ग्रामीण भारत के प्रतिभाशाली बच्चों के लिए केंद्र सरकार ने आवासीय जवाहर नवोदय विद्यालय (जेएनवी) की शुरुआत की थी. लेकिन जेएनवी कैंपस में पिछले 5 सालों में करीब 49 छात्रों ने आत्महत्या की है. 2013 से 2017 के बीच में 49 छात्रों ने आत्महत्या की, जिनमें से आधे या तो दलित थे या ट्राइबल (आदिवासी).
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, आत्महत्या करने वालों में ज्यादातर लड़के हैं. और 7 को छोड़कर सबने फंदे में लटक कर अपनी जान दी थी. इनकी मौत की खबरें या तो क्लासमेट्स के माध्यम से मिली या स्कूल स्टाफ ने उन्हें देखा था.
1985-86 में शुरू हुआ जेएनवी को बोर्ड परीक्षाओं में सर्वश्रेष्ठ परिणाम देने के लिए जाना जाता है. इस विद्यालय ने हजारों कमजोर एवं वंचित बच्चों को गरीबी से बाहर निकाला है. 2012 से इन स्कूलों ने कक्षा 10 में 99 प्रतिशत से अधिक और कक्षा 12 में 95 प्रतिशत से अधिक का पास परसेंटेज दिया है, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है. इसके अलावा यह निजी स्कूलों और सीबीएसई के राष्ट्रीय औसत से भी बेहतर है.
मानव संसाधन विकास मंत्रालय के तहत आने वाले स्कूल की वेबसाइट के अनुसार, नवोदय विद्यालय की शुरुआत एक अनोखे प्रयोग के तौर पर हुई. आज भारत में और अन्य जगहों पर स्कूली शिक्षा के इतिहास में यह अद्वितिय है. एचआरडी मिनिस्ट्री के तहत नवोदय विद्यालय समिति (एनवीएस) एक स्वायत संगठन है और एचआरडी ही 635 जेएनवी का प्रबंधन देखती है.
प्राप्त डेटा के मुताबिक, 46 विद्यालयों में से 41 गंभीर चुनौती का सामना कर रहे हैं. फिलहाल 635 जेएनवी में 2.8 लाख छात्र पढ़ रहे हैं.
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