जम्मू-कश्मीर सरकार द्वारा सरेंडर करने वाले आतंकवादियों के पुनर्वास के लिए 6 लाख रुपए की घोषणा की गई. महबूबा मुफ्ती की सरकार की सहयोगी पार्टी बीजेपी ने इस पर सवाल खड़ा किया है. महबूबा मुफ्ती के सरकार द्वारा लिए गए इस कदम को सुरक्षा बलों के साथ धोखाधड़ी के रूप में देखा जा रहा है. इस नीति का विरोध करने वालों का कहना है कि यह कश्मीर घाटी में आतंकवाद को प्रोत्साहित करने जैसा है.
टाइम्स नॉउ में छपी खबर के मुताबिक घाटी में सरेंडर करने वाले आतंकियों को फिक्सड डिपोजिट के रूप में 6 लाख रुपए दिए जाएंगे और इसका लॉक-इन पीरियड 10 सालों का होगा और यह इस पूरी अवधि में सरेंडर करने वाले आतंकी के अच्छे व्यवहार को देखने के बाद ही दिया जाएगा. हालांकि इन 10 सालों तक इस फिक्सड डिपोजिट के इंटरेस्ट के रूप में 4000 रुपए हर महीने मिलेंगे.
इससे पहले सरेंडर करने वाले आतंकवादियों को पुनर्वास नीति के तहत 1.5 लाख रुपए दिए जाते थे और इसका लॉक-इन पीरियड 3 साल का था. इसके साथ-साथ किसी भी तरह का मासिक पेमेंट नहीं मिलता था.
इस नई नीति को जम्मू-कश्मीर के गृह विभाग ने बनाया है जिसका कार्यभार सीएम महबूबा मुफ्ती के पास है. इस नई नीति में सरेंडर करने के वक्त हथियार, गोला-बारूद और विस्फोटक के जमा करने पर दी जाने वाली नकद राशि में बढ़ोतरी की गई है, साथ ही जॉब देने की भी योजना इसमें शामिल है.
पहले UMG/GMPG/Pika/RPG/Sniper Rifle के बदले 25000 रुपए दिए जाते जिसे बढ़ाकर 1 लाख कर दिया गया है. इसी एके राइफल के लिए पहले 15000 रुपए दिए जाते थे जिसे बढ़ाकर 50000 रुपए कर दिया गया है.
इस नई नीति को लेकर गठबंधन सरकार के हिस्सेदारों पीडीपी और बीजेपी में ठन गई है. रिपोर्ट के मुताबिक सरकार द्वारा सरेंडर करने वाले आतंकियों के लिए दो राशि तय की गई है वो आतंकियों या पाकिस्तान द्वारा की गई फायरिंग में मारे जाने वाले आम नागरिकों के रिश्तेदारों को दी जाने वाली राशि से अधिक है.
फिलहाल यह रकम 5 लाख है. कश्मीर के एक अखबार के मुताबिक सरेंडर करने वाले आतंकियों को हर महीने रकम दी जाएगी वह राज्य सरकार द्वारा शिक्षित बेरोजगारों को हर माह दी जाने वाली रकम के बराबर है. बीजेपी के मंत्रियों ने इस नई पुनर्वास नीति का विरोध किया है और कहा है कि उन्हें यह स्वीकार्य नहीं.
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