मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने बुधवार को कहा कि केंद्र को मई में रमजान शुरू होने से लेकर अगस्त में अमरनाथ यात्रा संपन्न होने तक एकतरफा संघर्षविराम बनाए रखने पर विचार करना चाहिए .
मुख्यमंत्री ने बुधवार को सर्वदलीय बैठक की अध्यक्षता की. यह बैठक चार घंटे तक चली. कश्मीर घाटी में खासकर सात मई को पत्थरबाजी के कारण चेन्नई के एक पर्यटक की मौत के बाद मौजूदा स्थिति पर चर्चा के लिए बैठक बुलाई गई थी.
बैठक के बाद उन्होंने मीडिया से कहा, ‘हर कोई (सभी दल) सहमत हैं कि हमें (पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी) वाजपेयी के समय में एकतरफा संघर्षविराम बनाए रखने की तरह केंद्र से संघर्षविराम पर विचार करने की अपील करनी चाहिए.’
महबूबा मुफ्ती ने फिर से तत्कालीन प्रधानमंत्री वाजपेयी की जम्मू-कश्मीर नीति को अपनाने की बात दोहराई. उन्होंने कहा कि सभी ने इस बात पर सहमति जताई है कि जैसे 2000 में वाजपेयी जी ने एकपक्षीय युद्धविराम किया था, उसी तरह इस सरकार को भी इस पर सोचना चाहिए.
मुफ्ती ने कहा कि मुड़भड़ से आम आदमी को परेशानी हो रही है. माहौल को बेहतर बनाने के लिए हमें अवश्य ही प्रयास करना चाहिए जिससे कि ईद और अमरनाथ यात्रा दोनों शांतिपूर्ण तरीके से हो सके.
उन्होंने कहा कि संघर्षविराम से लोगों को राहत और राज्य में बेहतर माहौल बनाने में मदद मिलेगी. मुख्यमंत्री ने सभी पक्षों से हिंसा और खून-खराबे के चक्रव्यूह से राज्य को निजात दिलाने के मिशन से जुड़ने की अपील की.
मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी पार्टियां इस बात पर भी राजी है कि हम प्रधानमंत्री मोदी से मिलकर राज्य के हालात के बारे में बताएंगे. जिससे कि हम जम्मू-कश्मीर के लोगों से जुड़ सके.
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