भारतीय बैंकों का करोड़ों रुपए का चूना लगाने वाले शराब कारोबारी विजय माल्या की मुश्किलें अब बढ़ गई हैं. सोमवार को लंदन की वेस्टमिंस्टर कोर्ट ने विजय माल्या के प्रत्यर्पण की मंजूरी दे दी है. साथ ही वेस्टमेंटर कोर्ट ने कहा है कि विजय माल्या इस फैसले के खिलाफ 14 दिन के अंदर ऊपरी अदालत (इंग्लैंड ऑफ वेल्स) में अपील कर सकते हैं. भारत की दो प्रमुख जांच एजेंसियों सीबीआई और ईडी ने इस फैसले पर खुशी जताई है.
पिछले सप्ताह ही अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलिकॉप्टर डील में कथित बिचौलिए क्रिश्चियन मिशेल को यूएई से प्रत्यर्पित कर भारत लाने के बाद भारतीय जांच एजेसियों के लिए यह दूसरी बड़ी कामयाबी है. शराब कारोबारी विजय माल्या पर भारतीय बैंकों के नौ हजार करोड़ रुपए बकाए हैं. विजय माल्या मार्च 2016 में भारत से भागकर लंदन चला गया था. माल्या पर मनी लॉन्ड्रिंग और लोन ली गई रकम को दूसरे कामों के लिए इस्तेमाल करने का भी आरोप है.
विजय माल्या वेस्टमिंस्टर कोर्ट के फैसले के खिलाफ 14 दिन के अंदर लंदन की ऊपरी अदालत (इंग्लैंड ऑफ वेल्स) में अपील के लिए जा सकता है. ऊपरी अदालत वेस्टमिंटर कोर्ट में विजय माल्या की दलील को सुन कर बताएगी कि क्या वाकई में ऊपरी अदालत में यह मामला चलने लायक है या नहीं. अगर ऊपरी अदालत माल्या की अपील को खारिज कर देती है तो ब्रिटेन सरकार माल्या को 28 दिन के अंदर भारत को सौंपने के लिए बाध्य होगा.
वेस्टमिंस्टर कोर्ट के फैसले के बाद माल्या का मामला सोमवार को ही सेक्रेटरी ऑफ स्टेट (गृह मंत्रालय) के पास भेजा दिया गया है. बता दें कि विजय माल्या भारतीय बैंकों के साथ धोखाधड़ी के मामले में फिलहाल जमानत पर बाहर है. ऐसे में सेक्रेटरी ऑफ स्टेट के पास अधिकार है कि वह माल्या को फिर से गिरफ्तार करेगी या फिर माल्या की अपील करने का इंतजार करेगी?
सोमवार को फैसले आने के बाद भारत सरकार ने भी शराब कारोबारी विजय माल्या के प्रत्यर्पण को लेकर ब्रिटेन के साथ राजनयिक प्रयास तेज कर दिए हैं. सीबीआई और ईडी के कई अधिकारी पिछले कई महीनों से लंदन में डेरा डाले हुए हैं. सीबीआई के संयुक्त निदेशक एस साई मनोहर के नेतृत्व में एक और टीम बीते रविवार को ही लंदन पहुंची है. वेस्टमिंस्टर कोर्ट के फैसले के बाद भारतीय जांच एजेंसियां विजय माल्या के प्रत्यर्पण की कोशिशें और तेज कर देंगी.
बता दें कि भारतीय जांच एजेंसियां विजय माल्या के प्रत्यर्पण को लेकर पिछले दो सालों से कई स्तरों पर काम रही हैं. एक तरफ जहां जांच एजेंसियां पूरी मुस्तैदी के साथ ब्रिटेन की अदालत में अपना पक्ष रख रही हैं. वहीं डिप्लोमेटिक स्तर पर भी प्रयास तेज किए गए हैं.
ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरेसा की पिछले साल भारत यात्रा के दौरान भी भारत ने ब्रिटेन को 57 भगोड़ों की लिस्ट सौंपी थी. ब्रिटेन ने भी ऐसे 17 भगोड़ों की लिस्ट भारत को दी थी, जो ब्रिटेन की अदालत में दोषी हैं. दोनों मुल्कों के बीच प्रत्यर्पण की संधि 1992 में हो गई थी, पर समझौते के इतने दिनों बाद भी ब्रिटेन ने आज तक किसी भी भगोड़े को भारत को नहीं सौंपा है. इसके उलट भारत अब तक दो लोगों को ब्रिटेन को सौंप चुका है.
साल 2008 में भारत हाना फोस्टर की हत्या के मामले में एक भारतीय मनिंदर पाल सिंह कोहली को ब्रिटेन को प्रत्यर्पित कर चुका है. एक और मामला था, जिसमें भारतीय मूल के एस. देववानी को ब्रिटेन को सौंपा गया था. देववानी पर आरोप था कि ब्रिटेन मूल की रहने वाली अपने पत्नी की उसने हनीमून के दौरान दक्षिण अफ्रीका में हत्या कर दी थी. जिसके बाद वह भारत भाग आया था.
बता दें कि लंदन में वेस्टमिंस्टर कोर्ट में प्रत्यर्पण की सुनवाई से पहले माल्या का एक बयान आया था. सोमवार को माल्या ने एक बार फिर से पुरानी बात दोहराते हुए कहा, ‘वह बैंकों का लोन और कर्मचारियों का पैसा चुकाने को तैयार हैं. मेरे ऊपर राजनीतिक वजहों से मामला चलाया जा रहा है. लोन चुकाने के उनके ऑफर का प्रत्यर्पण के मामले से कोई लेना देना नहीं है. इस मामले में कोर्ट का जो भी फैसला होगा वह उसका सम्मान करेंगे. जो भी फैसला होगा मेरी कानूनी टीम उसका खुलासा करेगी और उचित कदम उठाएगी.'
मीडिया से बात करते हुए माल्या ने कहा, 'जब सारी बातें कही ही जा रही हैं तो मेरे कुछ कहने के लिए बचा क्या है. जब माल्या से पूछा गया कि उसका लोन रीपेमेंट ऑफर कितना जेनुइन था, तो माल्या ने जवाब दिया, 'प्लीज यह समझिए कि मैंने कोर्ट के सामने ऑफर दिया था और कोई भी कोर्ट के सामने फर्जी ऑफर नहीं दे सकता.'
माल्या ने पत्रकारों से कहा कि उन्होंने समझौते का विस्तृत ब्योरा कर्नाटक हाईकोर्ट में भी जमा करा दिया है. जब उनसे पूछा गया कि यह फैसला कितना सही है तो उन्होंने जवाब दिया कि सही या गलत कुछ नहीं होता. इस बात को समझना होगा कि यह प्रस्ताव कोर्ट में दिया गया है और कोई भी अदालत का अनादर नहीं करता है.
पिछले साल ही भारत की मांग पर सुनवाई करते हुए लंदन प्रशासन ने माल्या को रेड कॉर्नर नोटिस के आधार पर गिरफ्तार भी किया था, पर कुछ ही देर में वहां की एक अदालत ने माल्या को जमानत दे दी थी. अब लंदन की वेस्टमिंस्टर कोर्ट के फैसले आने के बाद विजय माल्या कौन सी नई तरकीब निकालता है यह अगले कुछ दिन में पता चलेगा?
कुलमिलाकर सोमवार को वेस्टमिंस्टर कोर्ट के फैसले के बाद विजय माल्या को भारत लाने की संभावना काफी बढ़ गई है, लेकिन ब्रिटेन का पुराने रिकॉर्ड को देखते हुए यह कहना थोड़ा जल्दबाजी होगा. क्योंकि गुलशन कुमार हत्याकांड में आरोपी नदीम अख्तर सैफी सहित कई लोगों को इंग्लैंड की कोर्ट ने या फिर वहां की सरकार ने आज तक भारत को नहीं सौंपा है. इसके बावजूद दूसरी सच्चाई यह भी है कि भारत सरकार पहले शायद ही इतने करीब से कोई दूसरा मामले को फॉलो किया होगा जितना विजय माल्या पर किया जा रहा है.
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