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जय भारत-जय इजरायल से क्यों डरा पाकिस्तान? मोसाद तो नहीं असली वजह?

पाकिस्तान ये जानता है कि रॉ और मोसाद मिलकर उसकी पनाह में छुपे आतंकियों की मौत का वारंट तक निकाल सकते हैं.

Updated On: Jan 18, 2018 02:51 PM IST

Kinshuk Praval Kinshuk Praval

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जय भारत-जय इजरायल से क्यों डरा पाकिस्तान? मोसाद तो नहीं असली वजह?

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जब यरुशलम को इजरायल की राजधानी के तौर पर मान्यता दी तो संयुक्त राष्ट्र में फैसले के खिलाफ प्रस्ताव लाया गया. भारत ने भी यरुशलम के मुद्दे पर ट्रंप के फैसले के खिलाफ वोट दिया. यरुशलम को इजरायल की राजधानी मानने से इनकार कर दिया.

भारत के इस ‘विरोधी वोट’ के बाद एकबारगी सवाल उठे कि कहीं पीएम मोदी की इजरायल यात्रा से दोनों देशों के बीच उपजी गर्मजोशी पर 1 वोट की वजह से बर्फ न पड़ जाए. लेकिन इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने पत्नी सारा के साथ भारत का दौरा कर दोस्ती को और गहरा बना दिया. नेतन्याहू ने कहा कि यरुशलम के मुद्दे पर भारत के एक वोट से दोनों देशों के रिश्ते प्रभावित नहीं हो सकते और दोनों देशों के रिश्ते किसी एक मुद्दे से कहीं बढ़कर हैं.

रिश्तों में कभी आड़े नहीं आया 'एक वोट'

दरअसल भारत और इजरायल के रिश्तों के बीच ‘एक वोट’ कभी आड़े नहीं आया. 14 मई 1948 को इजरायल ब्रिटिश हुकुमत से अलग हुआ था. अपने वजूद के लिए अरब देशों के साथ इजरायल जमीनी संघर्ष में घिर चुका था. फिलिस्तीन से जमीन बंटवारे को लेकर विवाद चरम पर था. उस वक्त भी साल 1949 में भारत ने संयुक्त राष्ट्र में इजरायल को शामिल करने के खिलाफ वोट दिया था. इसके बावजूद इजरायल और भारत के रिश्तों में जुड़ाव में उस ‘एक वोट’ की टीस कभी नहीं आई. इन दोनों देशों के रिश्ते ‘गुप्त रिश्तों’ की तरह सहज और अनवरत बने रहे मानो कि कोई अज्ञात वजह शामिल रही हो जैसे. भारत का ‘एक वोट’ भी इजरायल को भारत के खिलाफ अपनी सोच बदलने का मौका नहीं दे सका.

हालांकि संयुक्त राष्ट्र में इजरायल के शामिल होने के बाद साल 1950 में भारत ने इजरायल को आधिकारिक मंजूरी दे दी थी. दोनों देशों के राजनायिक रिश्ते भी बने रहे लेकिन औपचारिक शुरुआत साल 1992 में हुई जब दोनों देशों में दूतावास खोले जा सके. कहा जाता है कि 42 सालों के इंतजार के बावजूद इजरायल ने भारत का 1962, 1965 और 1971 की जंग में खुफिया जानकारियां देने में मदद की. यहां तक कि 1999 में करगिल वॉर में भी इजरायल ने भारत की हथियारों और तकनीक से भरपूर मदद की.

PM Modi and Benjamin Netanyahu in Gujarat

पाकिस्तान को चुभने लगी भारत-इजरायल दोस्ती

भारत और इजरायल की दोस्ती ही अब कांटे की तरह पाकिस्तान को चुभ रही है. ये पाकिस्तान की फितरत को ही नुमाया करती है. पाकिस्तान के विदेश मंत्री ख्वाजा आसिफ ने एक इंटरव्यू में कहा कि भारत और इजरायल के रिश्तों का गठजोड़ ‘इस्लाम विरोधी’ है और हम अपनी रक्षा करने में सक्षम हैं. उन्होंन भारत पर ताजा आरोप मढ़ दिया कि भारत भी इजरायल की तरह ही मुस्लिमों की जमीन पर कब्जा कर रहा है.  ये जानने की जरुरत है कि आखिर भारत-इजरायल संबंधों से पाकिस्तान में इतनी बेचैनी की वजह क्या है?

इजरायल को भी है पाकिस्तान से बड़ा खतरा

दरअसल आज जिस खुफिया एजेंसी मोसाद के नाम से दुनिया के दुर्दांत आतंकी  संगठन थर्राते हैं उसके जनक इजरायल के पहले पीएम डेविड बेन गुरियन थे. डेविड बेन गुरियन ने ही इस्लामिक देशों से चौतरफा घिरे होने की वजह से इजरायल के वजूद की रक्षा के लिए दुनिया की सबसे कुख्यात और शातिर खुफिया एजेंसी मोसाद की नींव डाली.

डेविड बेन गुरियन ने ही साठ के दशक में एक बार पाकिस्तान को अरब देशों से ज्यादा इजरायल के लिए खतरनाक बताया था. उनका मानना था कि पाकिस्तान का अरब देशों के प्रति दीवानापन और यहूदियों के प्रति नफरत ही इजरायल के लिए खतरा भी बन सकती है.

khwaja asif

बेन गुरियन का पाकिस्तान को लेकर खतरे का अंदेशा तकरीबन छह दशकों के बाद सामने है. पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने एक बार फिर खुल्लम-खुल्ला ऐलान किया कि उनका देश फिलीस्तीन के साथ भावनात्मक रूप से जुड़ा हुआ है.

