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इंटरसेप्ट केस: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को जारी किया नोटिस, 6 हफ्ते में मांगा जवाब

इंटेलिजेंस ब्यूरो से लेकर NIA तक 10 केंद्रीय एजेंसियों को जासूसी करने का लाइसेंस मिल गया था

Updated On: Jan 14, 2019 02:32 PM IST

FP Staff

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इंटरसेप्ट केस: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को जारी किया नोटिस, 6 हफ्ते में मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने कंप्यूटर प्रणालियों को इंटरसेप्ट करने, उन पर नजर रखने और उनके आंकड़ों का विश्लेषण करने के लिए 10 एजेंसियों को अनुमति देने वाले सरकारी नोटिस के खिलाफ दायर याचिका पर केंद्र को सोमवार को नोटिस जारी किया.

कोर्ट ने केंद्र से छह हफ्ते के अंदर नोटिस का जवाब देने को कहा है. इससे पहले केंद्र सरकार की 20 दिसंबर की अधिसूचना को चुनौती देते हुए कोर्ट में याचिका दायर की गई थी.

गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि सरकार की ओर से जारी अधिसूचना के मुताबिक, सूचना एवं प्रौद्योगिकी कानून के तहत केंद्र की 10 जांच एवं जासूसी एजेंसियों को कंप्यूटरों को इंटरसेप्ट करने और उनके आंकड़ों का विश्लेषण करने का अधिकार प्राप्त हो गया है.

क्या है पूरा मामला

इंटेलिजेंस ब्यूरो से लेकर NIA तक 10 केंद्रीय एजेंसियों को जासूसी करने का लाइसेंस मिल गया था. ये एजेंसियां किसी भी कंप्यूटर में मौजूद, रिसीव और स्टोर्ड डेटा समेत अन्य जानकारियों की निगरानी, इंटरसेप्ट और डिक्रिप्ट कर सकती हैं.

गृह मंत्रालय की तरफ से जारी किए गए आदेश के मुताबिक, 10 एजेंसियों के पास अधिकार है कि वे किसी भी कंप्यूटर के डेटा को चेक कर सकती हैं. गृह मंत्रालय ने आईटी एक्ट, 2000 के 69 (1) के तहत यह आदेश दिया था, इसमें कहा गया था कि भारत की एकता और अखंडता के अलावा देश की रक्षा और शासन व्यवस्था बनाए रखने के लिहाज से जरूरी लगे तो केंद्र सरकार किसी एजेंसी को जांच के लिए आपके कंप्यूटर को एक्सेस करने की इजाजत दे सकती है.

इन एजेंसियों में इंटेलिजेंस ब्यूरो, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, प्रवर्तन निदेशालय, सेंट्रल टैक्स बोर्ड, राजस्व खुफिया निदेशालय, केंद्रीय जांच ब्यूरो, राष्ट्रीय जांच एजेंसी, कैबिनेट सचिवालय (आर एंड एडब्ल्यू), डायरेक्टरेट ऑफ सिग्नल इंटेलिजेंस (जम्मू-कश्मीर, नॉर्थ-ईस्ट और आसाम के क्षेत्रों के लिए) और पुलिस आयुक्त, दिल्ली का नाम शामिल था.

इस आदेश के मुताबिक सभी सब्सक्राइबर या सर्विस प्रोवाइडर और कंप्यूटर के मालिकों को जांच एजेंसियों को तकनीकी सहयोग देना होगा. अगर वे ऐसा नहीं करते हैं, तो उनपर 7 साल की सजा के साथ-साथ जुर्माना भी लगाया जा सकता है.

(एजेंसी इनपुट के साथ)

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