग, धनबाद और बोकारो के प्रमुख चौराहों पर बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था. बंद के दौरान किसी भी तरह की स्थिति से निपटने के लिए पूरे राज्य में 5,000 से भी ज्यादा सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए थे. इसके तहत रैपिड एक्शन फोर्स की 10 कंपनियां, होम गार्ड और झारखंड सैन्य पुलिस के 3,100 सुरक्षाकर्मियों को 500 मैजिस्ट्रेट के साथ जगह-जगह पर रखा गया था.
बंद के दौरान गतिविधियों को रिकॉर्ड करने के लिए 170 सीसीटीवी कैमरा और 6 ड्रोन की तैनाती की गई थी. इस अवसर पर जिला प्रशासन ने फ्लैग मार्च भी किया और विभिन्न शहरों के हॉस्टलों को भी खाली करा दिया गया. रांची के एसपी अमन कुमार ने बताया, 'यह देखा गया है कि आम तौर पर बंद में छात्रों की बंद में काफी सक्रिय भागीदारी होती है, लिहाजा हमने इस बार में हॉस्टलों को खाली कराने का फैसला किया.'
(मनमोहन सिंह लखनऊ के स्वतंत्र पत्रकार हैं और 101Reporters.com के मेंबर हैं. 101Reporters.com जमीनी स्तर पर काम करने वाले पत्रकारों को देशव्यापी नेटवर्क है.)
हंदवाड़ा में भी आतंकियों के साथ एक एनकाउंटर चल रहा है. बताया जा रहा है कि यहां के यारू इलाके में जवानों ने दो आतंकियों को घेर रखा है
कांग्रेस में शामिल हो कर अपने राजनीतिक सफर की शुरूआत करने जा रहीं फिल्म अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर का कहना है कि वह ग्लैमर के कारण नहीं बल्कि विचारधारा के कारण कांग्रेस में आई हैं
पीएम के संबोधन पर राहुल गांधी ने उनपर कुछ इसतरह तंज कसा.
मलाइका अरोड़ा दूसरी बार शादी करने जा रही हैं
संयुक्त निदेशक स्तर के एक अधिकारी को जरूरी दस्तावेजों के साथ बुधवार लंदन रवाना होने का काम सौंपा गया है.