पिछले साल जम्मू-कश्मीर में एक शख्स को जीप के आगे बांधकर घुमाने वाले भारतीय सेना के मेजर लीतुल गोगोई की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. श्रीनगर के एक होटल में स्थानीय लड़की के साथ देखे जाने के बाद मेजर गोगोई नए विवाद में फंस गए हैं. सेना ने इस मामले में मेजर गोगोई के खिलाफ कोर्ट ऑफ इंक्वायरी के आदेश दिए हैं. खुद सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत ने कहा है कि, अगर मेजर गोगोई गुनहगार साबित हुए तो उन्हें ऐसी सजा दी जाएगी जो नजीर बनेगी. लड़की के साथ देखे जाने के मामले में सेना ने जहां मेजर गोगोई के खिलाफ जांच बैठा दी है, वहीं दूसरी तरफ एक शख्स को जीप के आगे बांधकर घुमाने के मामले में जम्मू-कश्मीर पुलिस ने सेना पर सहयोग न करने के आरोप लगाए हैं.
डार को बंधक बनाकर रखने और तनवीर वानी की हत्या का चल रहा है केस
जम्मू-कश्मीर पुलिस ने इस मामले में सेना को एक पत्र लिखा है. जम्मू-कश्मीर पुलिस अपने पत्र में लिखा है कि सेना के असहयोग की वजह से कश्मीर में एक स्थानीय युवक की हत्या और एक शख्स को जीप के बोनट पर बांधकर सड़कों पर परेड कराकर उसकी बेइज्जती करने और उसे अवैध तरीके से हिरासत में रखने के आरोपी मेजर गोगोई और 53 आरआर के उनके साथी सैनिकों के खिलाफ जांच में बाधा पहुंच रही है.
मेजर गोगोई और उनके साथियों पर कश्मीर के बडगाम जिले के बीरवाह इलाके में तनवीर अहमद वानी नाम के युवक की हत्या का आरोप है. इस केस की रिपोर्ट खुद बडगाम के सीनियर सुप्रीटेंडेंट ऑफ पुलिस (SSP) ने तैयार की थी. इस मामले में बडगाम के मगम इलाके के सब डिवीजनल पुलिस ऑफिसर (SDPO) अबतक 53 आरआर के कमांडिंग ऑफीसर को कई पत्र लिख चुके हैं. SDPO ने खुलासा किया है कि, एक के बाद एक कई पत्र लिखने के बावजूद 53 आरआर के कमांडिंग ऑफिसर ने अभी तक पुलिस को मांगी गई जानकारियां मुहैया नहीं कराईं हैं. दरअसल पुलिस ने सेना से तनवीर अहमद वानी की हत्या वाले दिन इलाके में तैनात 53 आरआर के जवानों और गश्त पर लगे वाहनों की जानकारी मांगी थी.
तनवीर अहमद वानी हत्याकांड के अलावा जम्मू-कश्मीर पुलिस ने 53 आरआर के कमांडिंग ऑफिसर से फारूक अहमद डार मामले में भी जानकारियां दरयाफ्त की थीं. फारूक अहमद डार यानी वही शख्स जिसे मेजर गोगोई ने अपनी जीप के बोनट पर बांधकर इलाके में घुमाया था और अवैध तरीके से बंधक बनाकर भी रखा था. पुलिस के कई पत्रों के बावजूद 53 आरआर ने अभी तक इस मामले में भी किसी तरह की जानकारी नहीं दी है. सेना के इस रवैए से जम्मू-कश्मीर पुलिस निराश और हैरान है.
