पूरे भारत में जारी कृषि संकट के बीच केंद्र सरकार किसानों को सब्सिडी देने के बजाय उनके वित्तीय बोझ को कम करने के लिए कैश ट्रांसफर करने की योजना पर विचार कर रहा है. ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार मोदी सरकार खाद लागत सहित सभी कृषि सब्सिडी को संयोजित करने की योजना बना रही है. इनको संयोजित कर के सरकार इसके बदले किसानों को नकद भुगतान करेगी.
ब्लूमबर्ग ने अपने स्रोतों के हवाले से कहा कि अतिरिक्त लागत सालाना 700 अरब रुपए तक सीमित रहने की उम्मीद है. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 31 मार्च तक कृषि सब्सिडी के लिए 701 अरब रुपए का बजट रखा था.
तीन महत्वपूर्ण राज्यों में मिली हार और गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स रेवेन्यू में मिली छूट के बाद केंद्र ने पहले ही वार्षिक बजट घाटे के लक्ष्य को पार कर लिया है और वर्तमान वर्ष में सरकार के पास खर्च करने के लिए बहुत कम रिसोर्स हैं.
इसके बावजूद बीजेपी किसानों को लुभाने का एक मौका नहीं गंवाना चाहती. किसान फसल की कीमतें गिरने और इनपुट लागत बढ़ने से काफी प्रभावित हुए हैं. हजारों किसान कर्जमाफी के लिए सड़क पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. इधर किसानों की कर्ज माफी करने के बाद विपक्षी कांग्रेस ने भी इस मामले में सरकार पर कार्रवाई करने का दबाव बनाया है.
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