क्या आपको पता हैं ये छोटू हाथी जिसका नाम भोलू है, ये भारतीय रेलवे का मैस्कॉट है. मैस्कॉट यानी सौभाग्य लाने वाला. भोलू भले रेलवे के लिए लकी हो पर रेलवे भोलू के लिए बिल्कुल शुभ नहीं है. भोलू और उसके साथी रेलवे से नाराज हैं.
क्यों हैं नाराज?
भारतीय रेल बार बार भोलू के साथियों को टक्कर मार देती है जिससे भोलू के साथियों को या तो चोट लग जाती है या वो मर जाते हैं. कल यानी 10 मई को सिलीगुड़ी में भोलू को फिर एक साथी ट्रेन की चपेट में आ गया. 2004 से लेकर अब तक इसी रूट पर 62 हाथी मर चुके हैं. दरअसल हाथियों के इस सदियों पुराने कॉरिडोर से रेलवे लाइन गुजरती है.
पर ये कहानी सिर्फ सिलीगुड़ी की नहीं है. हाथी पानी और खाने की खोज में हजारों किलोमीटर का सफर तय करते है. भारत में 88 ऐसे कॉरीडोर है जिनका इस्तेमाल हाथी सदियों से कर रहे हैं. जिन रास्तों को वो अपनाते हैं उसे कॉरीडोर कहा जाता हैं लेकिन शहरीकरण के कारण अब इनके रास्ते पर कहीं रेलवे ट्रेक है तो कहीं हाइवे.
भारत के जंगलों में लगभग 28000 हाथी है. लेकिन हमने पिछले एक दशक में 100 से ज्यादा हाथी सिर्फ ट्रेन एक्सिडेंट में खो दिए.
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