डार वाली घटना के दिन ही 53 राष्ट्रीय राइफल्स के जवानों ने दो युवकों को गोली मारी थी
फारूक अहमद डार को जीप के बोनट पर बांधे जाने की घटना पिछले साल 9 अप्रैल को हुई थी. उस दिन श्रीनगर लोकसभा सीट पर उपचुनाव था. अलगाववादी संगठनों के चुनाव बहिष्कार के आह्वान के बावजूद फारूक उस दिन वोट डालने गया था. जब वो वोट डालकर घर लौट रहा था, तभी मेजर गोगोई और उनके साथियों ने फारूक को पत्थरबाज होने के शक में पकड़ लिया. इसके बाद मेजर गोगोई ने फारूक को अपनी जीप के बोनट पर बांध दिया और पूरे इलाके में उसकी परेड कराई. मोजर गोगोई ने फारूक को अपनी जीप के बोनट पर बांधकर उसे मानव ढाल के रूप में भी इस्तेमाल किया ताकि पत्थरबाजी से बचा जा सके. जिस दिन फारूक के साथ यह घटना हुई उसी दिन 53 आरआर के जवानों ने इलाके में दो युवकों को गोली मार दी थी. जिनमें से एक तनवीर अहमद वानी की इलाज के दौरान 21 अक्टूबर 2017 को मौत हो गई थी. इस मामले में सेना ने सफाई दी थी कि उसकी तरफ से फायरिंग पत्थरबाजी से बचने के लिए की गई थी.
फारूक अहमद डार मामले में मगम के सब डिवीजनल पुलिस ऑफिसर (SDPO) कई बार 53 आरआर के कंपनी कमांडर को भी शिकायती पत्र लिख चुके हैं. SDPO अपने हर पत्र में यह बात दोहराई है कि, 9 अप्रैल 2017 को श्रीनगर लोकसभा सीट पर उपचुनाव के दौरान बडगाम के गुंडलीपोरा-बीरवाह रोड पर तैनात सेना के वाहनों की जानकारी न मिलने से केस की जांच में तेजी नहीं आ पा रही है. SDPO ने इस बाबत 53 आरआर के कंपनी कमांडर को पहला पत्र फारूक को जीप के बोनट पर बांधे जाने की घटना के कुछ दिन बाद ही लिखा था. इसके अलावा 12 मई 2017 को सेना के एक अन्य उच्चाधिकारी को भी इस मामले में पत्र लिखा गया था और जरूरी जानकारियां दरयाफ्त की गईं थीं. इन पत्रों के अलावा जम्मू-कश्मीर पुलिस ने जांच में सहयोग के लिए सेना को कई और अनुरोधी पत्र भी लिखे थे. पिछले साल 6 अगस्त 2017 और 27 नवंबर को भी पुलिस ने ऐसी ही गुजारिशी चिट्ठियां सेना को भेजी थीं, लेकिन सेना ने अभी तक घटना वाले दिन इलाके में तैनात अपने जवानों और वाहनों की जानकारी देने में रुचि नहीं दिखाई है.
एसपीडीओ ने मांगी थी जानकारियां
फारूक अहमद डार को जीप के बोनट पर बांधे जाने और उसे मानव ढाल की तरह इस्तेमाल करने के मामले में पुलिस ने मेजर गोगोई के खिलाफ अवैध तरीके से बंधक बनाकर रखने का केस दर्ज किया था. इस मामले में SDPO ने सेना की यूनिट को एक पत्र लिखा था, जिसमें पूछा गया था कि, 'क्या घटना वाले दिन यानी 9 अप्रैल 2017 को आपकी यूनिट को आवंटित (अलॉट) किए गए वाहन का नंबर 339Y था या कुछ और. अगर बताए गए नंबर वाला वाहन ही आपकी यूनिट को आवंटित किया गया था, तो उस दिन उस वाहन का इस्तेमाल करने वाले ऑफिसर, उसकी रैंक और उसकी कंपनी की लोकेशन का ब्यौरा देने की कृपा करें.'
SDPO द्वारा 27 नवंबर 2017 को सेना की यूनिट को भेजे गए पत्र में कहा गया था, 'आज की तारीख में अभी तक हमें आपकी ओर से किसी तरह का जवाब या जानकारी नहीं मिली है. जरूरी ब्यौरा न मिलने की वजह से केस की जांच में प्रगति नहीं आ पा रही है.'
