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ASER 2018: भारत में तीसरी कक्षा के 75% बच्चों के लिए आसान जोड़-घटाना भी अबूझ पहेली

भारत सरकार के अपने राष्ट्रीय आकलन सर्वे में यह पता चला है कि इस तरह के बच्चों की बड़ी तादाद है, जिनमें सीखने का स्तर बेहद कम है

Updated On: Sep 19, 2018 01:04 PM IST

FP Staff

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ASER 2018: भारत में तीसरी कक्षा के 75% बच्चों के लिए आसान जोड़-घटाना भी अबूझ पहेली

हमने ऐसे कई वायरल वीडियो देखे हैं, जिनमें हमारे देश के भविष्य बच्चों को शिक्षा दे रहे शिक्षकों की पोल खुलती दिखाई देती है. जिनके जिम्मे बच्चों को शिक्षा देने की जिम्मेदारी है, वही खुद बेसिक नॉलेज तक रखते, ऐसे में उनसे ये उम्मीद नहीं की जा सकती कि वो इस देश को सुशिक्षित नागरिक दे पाएंगे. इसके अलावा देश की शिक्षा व्यवस्था भी इतनी हवा-हवाई है कि एक सुशिक्षित पीढ़ी तैयार करना और हर बच्चे तक शिक्षा पहुंचा पाना चलनी में पानी भरने जैसा है. ऐसी स्थितियों में बच्चे कहां से पढ़ पाएंगे?

भारत में शिक्षा पर आई एक नई रिपोर्ट भी ऐसे ही अहम सवाल खड़े कर रही है. इस रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में तीसरी कक्षा में पढ़ने वाले केवल एक चौथाई बच्चे ही सामान्य वाक्यों वाली छोटी कहानी पढ़ और समझ पाते हैं और दो अंकों के घटाव के सवालों का हल कर पाते हैं.

भारत में सामाजिक काम करने वाली संस्था ‘बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन’ की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत सरकार के अपने राष्ट्रीय आकलन सर्वे में भी यह पता चला है कि इस तरह के बच्चों की बड़ी तादाद है, जिनमें सीखने का स्तर बेहद कम है.

रिपोर्ट में कहा गया है, 'तीसरी कक्षा में पढ़ने वाले केवल एक चौथाई बच्चे ही सामान्य वाक्यों वाली छोटी कहानी को पढ़ और समझ पाते हैं और एक या दो अंकों के घटाव के सवालों का हल कर पाते हैं.'

रिपोर्ट में वार्षिक शिक्षा स्थिति रिपोर्ट 2017 के आंकड़ों का जिक्र किया गया है. इसमें कहा गया है कि इस समस्या के सामने आने के बाद भारत और अन्य देशों में इस पर ध्यान दिया जाने लगा है.

रिपोर्ट के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अलावा दिल्ली और राजस्थान की सरकारें इसमें सुधार करने की व्यवस्था कर रही हैं. भारत में नेता इस मुद्दे को एजेंडे में रख रहे हैं.

विश्व बैंक की विश्व विकास रिपोर्ट 2018 में शिक्षा की गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित किया गया है.

(भाषा से इनपुट)

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