श्रीनगर में पड़ रही कड़ाके की ठंड के बीच 19 वर्षीय फौजिया अली बारहवीं की परीक्षा देने घर से दो घंटे पहले निकलीं. फौजिया को अपने सेंटर कोठी बाग गर्ल्स हायर सेकेण्डरी स्कूल पहुंचने के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ी.
अलगाववादियों के बंद के चलते श्रीनगर में पब्लिक ट्रांसपोर्ट भी नहीं मिल रहे थे. इसके बावजूद फौजिया जैसे हजारों कश्मीरी छात्र किसी तरह परीक्षा केंद्र पहुंचे.
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 12वीं की परीक्षा के लिए 94 प्रतिशत छात्र उपस्थित हुए. दसवीं की परीक्षाएं एक दिन बाद शुरू हुईं. इसमे कुल 50 हजार छात्र भाग ले रहे हैं.
श्रीनगर के इंद्रा नगर इलाके की रहने वाली फौजिया बताती हैं कि 'मार्च तक इंतजार करने के बजाय हमने इसी नवंबर में परीक्षा देने का फैसला किया. मार्च तक क्या मालूम हालात और खराब हो जाएं.'
हंगामे के बीच छात्रों के भविष्य की फिक्र
जम्मू कश्मीर सरकार इस साल बोर्ड परीक्षाएं दो सत्रों में करवा रही है. पहला सत्र नवंबर में हो रहा है जबकि दूसरा सत्र मार्च में आयोजित किया जाएगा.
पिछले पांच महीनों से घाटी में जारी हिंसा और आगजनी के बीच 30 से अधिक स्कूल जलकर खाक हो गए हैं. परीक्षाएं शांतिपूर्ण ढंग से निपट जाएं, इसके लिए सरकार ने सभी केंद्रों पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं.
बारहवीं के लिए 484 केंद्र बनाए गए हैं, जबकि 10वीं के लिए 545 परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं. इन केंद्रों को अतिवादियों की मार से बचाने के लिए सुरक्षा बलों के अलावा स्कूल के शिक्षक और विभाग के बाकी अधिकारी भी रात-दिन काम कर रहे हैं.
आतंकी बुरहान के जिले में सबसे ज्यादा उत्साह
जम्मू कश्मीर पुलिस के मुताबिक स्कूलों को नुकसान पहुंचाने के आरोप में अभी तक 30 लोग गिरफ्तार किए गए हैं.
12वीं में पढ़ रहे इकत्तीस हजार से ज्यादा छात्रों में से तीस हजार से ज्यादा छात्र उपस्थित हुए. आश्चर्यजनक रूप से बुरहान वानी के जिले अनंतनाग में सबसे ज्यादा संख्या में बच्चे परीक्षा में शामिल हुए.
कश्मीर के आतंकी कमांडर बुरहान वानी के मारे जाने के बाद से पूरी घाटी में हिंसा फैली है. जिसमें अब तक 94 लोगों की जान जा चुकी है. यहां के चार हजार नौ सौ छब्बीस छात्रों में से चार हजार सात सौ चालीस बच्चे परीक्षा में शामिल हुए.
अनंतनाग की ही तरह कुलगाम भी हिंसा का शिकार रहा है. यहां अनंतनाग के बाद सबसे ज्यादा नागरिक हिंसा में मारे गए हैं. कुलगाम में परीक्षा में कुल 92 प्रतिशत छात्र उपस्थित हुए.
जम्मू कश्मीर सरकार के शिक्षा मंत्री नईम अख्तर ने परीक्षाओं को स्थिगित करने से मना कर बवाल खड़ा कर दिया था. अख्तर ने कहा था कि न तो ये परीक्षाएं मैं करवा रहा हूं और न ही इनसे मेरा कोई वास्ता है.
तनाव के माहौल में परीक्षा करवाने के लिए कश्मीर की मुफ्ती सरकार को आलोचना का सामना करना पड़ रहा है. हालांकि सरकार ने छात्रों को रियायत देते हुए परीक्षा के लिए सिलेबस आधा कर दिया है.
परीक्षाओं के चलते श्रीनगर में कई जगह बच्चों के साथ उनके अभिभावक भी दिखे. जिनके चेहरे पर डर साफ देखा जा सकता था. कुछ कार पूल करके परीक्षा केंद्र पहुंचे, तो कुछ, जिनके पास यह सुविधा नहीं थी अपने सड़कों पर खड़े साधन मिलने का इंतजार कर रहे थे.
बिना तैयारी के अच्छा परिणाम
परीक्षाएं बिना किसी अप्रिय घटना के निपट गईं. परीक्षा देकर बाहर आ रहे छात्रों में कई खुश थे. तो कुछ तैयारी के कमी के चलते ठीक से परीक्षा नहीं दे पाए. ऐसे छात्रों के चेहरे पर खराब परिणाम की चिन्ता साफ दिख रही थी.
कोठी बाग गर्ल्स हायर सेकेण्डरी स्कूल में परीक्षा देने आए नाजिश बशीर ने माना कि वो पिछले पांच महीने से स्कूल नहीं जा पाए थे. जिसके चलते उनकी तैयारी ठीक से हो नहीं पाई. पहले वो परीक्षा में बैठना भी नहीं चाहते थे.
नाजिश ने फर्स्टपोस्ट कहा,” पेपर तो सरल था. मेरी तैयारी में मेरे भाई ने मदद की. क्योंकि पिछले चार महीने से मैं स्कूल नहीं जा पाया था. मुझे खुशी है मैं इसमें शामिल हुआ”.
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