तनवीर अहमद वानी हत्याकांड की जांच रिपोर्ट बडगाम के एसएसपी ने तैयार की थी. यह रिपोर्ट 21 अक्टूबर 2017 को तनवीर की मौत के बाद तैयार की गई थी. जांच रिपोर्ट में बडगाम के एसएसपी ने लिखा, 'वारदात वाले दिन घटनास्थल के आसपास तैनात जवानों के ब्यौरे और जानकारियों के संबंध में सेना से कई बार पत्राचार किया गया, लेकिन सेना के संबंधित अफसरों ने आज तक इस बारे में जानकारी मुहैया नहीं कराई है.'
गश्ती दल ने सरेआम मारी थी गोली, जवानों की हो चुकी है पहचान
अक्टूबर 2017 में बीरवाह पुलिस स्टेशन के सिपाहियों को जानकारी मिली थी कि 53 आरआर कैंप की पेट्रोलिंग पार्टी (गश्ती दल) ने इलाके के बाजार में सरेआम दो युवकों पर फायरिंग की थी. इनमें से एक युवक का नाम तनवीर अहमद वानी और दूसरे युवक का नाम मोहम्मद इब्राहिम वानी था. दोनों युवक बीरवाह के ही रहने वाले थे. गोली मारने के बाद 53 आरआर कैंप की पेट्रोलिंग पार्टी दोनों युवकों को घायल हालत में छोड़कर वहां से चली गई थी. जिसके बाद स्थानीय लोगों ने दोनों युवकों को अस्पताल में भर्ती कराया था. बाद में इलाज के दौरान तनवीर की मौत हो गई थी. तनवीर की मौत के बाद पुलिस ने आरपीसी की धारा 302 के तहत 53 आरआर के जवानों के खिलाफ हत्या का केस दर्ज किया था.
मगम के SDPO शौकत अहमद ने पुष्टि की है कि तनवीर अहमद वानी हत्याकांड मामले में पुलिस ने कई बार सेना को पत्र लिखकर घटना वाले दिन मौका-ए-वारदात के आसपास तैनात जवानों की जानकारियां मांग चुकी है. शौकत अहमद ने बताया कि, तनवीर अहमद वानी हत्याकांड की जांच और फारूक अहमद डार को अवैध तरीके से बंधक बनाने के मामले की जांच जारी है. इन दोनों मामलों को जल्द ही प्रोसेक्यूशन (अभियोजन) के लिए अंतिम रूप दे दिया जाएगा.
शौकत अहमद ने आगे बताया कि फारूक अहमद डार को जीप के बोनट पर बांधकर घुमाने के मामले में वीडियो के आधार पर मेजर लीतुल गोगोई की पहचान हो गई है. जबकि फायरिंग करके तनवीर अहमद वानी को मौत के घाट उतारने वाले 53 आरआर के कुछ जवानों की भी पहचान कर ली गई है.
वहीं बडगाम के एसएसपी तेजिंदर सिंह का कहना है कि, 'दोनों मामलों की जांच लगातार चल रही थी और उचित समय पर जांच के निष्कर्षों का खुलासा कर दिया जाएगा.'
मोहम्मद एहसान उन्तू नाम के एक मानवाधिकार कार्यकर्ता फारूक अहमद डार मामले पर बराबर नजर रखे हुए हैं. मोहम्मद एहसान ने ही फारूक को अवैध तरीके से बंधक बनाए जाने के मामले में मेजर गोगोई के खिलाफ मुकदमा दायर किया था. उनकी मांग है कि मेजर गोगोई को उनकी करतूत के लिए सख्त सजा दी जानी चाहिए. मोहम्मद एहसान के मुताबिक, 'मेजर गोगोई को फांसी की सजा दी जानी चाहिए. उन्होंने फारूक को अपने वाहन पर बांधकर उसकी परेड कराई, उन्होंने अवैध रूप से एक कश्मीरी लड़की को हिरासत में लिया और यौन उत्पीड़न करने के लिए उसे एक में होटल ले गए. मेजर गोगोई का आचरण घृणास्पद और शर्मनाक है.'
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