आज पाकिस्तान परमाणु संपन्न देश है. उसके परमाणु बम के जनक डॉ कदीर खान पर परमाणु तकनीक चोरी छिपे बेचने का आरोप लग चुका है. साथ ही अमेरिका के थिंक टैंक पाकिस्तान के परमाणु बमों का आतंकी संगठनों के हाथ लगने का खतरा जता रहे हैं. जाहिर तौर पर ये ‘इस्लामी बम’ अगर गलत हाथों में पड़े तो इनका पहला निशाना इजरायल ही हो सकता है. ऐसे में इजरायल भी ये जानता है कि जिस तरह उसके पड़ौसी हालात सामान्य नहीं हैं उसी तरह भारत भी चीन और पाकिस्तान के पड़ौसी होने की वजह से सामान्य हालातों में नहीं है.

इजरायल भी भारत की तरह ही आतंकवाद का सामना कर रहा है. उसी आतंकवाद से निपटने के लिए इजरायल जैसा हाईटेक देश और उसकी हाईटेक खुफिया एजेंसी मोसाद भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ के साथ मिलकर देश की सुरक्षा को अभेद्य बना सकते हैं.

National Security Guard (NSG) commandos stand during the opening of their new hub in the southern Indian city of Hyderabad July 1, 2009. A total of 241 NSG commandos will be based in their new hub in Hyderabad, officials said. REUTERS/Krishnendu Halder (INDIA MILITARY) - RTR257W1

मोसाद यानी मौत का वारंट

पाकिस्तान ही नहीं बल्कि समूची दुनिया मोसाद की ताकत से वाकिफ है. दुनिया की पहली खुफिया एजेंसी के रूप में मोसाद कुख्यात है जो अपने देश की हिफाजत के लिए जाना जाता है. 13 दिसंबर 1949 को मोसाद का गठन हुआ था. मोसाद ने एक से बढ़कर एक हैरतअंगेज ऑपरेशन्स किए हैं. ये ऑपरेशन्स सौ फीसदी कामयाब रहे. मोसाद दुनिया के किसी भी कोने में मौजूद अपने दुश्मन को ढूंढ कर मारती है. मोसाद को कॉवर्ट ऑपरेशन्स में माहिर माना जाता है.

मारे गए इज़रायली एथलीट

मारे गए इज़रायली एथलीट

साल 1972 में म्यूनिख ओलंपिक के वक्त आतंकवादियों ने इजरायल के 9 खिलाड़ियों को मार डाला था. मोसाद ने बदला लेते हुए हमले में शामिल हर एक आतंकी को दूसरे देशों में ढूंढ ढूंढ कर मार गिराया.

साल 1976 में जब युगांडा में हाईजैकर्स ने 54 इजराइली नागरिकों को बंधक बनाया तो मोसाद के 'किलिंग ऑपरेशन' ने सारे आतंकियों को मार कर अपने नागरिकों को सकुशल बचा लिया. इस मिशन में इजरायल का केवल एक कमांडो शहीद हुआ था जिसका नाम योनाथन नेतन्याहू था जो कि इजरायल के पीएम बेन्जामिन नेतन्याहू के बड़े भाई थे.

Bethlehem : Israeli troops fire teargas towards Palestinians during a protest against U.S. President Donald Trump's decision to recognize Jerusalem as the capital of Israel in the West Bank city of Bethlehem, Thursday, Dec. 7, 2017.AP/PTI(AP12_7_2017_000192B)

बेंजामिन नेतन्याहू ने आतंक और उससे मिलने वाले आघात को करीब से देखा है. वो ये जानते हैं कि भारत भी सीमापार से रची गई आतंकी साजिशों से जख्मी है. ऐसे में भारत और इजरायल की दोस्ती का नया अध्याय पाकिस्तान को परेशान करने के लिए काफी है. पाकिस्तान इस वक्त अमेरिका से मिल रही धमकियों की वजह से अलग-थलग पड़ गया है. पाकिस्तान ये जानता है कि रॉ और मोसाद मिलकर उसकी पनाह में छुपे आतंकियों की मौत का वारंट तक निकाल सकते हैं. वैसे भी मोसाद सर्जिकल ऑपरेशन्स से लेकर किसी देश में सत्ता परिवर्तन तक की ताकत रखता है.

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बहरहाल नेतन्याहू ने जिस तरह से कहा कि भारत और इजरायल के रिश्ते स्वर्ग में बने हैं और ये जमीन पर साकार होंगे तो उनकी ये भावनाएं भारत के लिए गौरव से कम नहीं. उन्होंने अपने भाषण में जय हिंद-जय भारत और जय इस्रायल भी कहा. भारत के लिए सात समुंदर पार से ताकतवर दोस्त आ रहे हैं या फिर साथ दे रहे हैं. उनमें अगर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप हैं तो भारत यात्रा पर आए जापानी पीएम शिंजो आबे और अब इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू भी शामिल हैं. लेकिन पाकिस्तान के पास सात समुंदर पार से कोई ऐसा दोस्त नहीं जो उसकी करतूतों पर पर्दा डाल सके. संयुक्त राष्ट्र महासभा में उसके ही प्रतिनिधि उसे बेनकाब करने का काम कर रहे हैं.

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