live
S M L

फ्लाइंग कॉफिन ने ली एक और जान, 45 साल में 465 मिग प्लेन क्रैश

अहम बात ये कि सरकारी नितियों ने एयर फोर्स को आधुनिकीकरण से दूर रखा हुआ है, ये ही वजह है कि भारतीय पायलट पुराने हो चुके विमानों को ही उड़ा रहे हैं

Updated On: Jul 18, 2018 06:20 PM IST

FP Staff

0
फ्लाइंग कॉफिन ने ली एक और जान, 45 साल में 465 मिग प्लेन क्रैश

देश में एयर फोर्स के फाइटर एयरक्राफ्ट के गिरने का एक सिलसिला सा बन गया है. पिछले जून महीने में ही दो जगुआर और सुखोई विमान गिर गए थे. बुधवार को भी एयर फोर्स का उड़ता ताबूत कहा जाने वाला मिग-21 विमान हिमाचल प्रदेश में गिर गया.

जून और जुलाई के 2 महीने में 3 फाइटर एयरक्राफ्ट के गिर जाने वाली घटनाओं की ये तो एक बानगीभर है. अगर हम सुखोई और मिग के क्रेश होने वाली घटनाओं की फेहरिस्त पर नज़र डालें तो आंकड़ा बेहद चौंकाने वाला है. लोकसभा में बुधवार को ही पिछले साढ़े तीन साल में एयर फोर्स के दुर्घटना का शिकार हुए एयरक्राफ्ट की एक सूची भी जारी की गई है.

फ्लाइंग कॉफिन के नाम से बदनाम है मिग

सूची में हजारों करोड़ रुपए के विमानों के गिरने का आंकड़ा भी दिया गया है. लेकिन विमानों के साथ शहीद होने वाले 43 एयर फोर्स के अधिकारियों और जवानों का आंकड़ा बेहद चौंकाता है. हिमाचल के कांगड़ा में गिरे मिग-21 को फ्लाइंग कॉफिन ऐसे ही नहीं कहा जाता है.

सूत्रों की मानें तो देश में पिछले 45 साल में 465 मिग विमान ज़मीन पर गिर चुके हैं. वो भी दुश्मन से बिना लड़े हुए. अगर जंग के मैदान की बात करें तो क्रैश होने वाले मिग की संख्या 11 है. सूत्रों के अनुसार एक आंकड़े के मुताबिक 946 मिग विमानों में से 2 तो 1965 की लड़ाई में, 8 विमान 1971 की लड़ाई में और 1 मिग विमान 1999 में कारगिल की लड़ाई में क्रैश हो चुके हैं.

एयर फोर्स के 8 सुखाई विमान भी क्रेश हो चुके हैं. हेलिकॉप्टर की बात करें तो चेतक और एमआई-17 सरीखे हेलिकॉप्टर क्रेश हो चुके है. एक एमआई-17 हेलिकॉप्टर तो हाल ही में अरुणाचल प्रदेश में क्रेश हुआ था. मार्च 2017 में राजस्थान में एक हेलिकॉप्टर गिरा था.

आज भी पुराने विमान उड़ा रहे हैं भारतीय पायलट

बचे हुए मिग में से कुछ को सरकार हटाने की बात कह रही है. वहीं 138 मिग-21 अपग्रेड करने के बाद 2022 तक उड़ाए जाएंगे. मिग की जगह सरकार एचएएल निर्मित तेजस को लाने की तैयारी कर रही थी. लेकिन हाल में तेजस भी विवादों में आ गया है.

वहीं इस बारे में रिटायर्ड एयर वाइस मार्शल कपिल कॉक कहते हैं कि एयर फोर्स में पायलट कि ट्रेनिंग एकदम युद्ध के हालातों जैसी ही होती है. इसलिए विमानों का गिरना कोई चौंकाने वाली बात नहीं है. पहले ये संख्या ज्यादा और अब बहुत कम हो चुकी है. दूसरी अहम बात ये कि सरकारी नितियों ने एयर फोर्स को आधुनिकीकरण से दूर रखा हुआ है. ये ही वजह है कि हमारे लड़के पुराने हो चुके विमानों को ही उड़ा रहे हैं.

(न्यूज18 के लिए नाजिर हुसैन की रिपोर्ट)

0

अन्य बड़ी खबरें

वीडियो
KUMBH: IT's MORE THAN A MELA

क्रिकेट स्कोर्स और भी

Firstpost Hindi